आठ दिन बाद सर्वधर्म सद्भाव की याद आई
प्रशासन को!
(हिमांशु कौशल)
सिवनी (साई)। लॉ एण्ड आर्डर को प्रशासन
आज भी खेल ही समझ रहा है। जब समाज के जिम्मेदार लोगों ने 7 फरवरी को दोपहर थाने में आई जी से
धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था की बात कही तब प्रशासन ने इसे अनसुना कर दिया।
अब प्रशासन को अचानक धर्म गुरूओं की याद आ गई और जिम्मदार कलेक्टर ने अपर कलेक्टर
से धर्म गुरूओं की बैठक करवा दी जेसे अपर कलेक्टर ने कर्फ्यू लगाया हो।
कर्फ्यू को लेकर जिला प्रशासन कितना चाक
चौबंद है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कर्फ्यू जैसी परिस्थितियों के निर्मित होने का आभास
लगाने में असफल रहा जिला प्रशासन सर्वधर्म सम्भाव के लिए धर्मगुरूओं को एक साथ
नहीं बिठा सका। अंततः प्रशासन को धर्मगुरूओं की याद कर्फ्यू लगने के आठ दिन बाद
आई।
शासकीय विज्ञप्ति के अनुसार नगर के सर्व
धर्मगुरूओं ने नागरिकों से शांति और संयम बरतकर हर हाल में हर संभव तरीके से शहर
में अमन-चौन कायम रखने की अपील की है। धर्मगुरूओं ने कहा है कि हम सब भारतवंशी है, आपसी सौहार्द्र और शांतिप्रियता सदियों
से हमारी संस्कृति रही है। हम सभी अपनी इस गौरवमयी संस्कृति के संवाहक और शांतिदूत
बने।
शासकीय विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि
धर्मगुरूओं ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में नगर में शांति कायमी के लिये प्रशासन
द्वारा आहूत सर्व धर्मगुरूओं की एक संयुक्त बैठक में नागरिकों से यह अपील की। बैठक
की अध्यक्षता अपर कलेक्टर श्री आर.बी. प्रजापति ने की। इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस
अधीक्षक श्री मुकेश श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट श्री चन्द्रशेखर शुक्ला, नगर निरीक्षक श्री हरिओम शर्मा, नगर के सभी मंदिरों के महन्त/पुजारी, मस्जिदों के मौलवी, गुरूद्वारा प्रमुख, पादरी सहित सर्व धर्मगुरूजन, प्रबुद्वजन एवं वरिष्ठजन उपस्थित थे।
विज्ञप्ति के अनुसार बैठक में सर्वधर्म
समभाव की भावना के अनुरूप सभी ने नागरिकों से अपील की कि सभी एक दूसरे के धर्म एवं
पूजा स्थलों का सम्मान करें और अपने मोहल्ले व शहर में शांति बहाली के लिये
प्रशासन की मदद करें। धर्मगुरूओं ने कहा कि शहर हम सबका है, हम सभी को मिलजुलकर रहना है, इसलिये कोई भी नागरिक अपनी धाघ्मक
पूजा/उपासना की कोई नई परम्परा स्थापित न करें और पूर्व स्थापित परम्पराओं का ही
पालन कर एक अश्छे और जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दें। बैठक में सभी समाज के
धर्मगुरूओं और प्रबुद्वजनों द्वारा अपने-अपने तरीके से सभी नागरिकों से शांति
बरतने की अपील की गई। बैठक में अपर कलेक्टर श्री आर.बी. प्रजापति, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मुकेश
श्रीवास्तव ने धर्मगुरूओं से अपील की कि वे सभी से नगर में शांति बहाली के लिये
प्रशासन व पुलिस का हर तरीके से सहयोग करने के लिये कहें।
वहीं दूसरी ओर राजनैतिक दल के नेता भी
इस बात के लिए मन मसोसे हुए हैं कि जिला प्रशासन ने उन्हें भी विश्वास में नहीं
लिया और उनकी बैठक कर उनके माध्यम से भी शांति बनाने की अपील नहीं की गई। आज
संपन्न हुई धर्म गुरूओं की बैठक के ओचित्य पर लोग प्रश्नचिन्ह इसलिए भी लगा रहे
हैं क्योंकि यह बैठक 7 फरवरी को दिन में अथवा आठ को या फिर कर्फ्यू में ढील दिए जाने के समय 9 फरवरी को ही धर्मगुरूओं के अलावा
राजनैतिक दलों के नेताओं को भी सर जोड़कर बिठाकर इसका हल निकालने का प्रयास किया
जाना चाहिए था। इसके साथ ही साथ 1992 के कर्फ्यू के दौरान सक्रिय रहे नेता, धर्मगुरू और पत्रकारों की सेवाएं भी
जिला प्रशासन को लेना चाहिए था ताकि स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाकर उसे संभाला
जाता। वस्तुतः एसा हुआ नहीं।
यहां उल्लेखनीय बात यह है कि धर्म
गुरूओं की उक्त बैठक की अध्यक्षता भी अपर कलेक्टर आर.बी.प्रजापति ने की। कर्फ्यू
लगा देने के बाद कलेक्टर ने इतनी जहमत क्यों नहीं उठाई कि परिस्थितियों की
संवेदनशीलता को देखते हुए वे स्वयं बैठक लें ताकि आमंत्रितजन बैठक में कही गई
बातों को गंभीरता से लें। अगर कलेक्टर बैठक लेते तो बैठक की गंभीरता और महत्व अलग
होता। किन्तु बैठक की अध्यक्षता अपर कलेक्टर से करवाकर उन्होंने साबित कर दिया कि
कर्फ्यू के दरम्यान लॉ एण्ड ऑर्डर के प्रति वे गंभीर नहीं थे।
वहीं प्रशासन ने जिन धर्मगुरूओं को
आमंत्रित किया था उनके नाम भी छुपा लिए। एसे में नागरिकों को कैसे पता चलेगा कि
प्रशासन ने किन्हें आमंत्रित किया और किन्होंने शांति की अपील की। कम से कम लोगों
को यह तो पता चलना चाहिए था कि उनके धर्म के किस गुरू को प्रशासन ने आमंत्रित किया
था और किन्होने शांति की अपील की है, या प्रशासन ने जिसे चाहे उठा लिया और और
शांति की अपील की एक विज्ञप्ति बना अखबारनवीसों को दे दी जिससे उच्चाधिकारियों को
संतुष्ट किया जा सके।
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