फिल्म समीक्षा
दंबग-2
(चंद्र मोहन शर्मा)
कलाकार: सलमान खान, सोनाक्षी सिन्हा, विनोद खन्ना, अरबाज खान, माही गिल, दीपक डोबरियाल, प्रकाश राज,
निर्माता निर्देशक: अरबाज खान
गीत: कुमार, साजिद-वाजिद
दो साल पहले दबंग ने कामयाबी और कमाई का
नया इतिहास रचा। इसने सलमान को ऐसा ब्रैंड बनाया, जिनका नाम ही कामयाबी की गारंटी था।
दबंग के बाद रेडी, बॉडीगार्ड, एक था टाइगर सभी सुपरहिट रहीं। ऐसे में सलमान के भाई अरबाज खान इस नाम
को दोबारा कैश करने का मोह भला कैसे छोड़ते? अरबाज को लगा कि बॉक्स ऑफिस पर सलमान का
नाम ही काफी है, इसलिए फिल्म के निर्देशन की कमान भी संभाली जाए। यहीं उनसे ऐसा मिसफायर
हुआ, जिससे अंत तक वह नहीं संभल पाए।
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी चुलबुल पांडे
के सामने दूसरे किसी किरदार को उभरने का मौका न मिलना है। पिछली फिल्म में चुलबुल
पांडे की बीवी बन चुकी रज्जो इस बार आदर्श पत्नी बन चुकी है। मक्खी इस बार भी घर
में पलंग पर लेटा नजर आता है। हां, सलमान ने अपने उन फैंस की हर पसंद का
ध्यान रखा है जो थिएटर में कुछ और नहीं बस सलमान को देखने आते हैं। तभी तो पर्दे
पर चुलबुल कुछ भी, कैसा भी करते हैं, पूरा हॉल सीटियों और तालियों से गूंज
उठता।
यूपी की लालगंज चौकी से चुलबुल पांडे
(सलमान खान) का तबादला अब कानपुर हो चुका है। पिछली फिल्म में सौतेले पिता और भाई
से दूरियां बनाए रखने वाले चुलबुल अब पिता प्रजापति पांडे( विनोद खन्ना) और भाई
मक्खी ( अरबाज खान) के साथ एक ही छत के नीचे अच्छे माहौल में रहते है। चुलबुल की
वाइफ रज्जो ( सोनाक्षी सिन्हा) शादी के बाद अब पति , ससुर और देवर की सेवा में बिजी रहती है।
छेदी लाल को अंजाम तक पहुंचाने वाले चुलबुल ने अब कानपुर में आतंक की पहचान बन
चुके बच्चा सिंह (प्रकाश राज) और उसके दोनों भाइयों के आतंक को खत्म करने की मुहिम
संभाली है। चुलबुल के काम करने का अंदाज वहीं पुराना और इमेज रॉबिन हुड वाली है।
शहर के एक स्कूल से किडनैपर्स बच्चे को अपने दमखम से छुड़ाने के एवज में चुलबुल को
दस लाख रुपये के नोटों से भरे उस बैग को लेने में कोई बुराई नजर नहीं आती जो बच्चे
के पिता को फिरौती के तौर पर कैडनैपर्स को देने थे। चुलबुल अभी भी अपनी ऊपर की
कमाई में से पुलिस फंड में हिस्सा देना नहीं भूला है। इंटरवल तक चुलबुल का ज्यादा
वक्त पिता, भाई और वाइफ से हंसी मजाक के माहौल में गुजरता है। इंटरवल के बाद चुलबुल
का बच्ची सिंह से सीधा टकराव होता है और यहीं से सुस्त रफ्तार से आगे खिसकती फिल्म
रफ्तार पकड़ती है।
चुलबुल पांडे का किरदार फिल्म के दूसरे
किरदारों पर इस कदर भारी पड़ा कि दूसरे किरदार बौने बनकर रह गए। फिल्म के मुख्य
विलन बच्ची सिंह के किरदार में प्रकाश राज जैसे मंजे हुए ऐक्टर के लिए चंद डायलॉग
और पिटने कि सीन्स रखे गए। सोनाक्षी बस शोपीस बनकर रह गईं। हां, चुलबुल पर टिकी इस फिल्म में विनोद
खन्ना और दीपक डोबरियाल दो ऐसे किरदार हैं, जिन्होंने अपनी भी मौजूदगी दर्ज कराई।
बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म में
अरबाज भाई सलमान के स्टारडम के हैंगओवर के ऐसे शिकार हुए कि उन्हें सिर्फ भाई ही
नजर आए। बेशक, अरबाज ने सलमान और विनोद खन्ना पर कई अच्छे इमोशनल सीन्स शूट किए। हां, सलमान के उन फैंस के लिए जो सिर्फ सलमान
को देखने आते हैं, उनकी कसौटी पर खरा उतरने वाला हर मसाला अरबाज ने फिल्म में खूबसूरती से
पेश किया।
साजिद-वाजिद का संगीत रिलीज से पहले हिट
है। बेशक, करीना पर फिल्माए आइटम नंबर फेविकोल में मुन्नी बदनाम जैसा जलवा दिखाई
नहीं देता। वहीं भोजपुरी लोकगीत फलैरी बिना चटनी कैसे बनी का फिल्मांकन अच्छा है।
(साई फीचर्स)
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