मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 5वीं रिपोर्ट की अनुशंसाओं स्वीकार नहीं


द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 5वीं रिपोर्ट की अनुशंसाओं स्वीकार नहीं

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 5वीं रिपोर्ट की अनुशंसाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह रिपोर्ट स्वीकार नहीं की जा सकती है। यह रिपोर्ट देश के संघीय ढांचे की अवधारणा के विपरीत है। श्री उमाशंकर गुप्ता आज यहां आयोजित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की लोक व्यवस्था पर 5वीं रिपोर्ट पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिन्दे ने की। बैठक में केन्द्रीय मंत्री सर्वश्री वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल, जयराम रमेश, सी.पी.जोशी, नारायण स्वामी, आर.पी.एन. सिंह सहित गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
श्री गुप्ता ने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है तथा उसकी चुनौतियों से राज्य को ही निपटना होता है, इसे उसके स्वरूप और अस्तित्व में बिना संविधान के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ किये हुए, केन्द्र सरकार अपने हस्तक्षेप की वस्तु नहीं बना सकता। केन्द्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 355 की आड़ में, संविधान के अनुच्छेद 356 छद्म रूप में प्रयोग करते हुए चिन्हित क्षेत्रों को प्रशासनिक परिवेक्षण एवं नियंत्रण अपने हाथ में लेना चाह रही है। केन्द्र बार-बार विभिन्न रिपोर्टों के जरिये चाहे वह एन.सी.टी.सी. के गठन की हो, चाहे द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसाए हों, या फिर प्रिन्वेशन ऑफ कम्युनल एण्ड टारगेटिड वायलेंस बिल;च्तमअमदजपवद व िब्वउउनदंस ंदक ज्ंतहमजमक टपवसमदबम ठपससद्ध हो। श्री गुप्ता ने सुझाव दिया कि आंतरिक सुरक्षा पर होने वाले व्यय को राज्य सरकारों को दिया जाना चाहिए तथा समन्वय के लिए एक आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए।
श्री गुप्ता ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारियां और चुनौतियां उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि देश की सैन्य सुरक्षा। उन्होंने कहा कि पहले पुलिस आधुनिकीकरण पर केन्द्र व राज्य 7525 के अनुपात में व्यय भार वहन करते थे। लेकिन अब राज्यों के लिए यह भार बढ़ाकर 6040 के अनुपात में कर दिया है। श्री गुप्ता ने द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा 9 विभिन्न निकायों, एजंेसियों, कमेटियों एवं प्राधिकरणों के गठन के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए कहा कि इतने सारे विभिन्न निकायों को पुलिस के काम के लिए गठित करने में न केवल व्यवस्था ध्वस्त होगी बल्कि सुधार की कल्पना करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि पुलिस से जुडे कार्यों को विभक्त कर उनका निजीकरण नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा प्रयास किया गया तो देश में पुलिस व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी और आंतरिक सुरक्षा छिन्न-भिन्न होकर बिखरने के कगार पर आ जायेगी।
श्री गुप्ता ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार आतंकवाद और नक्सलवाद जैसे खतरनाक दानव के विरूद्ध एक समन्वित और प्रभावशाली कार्ययोजना की जरूरत पर देती रही है। सरकार को इसमें हस्तक्षेप न करके सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए। बैठक में मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह श्री आइ.एस. दाणी भी मौजूद थे। 

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