बाबा के दरबार में गोलमाल!
(विनीता विश्वकर्मा)
शिरडी (साई)। शिरडी के साईं बाबा को चढ़े
सोने में घपले की शिकायत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से की गई है। आरटीआइ
कार्यकर्ता संजय काले का आरोप है कि साईं बाबा को भक्तों द्वारा चढ़ाए गए सोने के
आभूषणों को गलाने के दौरान उसमें बड़ा घपला किया गया है।
शिरडी के विख्यात साई बाबा मंदिर में
भक्त अक्सर सोने और चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं। राज्य सरकार के नियमानुसार, इन आभूषणों को गुरुवार-रविवार या मंदिर
में मनाए जानेवाले बड़े उत्सवों के दौरान सार्वजनिक नीलामी करके बेचा जाना चाहिए
लेकिन साईं बाबा के प्रति आस्था एवं चढ़ावा, दोनों निरंतर बढ़ते जाने के बावजूद पिछले
कई वर्षाे से इन निर्धारित दिनों में कोई नीलामी नहीं हुई, बल्कि चढ़े हुए सोने को गलवा कर रखने में
भी साईं संस्थान के अधिकारियों ने नियमों का पालन नहीं किया। जिसकी वजह से अब ये
अधिकारी शक के घेरे में हैं। शिरडी के निकट कोपरगांव में रहनेवाले काले ने पिछले
सप्ताह मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण को पत्र लिखकर इन अधिकारियों की संपत्ति की
जांच करने की मांग की है।
सूचना अधिकार कानून के तहत काले को मिली
जानकारी के अनुसार सन् 2008, 2009 एवं 2012 में क्रमशरू 19, 53 व 37 किलो सोना गलवाया गया। नियमानुसार
मंदिर के स्ट्रांग रूम से यह सोना किसी न्यायिक अधिकारी व मंदिर के तीन न्यासियों
की उपस्थिति में ही निकाला जा सकता है। निकाला गया सोना सील करके कड़ी सुरक्षा में
मुंबई की रिफाइनरी पहुंचाया जाता है और फिर उन्हीं न्यायिक अधिकारी एवं न्यासियों
की उपस्थिति में सील खोली जाती है। सिल्लियों में परिवर्तित सोने को पुनरू लाकर
शिरडी के स्ट्रांग रूम में रख दिया जाता है। पिछले तीनों बार निर्धारित नियमों का
उल्लंघन कर न्यायिक अधिकारी एवं न्यासियों के बजाय संस्थान के तीन वरिष्ठ
अधिकारियों ने सोना निकाला और उसे गलवा कर सिल्लियां पुनरू लाकर संस्थान में
रखवाया।
आरोप है कि उक्त तीनों बार सोना गलवाने
के बाद उसमें आनेवाली कमी की दर बढ़ती गई। गलवाने के बाद पहली बार इसमें आठ फीसद की
कमी आई, दूसरी बार लगभग 12 और तीसरी बार 13.5 फीसद की कमी आई। जबकि इन्हीं वर्षाे
में क्रमशरू 270 किलो, 430 किलो एवं 513 किलो चांदी भी गलवाई गई। गलाने के बाद चांदी में
तीनों बार 24 फीसद के समान अंतराल वाली कमी देखी गई। काले कहते हैं कि लगातार बढ़ती
गई कमी ही इसमें घपले का संकेत करती है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच करके दोषियों को
दंडित किया जाना चाहिए।
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