झूठली है,मीनाक्षी मेडम !
(सुरेंद्र सेठी)
नीमच (साई)। गांधी
भवन में जिला कांग्रेस/ब्लाक कांग्रेस के प१ीस/तीस नेताओं के समक्ष देश की पचास
ताकतवर महिलाओं में से एक, राहुलजी की करीबी, अपून की सांसद मीनाक्षी नटराजन की ओर
राजपूति शौर्यता के प्रतिक मनासा के विधायक बना की याचना भरी गुहार सुनने के बाद
भावुकता में मौजुद लोगों ने 31 जुलाई के आन्दोलन पर सहमती तो जता दी पर, अब हालात बदले बदले
से नजर आ रहे है !
गांधी भवन की ऊर्जा
दम तौड़ती नजर आ रही है! कई सारे सवाल कांग्रेसजनों के बीच उठ खड़े हुए है ओर उन पर
बहस हो रही है ! ऐसे सवालों में मीनाक्षी मेडम पर झूठ बोलने ओर बात बदलने का भी
आरोप लग रहा है ! लोग कह रहे है, जिन 120 गांवों का दौरा करने ओर वहां के दलितों के
हालातों का खुलासा करने की बात जो वे कह रही है वो दौरा तो तब उन्होंने अराजनैतिक
बताया था ! ऐसे में अब उन दौरों से उपजे दुष्परिणाम( मीनाक्षी मेडम/ बिॉाु बना) के
अपमान से भला कांग्रेस का क्या काम है ! क्यों कांग्रेस का कार्यकर्ता जिला
कलेक्टर के खिलाफ सड़कों पर उतरे !
जब वे इन दलित
गांवों में से नीमच विधानसभा क्षेत्र के गांव हरवार में वहां का सरपंच ओर ब्लाक
कांग्रेस अध्यक्ष करणसिंह जाट को दलितों की उस बैठक मंे ये कहकर रोक दिया गया था
कि ये दौरा अराजनैतिक है ! ऐसे दृश्य हर जगह बने जहां गांव मेें पहुंची मीनाक्षी
ेमेडम से मिलने पहुंचे ऊंची जातियों के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं अथवा गांव के लोगों
से दुरिया बनाई गई !अब सांसद मेडम गांधी भवन मंे जब इन दलित गांवों में घुमने का
जिक्र करती है तो बताती है कि उनके साथ करंग्रेस कार्यकर्ता थे ! वे ये भी कहती है
कि ये दलितों की दशा जानने के लिए जिले के सर्वे का एक हिस्सा था ! पर, वे नहीं बताती है
कि नीमच/मंदसौर जिले के दौरे में उनके साथ कौन कौन से कार्यकर्ता थे ! वे रिसर्च
होना तो बता रही है पर, ये नहीं बता रही कि रिसर्च कराने वाली संस्था ने उन्हें या
उनके किसी चहेते एनजीओ को कितनी राशि का उनके काम के बदले भुगतान किया है !
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का जो उन दलित गांवों के आसपास मेडम पहुंची है वहां के लोग
उनके जाने के बाद क्या क हते पाये जा रहे है ये शायद न तो मिनाक्षी मेडम को पता है
ओर न वो उनके रिसर्च का हिस्सा है ! वे क्या कह रही है ये एक गंभीर मामला बन पड़ा
है ! मानो 120 दलित
गांवों का दौरा करने के बाद वे वहां से कांग्रेस को ओर अपने को पुर्नजिवित करने की
संजीवनी ढूंढ लाई है ! वे कहती है, इन गांवों में दलितों का शोषण हो रहा है !
वे भले न बोले पर,
ऐसे बोल से सीधे तौर पर दलितों के साथ गांव मंे सामाजिक
समरसता बनाए हुए ऊंची जाति के लोग आहत होते है ! वे कहती है, बिन्दोली नहीं
निकलने देते ! पानी भरने में परेशानी आती है! सामूहिक भोज ओर स्कूलों में मध्यान्ह
भोजन में दलित ब१ों की अलग पगंत लगती है ! वे कहती है, गांवों में ये सब
हो रहा है ओर ये सब मैंने अपनी आंखों से देखा है ! ये सब कुछ उनकी पटकथा रिसर्च का
एक हिस्सा है ! अगले हिस्से में आन्दोलन के बाद रिसर्च के आधार पर एक कानुन बनाने
की प्रक्रिया को अंजाम दिया जायेगा ! इसी दौरान कलेक्टर से पंगा हो गया तो इसे भी
उस रिसर्च का एक हिस्सा मानकर अंजाम दिया जा रहा है कि कैसे दलितों के बीच काम
करने पर परेशानियां सामने आती है ओर फिर उसका जमीनी स्तर पर आन्दोलन के जरिये
मुकाबला करने की कोशिशे की जाती है ! इस हिस्से में भी मिनाक्षी मेडम के
व्यक्तित्व को एक जुझारू योद्धा के रूप में उभारे जाने की रणनीति बनी है !जब दौरे
किये तब तो ब्लाक अध्यक्ष तक को किनारे किया ओर जब संघर्ष करने की बात आई तो
कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लड़ाई लड़ने की याचना की जा रही है ! ये सब कुछ कांग्रेस
का कार्यकर्ता देख भी रहा है ओर समझ रहा है कि दलितों की इस राजनीति से गांवों में
उसका उल्टा असर हो रहा है !गांवों में कहीं अलग पगंत या अलग से पानी भरने की बात
है भी तो वो उस गांव के सामाजिक सद्भाव में एक हिस्सा बन गई है जिसे दोनों ही पक्ष
स्वीकारते है ! अब पिड़ित पक्ष बोल ही नहीं रहा है ओर उसकी कोई लिखित शिकायत जिला
प्रशासन के पास लंबित ही नहीं है ! तो फिर मिनाक्षी मेडम क्या चाहती है ! क्या वे
गांवों की सामाजिक व्यवस्थाओं को जो भले ही कानुनी मान्यताओं पर ठीक नहीं है उनको
उलटकर गांवों का बना बनाया सामाजिक ताना बाना नड्ढ नहीं करना चाहती है ! क्या ये
सबकुछ उनकी वर्ग संघर्ष की एक छिपे एजेंडे को रेखाकिंत करता नजर नहीं आ रहा ! लोग
उनके आन्दोलन पर सवालों की झडी लगाते नजर आ रहे है! वे कहते है, सांसद प्रतिनिधि
बनने में तो आचार संहिता है ! कर चोरी नहीं करने की नसीहत देती ! पर, अपने साथ बिजली
चुराने वालों ओर नकली आटो पार्ट्स बेचने वालों को लेकर घुमती है ! लोग ये भी कहते
है कि आज उन पर बीती तो वे कलेेक्टर कार्यालय तक का घेराव करने की सलाह देती है !
प्रदर्शन करने को कहती है ओर मंदसौर में कांग्रेस के पार्षद भाजपा के दबाव में उन
पर की जा रही पुलिसिया कार्यवाही का व्यथा बताने पहुंचते है तो उन्हें नैतिकता की
बातें बताती है ! ऐसे उन्हें गांधीवादी दर्शन समझाती है मानो गांधीजी के बाद वे ही
उनके अनुरूप अवतारी पुरूष है ! वे कहती है,तुम गलत हो ! तुम को नपा से माफी मांगनी
चाहिए ! अब उन पार्षदों की हालत देखने लायक थी ! वे हुबहु मीनाक्षी मेडम को अपने
सामने गांधीजी के अवतारी पुरूष के रूप में देख ओर समझ रहे थे ! अब मेडम को कौन
समझाये कि मंदसौर के तमाम कांग्रेसजनों ने एकजुटता दिखाते हुवे सात दिनों तक
मंदसौर के इन कांग्रेसी पार्षदों के पक्ष में सड़कों पर हल्ला बोला था ! इतने बड़े
प्रतिðा के इस
मुद्दे को मीनाक्षी मेडम उन पार्षदों सामने ही एक झटके में खत्म कर दिया ! ओर इधर, नीमच मेें कलेक्टर
ने उनके साथ क्या कुछ किया या नहीं अभी जो विवादित है जो एक पक्षीय है उसे लेकर
मीनाक्षी मेडम नीमच के कांग्रेसजनों से गंभीर याचक की मुद्रा में कलेक्टर के खिलाफ
संघर्ष करने को कहती है ! इससे उनका दौहरा चरित्र उजागर होता है ! उन पर बीती तो
गांधी भवन में बैठक भी हो गई ओर आन्दोलन की रूपरेखा भी बन गई ! पर, बरखेड़ा हाड़ा गांव
के लोगों पर झूठे मुकदमें बने तो उनके लिए कोई लड़ने वाला नहीं है ! पुलिस वालों पर
उनके मामलों में लगी धारा 307 कोर्ट से हट भी गई ओर पुलिस वालों की
जमानते भी हो गई पर,
गांव वाले अभी तक मारे मारे फिर रहे है ! राज्यपाल तक हो आये
! वे कांग्रेस के लोग है पर, उनके लिए बोलने वाले नहीं है ! कांग्रेस के
लोग ये भी कह रहे है कि जिन 120 गांवों में जहां से वे संजीवनी निकालकर लाई
है उनके बारे में उनसे पहले कांग्रेस का क्या कोई दलित नेता भी बेखबर था जो आज तक
इन गांवों के शोषण की दास्तान पर परदा पड़ा था ! साफ जाहिर है, कांग्रेस
कार्यकर्ताओं की आड़ में वो दोहरा राजनीतिक गेम खेल रही है ! वे दिल्ली की
चतुरसुझान नेता है ! एक गेम तो इस बहाने रिसर्च पुरा करने का है ! उसमें माल मिलना
तय होता ही है ! दुसरा वे भाजपा की दलित चुनौतियों से भी आहत होकर उससे भी निपटने
की कोशिशे करती नजर आ रही है ! कांग्रेस का काम भी कर रही है ओर राहुल बाबा को
जमीनी संघर्ष करने के उनके माद्दे की पटकथा भी तैयार हो रही है ! पर इस खेल में
कांग्रेस कार्यकर्ता बेबस होकर सिवाय कांग्रेस के नुकसान के अलावा न तो कुछ देख पा
रहा है ओर न ही कुछ समझ पा रहा है ! वो समझ रहा है ! मिनाक्षी मेडम का ये फंडा ठीक
उसी तरह का है जब दिग्गी राजा ने अपने दुसरे कार्यकाल के अंतिम दिनों में दलितों
को जमीन देने का कार्ड खेला था ! कार्यकर्ता को मालुम है कि तब उस कार्ड के क्या
नतीजे आये थे ! प्रत्येक विधानसभा सीट पर प१ीस हजार के अन्तर की ऐतिहासिक हार मिली
थी ! वो समझ रहा है मेडम नहीं समझ रही हैकि ऐसे हालातों में फिर वैसे ही हालात उन 120 गांवों में बन पड़े
है जहां मेडम जाकर आई है ! फिर वैसे ही नतीजे आयेंगे ! उन गांवों में एक अज्ञात भय
समाता नजर आ रहा है ! शायद ये मेडम को समझ नहीं आ रहा है !
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