बुधवार, 2 जनवरी 2013

कमल और चिदम्बरम हो गए मन के सुपरमैन


कमल और चिदम्बरम हो गए मन के सुपरमैन

(आशीष माहेश्वरी)

नई दिल्ली (साई)। यूपीए सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों जगह दो नेताओं पर सबकी नजर है। जिस अंदाज में पी चिदंबरम और कमलनाथ का ग्राफ बढ़ा है, वह हैरान करने वाला है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम अघोषित रूप से सरकार में नंबर दो की भूमिका निभा रहे हैं तो संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री कमलनाथ सरकार के नंबर एक संकटमोचक बन कर उभरे हैं। सरकार के कामकाज में इन दोनों मंत्रियों की भूमिका गजब अंदाज में बढ़ी है।
बताया जा रहा है कि कानूनी और प्रशासन के मामलों में प्रधानमंत्री चिदंबरम पर वैसे ही निर्भर हुए हैं, जैसे कभी प्रणब मुखर्जी पर निर्भर थे। दिल्ली में सामूहिक बलात्कार की घटना की जांच के लिए आयोग के गठन की बात हुई तो उसका टर्म एंड कंडीशन तय करने में अंतिम फैसला चिदंबरम का रहा। जबकि कानून मंत्री अश्विनी कुमार हैं। कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बात करने का जिम्मा भी चिदंबरम को दिया गया, जबकि यह मामला गृह मंत्रालय का था। सरकार ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को इससे अलग किया। दिल्ली पुलिस का जिम्मा दिल्ली सरकार को दिए जाने के सवाल पर चिदंबरम ने दो टूक जवाब दिया कि ऐसा नहीं हो सकता है। यह सवाल भी गृह मंत्रालय से जुड़ा था।
इसी तरह दिल्ली में चल रहे प्रदर्शन के दौरान शीला दीक्षित गृह मंत्री शिंदे से मिलने गईं तो वहां कमलनाथ भी पहुंचे। शीतकालीन सत्र में सरकार का संकट प्रबंध संभालने के बाद उन्हें इस मामले में भी शामिल किया गया। उनकी तरक्की का एक संकेत यह भी है कि उन्हें बतौर शहरी विकास मंत्री योजना आयोग में सदस्य के रूप में जगह मिल गई है। इससे पहले यह जगह ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश को मिली थी। लेकिन रमेश को हटा कर यह जगह कमलनाथ को दी गई है। यह उनकी बढ़ती हैसियत का प्रमाण है।

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