थरूर विवाद और
ट्वीट
(रश्मि सिन्हा)
नई दिल्ली (साई)।
अपनी अनर्गल बयानबाजी और सोशल नेटवर्किंग वेब साईट ट्वीटर को सरकारी नोटशीट समझने
वाले शशि थरूर एक बार अपनी कुर्सी गंवाने के बाद भी नहीं चेते हैं। हाल ही में
उन्होंने एक बार फिर ट्वीट कर माहौल को गर्मा दिया है। इस बार उन्होंने बलात्कार
पीडिता की पहचान छिपाने पर ही प्रश्न लगा दिए हैं।
केंद्रीय मानव
संसाधन विकास राज्य मंत्री शशि थरूर ने गैंगरेप पीड़ित लड़की की पहचान छिपाने की
जरूरत पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे थरूर का निजी विचार बताया तो
बीजेपी ने इसे असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की सरकार की कोशिश करार दिया। कानूनन
किसी रेप पीड़ित की पहचान उजागर नहीं की जा सकती। ऐसा करने पर सजा का प्रावधान है।
थरूर ने ट्वीट करके
आश्चर्य जताया कि दिल्ली में गैंगरेप की शिकार लड़की की पहचान छिपाने से किसका हित
सध रहा है। उसकी पहचान उजागर करके उसे सम्मान क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? अगर लड़की के
परिजनों को आपत्ति न हो तो रिवाइज्ड एंटी रेप कानून का नामकरण उसके ऊपर किया जाना
चाहिए। वह सिर्फ सिंबल नहीं, एक इंसान भी थी।
थरूर के बयान के
बाद ट्विटर पर यह मुद्दा गरम हो गया। तमाम लोगों ने इसका विरोध किया तो समर्थन
करने वाले भी कम नहीं थे। एक्टिविस्ट किरन बेदी ने भी थरूर का समर्थन करते हुए कहा
कि इस तरह लड़कर जीतने की उस लड़की की इच्छा को अमर बनाया जा सकेगा। अमेरिका में भी
कई बार ऐसा हो चुका है।
बीजेपी प्रवक्ता
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यह समय रेप के खिलाफ कड़े कानून बनाने का है। नामकरण या
पीड़िता की पहचान को सीक्रेट रखना मुख्य मुद्दा नहीं है। हम सबको सुप्रीम कोर्ट की
गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए। इस बीच, मुंबई में विले पार्ले से कांग्रेस विधायक
कृष्ण हेगड़े ने सीएम से मांग की है कि शहर में निर्माणाधीन मिलन फ्लाईओवर का नाम
गैंगरेप पीड़िता के नाम पर रखा जाना चाहिए।
ज्ञातव्य है कि
मीडिया को भी आदर्श आचार संहिता के तहत बलात्कार पीडिता का फोटो, उसकी पहचान, नाम आदि उजागर ना
करने के निर्देश हैं। जब मीडिया इसके पालन के प्रतिबद्ध नजर आता है तो सरकार के एक
नुमाईंदे का इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान आश्चर्य ही पैदा कर रहा है।
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