शिकायत और सुझाव
में उलझी सरकार
(शरद)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर विचार के लिए विशेष कार्यदल
का गठन किया है। इस कार्यदल में १३ सदस्य होंगे, जिसकी अध्यक्षता
केन्द्रीय गृहसचिव करेंगे। गृहमंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह
कार्यदल महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में पुलिस और दिल्ली सरकार की कार्रवाई की
लगातार निगरानी करेगा और इस मुद्दे पर संसद में बहस के दौरान सांसदों के सुझावों
पर भी विचार करेगा।
गृहमंत्री सुशील
कुमार शिंदे ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि वे न्यायमूर्ति
जे.एस. वर्मा समिति को बलात्कार कानूनों की समीक्षा के लिए अपने सुझाव दें।
महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार के मामलों में फैसला शीघ्र करने और सजा बढ़ाने के
मौजूदा प्रावधानों में संशोधन के लिए सुझाव के वास्ते इस समिति का गठन किया गया
है।
उधर, दूसरी ओर दिल्ली
सामूहिक दुष्कर्म मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति उषा
मेहरा आयोग ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर शिकायत और सुझाव आमंत्रित किये हैं।
गृहमंत्रालय के बयान में कहा गया है कि न्यायमूर्ति मेहरा की अध्यक्षता में यह
आयोग नई दिल्ली में विज्ञान भवन स्थित कार्यालय से काम करेगा। यह आयोग महिलाओं
विशेष रूप से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की महिलाओं की सुरक्षा में
सुधार लाने के उपायों के बारे में सुझाव देगा। २६ दिसम्बर को गठित यह आयोग तीन
महीने के अंदर रिपोर्ट देगा जिसे संसद में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई रिपोर्ट के
साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
23 साल की कमसिन के
साथ गेंग रेप और उसकी मौत के 16 दिन बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई। दिल्ली पुलिस
मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दिल्ली पुलिस ने उस
बस मालिक पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है, जिसकी बस में १५ दिन पहले २३ वर्षीय छात्रा
के साथ बस के कर्मचारियों ने कथित सामूहिक दुष्कर्म किया था। उत्तरी दिल्ली जिले
के पुलिस उपायुक्त ने कहा कि बस मालिक पर भारतीय दंड संहिता की धारा-चार सौ बीस और
एक सौ ८१ के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये धाराएं धोखाधड़ी और सरकारी अधिकारी के
समक्ष शपथ-पत्र में झूठा बयान देने से संबंधित हैं। जांच के दौरान विसंगति सामने
आने पर यह मामला दर्ज किया गया है। बस मालिक पर आरोप है कि उसने बस का परमिट और
रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र लेने के लिए राज्य परिवहन विभाग को गलत जानकारी दी थी।
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