नाथ के गढ़ में
ठाकुरों की सेंध
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)।
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के प्रभाव वाले महाकौशल अंचल में अब उनका रसूख कम होता
दिख रहा है। नाथ के गढ़ में अब ठाकुरों का वर्चस्व दिखने लगा है। महाकौशल अंचल के
केंद्र बिन्दु सिवनी में जहां कभी कमल नाथ का सिक्का चलता था अब कांग्रेस महासचिव
राजा दिग्विजय सिंह,
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और विधानसभा उपाध्यक्ष
हरवंश सिंह ठाकुर की तूती बोल रही है।
बताया जाता है कि
पांच सालों में आए इस जबर्दस्त परिवर्तन में सिवनी जिले की ठाकुर लाबी का ज्यादा
वजनदार होना प्रमुख कारक बताया जा रहा है। वर्ष 2008 में जब सिवनी से
होकर गुजरने वाले फोरलेन हाईवे में अड़ंगे लगना आरंभ हुए और इसके लिए स्थानीय स्तर
पर ठाकुर क्षत्रपों ने सीधे सीधे तोप की नाल केंद्रीय मंत्री कमल नाथ की ओर कर दी
तब सिवनी के नागरिकों का कमल नाथ से मोहभंग होना आरंभ हो गया।
इसके उपरांत 2009 में जनता के मंच
जनमंच के द्वारा आहूत सिवनी बंद में तत्कालीन केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ
की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाली गई और जगह जगह उनके पुतले फूंके गए। इस समय सिवनी
जिले में कमल नाथ का झंडा डंडा उठाने वाले नेताओं ने मौन धारण करना ही उचित समझा।
शनैः शनैः समय बीता
और जिले की सियासत की धुरी ठाकुर क्षत्रपो के इर्दगिर्द समटनी आरंभ हो गई। भाजपा
ने तो खुद को संभाल लिया किन्तु कांग्रेस में बिखराव इस कदर हुआ कि एक एक कर सारे
सूत्र टूट टूटकर ठाकुर क्षत्रपों के इर्द गिर्द आकर जुड़ गए।
हाल ही में राजा
दिग्विजय सिंह की पत्नि के निधन पर सिवनी से कांग्रेस के अनगिनत नेता संवेदनाएं
प्रकट करने राघोगढ़ पहुंचे। वहीं बताया जाता है कि जब केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के
पिता और माता का निधन हुआ था तब सिवनी से एकाध नेता ही संवेदना प्रकट करने पहुंचे
थे।
जिला कांग्रेस के
सूत्रों का कहना है कि जिले की राजनीति में अब ठाकुरों का वर्चस्व हो गया है।
सिवनी के नेता जो कमल नाथ को अपना सरपरस्त मानते थे उनमें से अधिकांश नेता अब
दिग्विजय ंिसह, अजय सिंह
या हरवंश सिंह ठाकुर को अपना सरमायादार मानने लगे हैं। कुल मिलाकर हालात देखकर
लगने लगा है कि नाथ के गढ़ में अब ठाकुरों ने सेंध लगा ही दी है। कमोबेश यही स्थिति
कमल नाथ के प्रभाव वाले जबलपुर, मण्डला, नरसिंहपुर, डिंडोरी, बालाघाट जिलों में
होती दिख रही है।
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