क्या बिना हिजाब
पहने खेल सकेंगी सऊदी खिलाड़ी?
(के.अमित)
लंदन (साई)।
अंतरराष्ट्रीय जूडो फ़ेडरेशन ने कहा है कि सऊदी अरब की एक खिलाड़ी को हिजाब पहनकर
ओलंपिक में खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। 18 साल की वोज्दान अली सेराज अब्दुलरहीम
शाहर्खानी, सऊदी अरब
की उन दो महिला खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें ओलंपिक में पहली बार खेलने का
मौका मिला है।
जूडो फेडरेशन के इस
फैसले से वोज्दान अली सेराज अब्दुलरहीम शाहर्खानी के ओलंपिक में हिस्सा लेने पर
संकट पैदा हो सकता है क्योंकि सऊदी नेताओं ने पहली बार ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों
को इसी शर्त पर भेजने का फैसला लिया था कि वो मुस्लिम महिलाओं के लिए निर्धारित
कपड़े पहनकर खेल में हिस्सा लेंगी जिसमें हिजाब भी शामिल था।
अंतरराष्ट्रीय
ओलंपिक समिति ने शाहर्खानी को लंदन ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए खास निमंत्रण
भेजा था। इससे पहले उन्होंने किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में
हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन गुरूवार को अंतरराष्ट्रीय जूडो फेडरेशन के अध्यक्ष
मैरियस वाइज़र ने कहा, कि जूडो के नियमों के मुताबिक वोज्दान अली सेराज अब्दुलरहीम
शाहर्खानी हिजाब पहन कर मुकाबला नहीं कर सकती हैं।
इससे पहले एशियाई
जूडो फेडरेशन ने बड़ी प्रतियोगिताओं में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने की अनुमति
दी थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय जूडो फेडरेशन ने ओलंपिक में इसकी इजाज़त नहीं दी है।
जूडो अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस बात का फख्र है कि जूडो ऐसा पहला खेल है
जिसमें सऊदी अरब की महिला खिलाड़ी हिस्सा ले रही हैं।
लेकिन साथ ही जूडो
फेडरेशन के प्रवक्ता निकोलस मेस्नर ने कहा कि सऊदी खिलाड़ी को हिजाब के साथ मुकाबले
में हिस्सा न लेने देने का फैसला खिलाड़ी की सुरक्षा के लिहाज से लिया गया।
उन्होंने कहा, कि जूडो
में खेल की जो तकनीक है उसमें हिजाब खतरनाक साबित हो सकती है। मेस्नर ने ये भी कहा
कि जापानी मार्शल आर्ट जूडो, राजनीति और धर्म जैसी बातों में अंतर नहीं
करता और खेल में तो प्रतियोगियों के बीच केवल जूडो के स्तर को लेकर बात होनी
चाहिए।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्य खेलों में प्रतिबंध नहीं है। ताएक्वांडो
में हिजाब पहनकर खेलने की अनुमति होती है। विश्व ताएक्वांडो फेडरेशन ने मुस्लिम
महिलाओं को खेल में शामिल करने के लिए हाल के वर्षाे में खेल के नियमों में बदलाव
किया है लेकिन ताएक्वांडो खिलाड़ियों को हिजाब के ऊपर एक हेडगार्ड भी पहनना होता
है।
उधर, फुटबॉल की
अंतरराष्ट्रीय संस्था फीफा ने भी हिजाब पर लगे पांच साल के प्रतिबंध को हटा लिया
है और अब महिलाओं को भी सिर ढककर फुटबॉल खेलने की इजाज़त दे दी गई है। गौरतलब है कि
इससे पहले जूडो फेडरेशन ने बालों को ढककर महिलाओं के खेल में हिस्सा लेने पर
प्रतिबंध नहीं लगाया था।
वोज्दान अली सेराज
अब्दुलरहीम शाहर्खानी अपने पिता से जूडो सीखती थीं जो कि एक कोच हैं और
अंतरराष्ट्रीय रेफ्री भी हैं। शाहर्खानी को ओलंपिक में 78 किलोग्राम से
ज्यादा के वर्ग में खेलना है और उनका पहला मुकाबला तीन अगस्त को प्यूर्टाेरिको की
मेलिसा मोजिका के साथ है।
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