अनिश्चितकालीन धरना
जारी
(सचिन धीमान)
मुजफ्फरनगर (साई)।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के तत्वाधान में मेरठ कमीशनरी के मैदान में अदालत के
आदेशोनुसार किसानों को उसका हक न दिलाये जाने से 26 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरना
चल रहा है। जहां रात्रि में भी हजारों किसान खुले आसमान के नीचे बैठे हुए है।
राष्ट्रीय किसान
मजदूर संगठन के मंडल संयोजक विकास बालियान ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ
बैंच के माननीय जज प्रदीपकांत एवं रितू राज अवस्थी ने 29.08.2011के अपने फैंसले
में स्पष्ट किया है कि एक सोशायटी में दो रेट नहीं हो सकते और प्रदेश का किसान
चीनी मिल और गन्ना सोसायटी के मध्य फार्म सी के तहत हुए समझौते के बाद सुरक्सन के
आधार पर मिलों को गन्ना डालते है। किसानों को मिले सोसायटी के माध्यम से पर्चियां
देती है ताकि व मिल की सुविधानुसार दी गयी तारीख को गन्ना डाल सके। इस सबके बीच
गन्ना आयुक्त का दायित्व रहता है कि वह सभी गन्ना किसानों को मिल द्वारा दिया जाने
वाला अधिकतम मूल्य दिलाये या जो अधिकतम मूल्य राज्य सरकार ने तय किया हो। वर्ष
2009-10 में मिल चलने के प्रारम्भ में 185 रूपये प्रति कुंतल और अन्त में 260
रूपये प्रति कुंतल तक गन्नारेट मिला। जिस पर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के
राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह अदालत में गये और सभी किसानों को 260 रूपये गन्ना
भुगतान कराने का अनुरोध किया जिसे अदालत ने स्वीकार किया और 29.08.2011 को केस
संख्या 5287 में फैंसला देते हुए गन्ना आयुक्त को निर्देश दिया कि वह सभी किसानोंको
260 रूपये की दर से अन्तर मूल्य भुगतान दिलाना सुनिश्चित करें। इस कार्य में महीने
न लगाये जाये। लखनऊ बैंच का यह फैंसला आये डेढ साल बीत गया मगर गन्ना अंतर मूल्य
भुगतान आज तक नहीं कराया गया।
वहीं इलाहाबाद
हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच से ही माननीय जज उमानाथ सिंह एवं विरेन्द्र कुमार दीक्षित
ने भी वीएम सिंह की याचिका संख्या 6429 पर 6 अगस्त 2012 को आदेश दिया कि किसानों
का जो भी भुगतान गन्ना डालने के 15 दिन के भीतर नहीं किया गया उस पर 15 फीसदी
ब्याज लगाकर भुगतान कराया जावे। इसी बीच जिस भी गन्ना किसान के जिसका ब्याज या मूलधन
बकाया है उस पर अगर कोई भी सरकार या अर्द्धसरकारी देनदारी है तो उसकी कर्ज वसूली
तब स्थगित कर दी जाये जब तक उसे उसका पैसा चीनी मिल से नहीं मिल जाता।
अदालत के इन
फैंसलों को लागू कराने के लिए वीएम सिंह एवं पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने 29
जनवरी 2013 को प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि
अगर अदालत के इन दोनों आदेशों का पालन दो हफ्ते के भीतर नहीं कराया जाता तो गन्ना
किसान अपनी इन अधिकार मांगों को लेकर 26 फरवरी से मेरठ कमीशनरी पर धरना देने को
मजबूर होंगे। सरकार द्वारा इस मामले में कोई भी रूचि न लेने पर गन्ना किसान 26
फरवरी से आंदोलन करने को मजबूर है और मेरठ कमीशनरी पर धरने पर बैठे हुए है। 26
फरवरी को प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए किसानों को परेशान किया। उनके वाहन टैªक्टर ट्रालियां
धरने से कई किमी पहले रूकवाये। उन्हें डराया धमकाया गया। मगर किसानों की भारी
संख्या और उग्र तेवर देखकर प्रशासन सख्ती करने में कामयाब नहीं हो पाया। अदालत के
आदेशों की तामिल को लेकर धरने पर बैठ गये किसानों को प्रशासन इस आंदोलन को रूकवा
देने की उम्मीद में सफल नहीं हो पाया। वीएम सिंह के नेतृत्व में किसानों ने अनुशासित
होकर आंदोलन को आगे बढाया है। सभी किसान अपनी रहने व खाने की व्यवस्था को लेकर
निश्चित है। किसानों के इस धरने में गांव देहात से बडी संख्या में जहां महिलाएं
बच्चे वृद्ध लगातार आ रहे है वहीं दूध, खीर हलवा, दाल रोटी चावल, पुरी सब्जि, मगर चाट, केले आदि को भी
किसान लेकर आ रहे है।
धरने को जहां
विभिन्न राजनैतिक,
गैर राजनैतिक संगठन अपना समर्थन प्रदान कर रहे है वहीं देश की
जानी मानी विभिन्न क्षेत्रों से जुडी बडी हस्तियंा भी धरना स्थल पर पहुंच रही है।
प्रख्यात कवि, फिल्मी
कलाकार, सुप्रीम
कोर्ट बार संघ के अध्यक्ष व अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता, सेवानिवृत्त
न्यायाधीश से लेकर महाराणा प्रताप के वंशज तक आंदोलन में पहुंच रहे है। खाप
चौधरियों के साथ साथ जल और प्रदूषण को लेकर मेघासेसे जैसे प्रतिष्ठित पुरूस्कार
प्राप्त वरिष्ठ चितंत, सेना में उच्चा स्तरीय पदों पर रहे विभिन्न अधिकारी तक मेरठ
में आकर किसानों को समर्थन दे रहे है।
लोकसभा और उत्तर
प्रदेश की विधानसभा में किसानों के ये मुद्दे और आंदोलन की चर्चाएं तक हो चुकी है
परंतु राज्य सरकार अभी तक चीनी मिल मालिकों के किसानों का हक दिलवाने को तैयार नजर
नहीं आ रही हैं बल्कि सहकारी और सरकारी चीनी मिले जो सरकार के ही आधीन है उनसे भी
पैसा नहीं दिला रही।
प्रदेश के 55 लाख
गन्ना किसानों का यह बकाया लगभग 5 हजार करोड से अधिक है। प्रदेश सरकार 55 लाख गन्ना किसानों के मुकाबले 55 चीनी मिल मालिकों
को अधिक तवज्जों दे रही है जो बहुत शर्मनाक है। जहां प्रदेश में उच्चतम न्यायालय
के आदेश की बात कर ग्रामीण क्षेत्रों के आवागम हेतु सबसे सफल वाहन जुगाड को तत्काल
रोक चुकी है और न्याय प्रणाली के प्रति विश्वास जमाने की बात करकर वाह वाही लूटने
का प्रयास करती है वहीं दूसरी ओर 55 लाख गन्ना किसानों के हिस में आये अदालती आदेश
का पालन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाती।
धरने पर आये
सुप्रीम कोर्ट बार संघ अध्यक्ष एम.एन. कृष्णामणी ने सख्त शब्दों में किसानों के
सामने स्पष्ट किया कि कोई भी राज्य सरकार अगर उच्चतम या उच्च न्यायालय के आदेशों
का पालन कराने में असफल दिखाई पडती है तो केन्द्र सरकार उस राज्य सरकार को
बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन भी लगा सकती है। उन्होंने कहा कि यह कार्य
संविधान के आरटीकल 142 व 143 के तहत कर केन्द्र सरकार कर सकती है। उन्होंने आगे यह
भी कहा कि किसानों का केस बहुत मजबूत है और राज्य सरकार अगर इसका पालन नहीं कराती
तो कोई भी किसान आर्टिकल 32 के तहत सीधे ही सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।
प्रदेश की राज्य
सरकार जो खुद को किसान हितैषी होने का दावा करती है अगर निजी चीनी मिल मालिकों से
भुगतान कराने में असफल है तो वह सहकारी और निगम की सरकारी चीनी मिलों से गन्ना
किसानों का बकाया अन्तर मूल्य भुगतान व ब्याज दिलाने की पहल कर अपने किसान हितैषी
होने के दावे को पुख्ता कर सकती है।
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