कागजों पर साक्षर भारत!
(शरद खरे)
आज़ादी के समय भारत देश में
साक्षरता का प्रतिशत बेहद कम था। ब्रितानी हुकूमत में लोग साक्षर होने की दिशा में
ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाया करते थे। आज़ादी के उपरांत भारत में कई सालों बाद
लोगों को साक्षर करने की दिशा में पहल आरंभ हुई। बुजुर्ग या प्रौढ़ लोगों को
शिक्षित करने के लिए सरकारों को खासी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि आयु ज्यादा होने पर लोग
पढ़ने में शर्म महसूस करते थे। शासन की ओर से इसके लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम का
आगाज़ किया गया। कालांतर में प्रौढ़ शिक्षा के तहत अनेक अन्य कार्यक्रम भी संचालित
होने लगे।
इसी के तहत शायद साक्षर भारत
योजना का आगाज़ किया गया है। इस योजना के बारे में ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं होने
से यह मामला बहुत ज्यादा प्रकाश में नहीं है। इस योजना में भारी भरकम बजट का
प्रावधान भी है। इस योजना में व्यापक स्तर पर भर्राशाही होने के आरोप लगते रहे हैं, पर इनकी जांच नहीं होने से इन
आरोपों पर सदा ही मिट्टी डलती रही है।
सिवनी विकास खण्ड में भी साक्षर
भारत में फर्जीवाड़े की जानकारियां सामने आ रही हैं। साक्षर भारत के तहत सिवनी में
कितने केंद्र कार्यरत हैं? कहां किस मद में कितनी खरीदी की गई है? प्रेरक प्रशिक्षण में किसको किस
देयक के माध्यम से कितने बिल बाउचर के लगाने पर कितना भुगतान किया गया है? इसमें चार हजार रूपए प्रति केंद्र
के हिसाब से कहां कितनी राशि खर्च की गई है? इस बारे में विभाग मौन ही है।
साक्षर भारत योजना के तहत सिवनी
विकासखण्ड स्तर पर संचालित केंद्रों में फर्नीचर खरीदी की निविदा कब बुलवाई गई? इसका प्रकाशन कहां कराया गया? कितने का खरीदा गया? आदि मामलों में भी विभाग मौन ही
है। इसके प्रभारी और बींझावाड़ा स्कूल के प्रधान पाठक आर.एस.कुमरे अपने आपको डाकिया
ही निरूपित कर रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य शिक्षा केंद्र के द्वारा आने वाली
इमदाद को उनके माध्यम से ग्राम पंचायतों को बांट दिया जाता है, आगे का कार्य ग्राम पंचायतों
द्वारा किया जाता है।
इसकी जानकारियां लेने के लिए अगर
कोई सूचना के अधिकार का प्रयोग करना चाहे तो आखिर वे जाएं तो किसके कार्यालय में
जाएं, और वहां जाकर वे किसके नाम से
आवेदन लगाएं? इसका कार्यालय कहां है यह भी कम ही लोग जानते होंगे? कुल मिलाकार हालात देखकर लगता है
मानो सब कुछ कागजों पर ही संचालित हो रहा है। जिला प्रशासन से जनापेक्षा है कि
लोगों को साक्षर करने के लिए साक्षर भारत योजना में पलीता लगाने वाले
अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा योजनाओं में की जाने वाली गड़बड़ियों की जांच कर
दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।
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