बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

सिवनी : क्या जनसंपर्क की वेबसाईट का पता बदल गया!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 64

क्या जनसंपर्क की वेबसाईट का पता बदल गया!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क की वेब साईट को दिनों दिन अच्छे रिस्पांस मिलने से लोगों की नजरें इस पर होना स्वाभाविक ही है। मध्य प्रदेश जनसंपर्क के सिवनी जिला कार्यालय की चाणक्य और कृतिदेव फान्ट में जारी सरकारी विज्ञप्ति को अगर सही माना जाए तो जनसंपर्क विभाग की वेब साईट हैक हो गई है, या फिर इसका यूआरएल बदल गया है। लोगों के द्वारा इसके यूआरएल को खोलने पर इंटरनेट ब्राउजर पेज नाट फाउन्ड का संकेत दे रहा है।
जी हां, समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने जब चित्र में प्रदर्शति समाचार में जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेब साईट का पता डब्लूडब्लूडब्लू डॉट एमपीइन्फो डॉट ओआरजी बदलकर कुछ दक्षिण भारत की प्रचलित अथवा संस्कृत की भाषा में हो गया है। जनसंपर्क विभाग के सिवनी कार्यालय द्वारा समाचार पत्रों को 26 फरवरी को जो ईमेल भेजा है उसमें निम्न समाचार चाणक्य और कृतिदेव फान्ट में अलग अलग प्राप्त हुए हैं।
जनसंपर्क विभाग के सिवनी कार्यालय ने अपने विभाग की पींठ खुद ही ठोंकते हुए जनसंपर्क की वेबसाइट की लोकप्रिय्ाता बढी  --  पिछले ६ वर्ष की तुलना में गत वर्ष १॰ गुना हिट्स शीर्षक से एक समाचार जारी किया है। इस समाचार के अनुसार सिवनी २६ फरवरी १३/ राय्ा शासन के जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट ध्र्ध्र्ध्र्.थ्र्द्रत्दढदृ.दृद्घढ की लोकप्रिय्ाता निरंतर बढ रही है। पिछले ६ वर्ष की तुलना में गत वर्ष वेबसाइट पर १॰ गुना अधिक लोगों ने हिट्स किय्ो हैं। वर्ष २॰१२ में वेबसाइट पर २॰ करोड ८९ लाख २२ हजार २९४ हिट्स हुए हैं। वर्ष २॰॰६ में वेबसाइट पर २ करोड ७॰ लाख से अधिक हिट्स रिकार्ड किय्ो गय्ो थे। जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट एक बहुभाषी वेबसाइट है, जिस पर हिन्दी के अलावा अंग्रेजी, उर्दू और संस्कृत में भी समाचार देखे जा सकते हैं। विभाग की वेबसाइट पर प्रतिदिन जारी होने वाले समाचारों के साथ-साथ विज्ञापन, आलेख, फोटोग्राफ्स और प्रदेश के बारे में विविध जानकारी भी उपलब्ध है। इसके अलावा साप्ताहिक रोजगार और निर्माण, मध्य्ाप्रदेश संदेश जैसे विभागीय्ा प्रकाशन भी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसी प्रकार विभाग की पत्र्ा परिनिरीक्षण शाखा की वेबसाइट ध्र्ध्र्ध्र्.थ्र्द्रदड्ढध्र्ùðद्घडण्.दृद्घढ पर पिछले वर्ष ४॰ लाख ८९ हजार ३३१ हिट्स किय्ो गय्ो। इस वेबसाइट पर समाचार-पत्र्ाों की कतरनें स्केन कर उन्हें अपलोड किय्ाा जाता है। इस वेबसाइट पर प्रतिदिन राष्ट्रीय्ा, स्थानीय्ा समाचार-पत्र्ाों की कतरनों के साथ-साथ शाम की खबरें भी देखी जा सकती हैं। वेबसाइट पर दिल्ली, मुम्बई सहित सभी संभागीय्ा कायर््ाालय्ाों से प्राप्त क्लिपिंग्स भी देखी जा सकती हैं। विभाग द्वारा ३१ जनवरी, २॰१२ से शुरू किए गए डिस्ट्रिक्ट न्य्ाूज पोर्टल ध्र्ध्र्ध्र्.ड्डद्रद्घथ्र्द्र.दृद्घढ पर दिसम्बर, २॰१२ तक २ करोड ३ लाख ४४ हजार ६६२ हिट्स किय्ो गय्ो। पहले छह माह में विजिटर द्वारा ७१ लाख ९६ हजार २९४ हिट्स किय्ो गय्ो थे। उल्लेखनीय्ा है कि जनसम्पर्क मंत्र्ाी श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने ३१ जनवरी २॰१२ को डिस्ट्रिक्ट न्य्ाूज पोर्टल का शुभारंभ किय्ाा था। पोर्टल में जिला जनसम्पर्क कायर््ाालय्ाों द्वारा जारी किय्ो जाने वाले सभी समाचार संबंधित जिले के पोर्टल पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। पोर्टल य्ाूनिकोड आधारित होने से समाचार-पत्र्ाों को चाणक्य्ा, कृतिदेव तथा अन्य्ा फोन्टस में प्राप्त करने की सहूलिय्ात रहती है। इस पोर्टल पर जिले की ऐतिहासिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक, पयर््ाटन, प्रशासनिक अधिकारिय्ाों के दूरभाष नंबर्स आदि की जानकारी भी उपलब्ध है।                                                                             
इस पूरे समाचार में ध्र्ध्र्ध्र्.थ्र्द्रत्दढदृ.दृद्घढ एवं ध्र्ध्र्ध्र्.थ्र्द्रदड्ढध्र्ùðद्घडण्.दृद्घढ तथा ध्र्ध्र्ध्र्.ड्डद्रद्घथ्र्द्र.दृद्घढ तीन न्यूज पोर्टल्स के बारे में उल्लेख किया गया है। इन तीनों में जो वेब एड्रेस दिया गया है वह पठनीय ही नहीं है। एसा प्रतीत हो रहा है मानो दक्षिण भारत की किसी भाषा अथवा संस्कृत का कोई शब्द हो। अब लोग भ्रमित हो रहे हैं कि कहीं मध्य प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी रीतियों नीतियों के प्रचार प्रसार के लिए पाबंद जनसंपर्क विभाग का यूआरएल तो नहीं बदल गया है।
जनसंपर्क विभाग पहले से ही चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है, एक के बाद एक कारनामों के बाद भी ना तो राज्य सरकार के जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा को ही इस बारे में सोचने की फुर्सत मिल रही है और ना ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी गिरती साख की ही परवाह दिखाई दे रही है। रही बात विपक्ष की तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी सत्ताधारी भाजपा की तर्ज पर ही लेट इट बीसे ही संतोष करती दिख रही है। कुल मिलाकर जनता के गाढ़े पसीने की कमाई से संचित राजस्व से तनख्वाह पाने वाले सरकारी कर्मचारी एक के बाद एक कर सरकारी धन की होली खेलते जा रहे हैं, गल्ति पर गल्ति करते जा रहे हैं पर सरकार खामोशी से सब कुछ देख सुन रही है मानो वह अब धृतराष्ट्र की भूमिका में आ गई है।

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