मान गए युवराज!, एआईसीसी का बदलेगा
चेहरा
मां बेटा मिलकर चलाएंगे कांग्रेस प्राईवेट
लिमिटेड!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
आखिरकार, कांग्रेस
के युवराज राहुल गांधी को अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की
जिद के आगे झुकना ही पड़ा है। महामहिम राष्ट्रपति चुनावों के बाद कांग्रेस का चेहरा
मोहरा दोनों ही बदलने वाला है। महामहिम के चुनावों के तत्काल बाद राहुल को पार्टी
का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया जाएगा। फिर मां (श्रीमति सोनिया गांधी) और बेटा
(राहुल गांधी) मिलकर घोषित तौर पर कांग्रेस की नैया के खिवैया बनेंगे।
कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को
आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी अपनी
अज्ञात और रहस्यमयी बीमारी का रूटीन चेकअप कराकर जैसे ही एक जुलाई को स्वदेश वापस
आएंगी, वैसे ही
कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की बयार बहती दिख जाएगी।
कांग्रेस की नजरों
में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने को राजी
हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस का सत्ता और शक्ति का
शीर्ष केंद्र 10, जनपथ से
खसककर 12 तुगलक लेन
(बतौर सांसद राहुल गांधी को आवंटित सरकारी आवास) पहुंचने लगा है।
राहुल गांधी पर
उनकी मां श्रीमति सोनिया गांधी का दबाव था कि वे सरकार में शामिल हों। राहुल इसके
लिए सदा ही इंकार कर देते थे। अब सोनिया ने राहुल पर दबाव बनाया कि भले ही राहुल
सरकार में शामिल ना हों पर कम से कम वे संगठन की जवाबदेही लेने को तो तैयार हो
जाएं।
सूत्रों ने बताया
कि इस काम के लिए सोनिया गांधी ने अपने सबसे विश्वस्त अहमद पटेल, सुरेश पचौरी और
मोती लाल वोरा को पाबंद किया था। इन तीनों ने अपने अपने तरीके से राहुल को समझाया, अंततः श्रीमति
सोनिया गांधी की ढलती उम्र और बिगड़ते स्वास्थ्य को देखकर राहुल गांधी ने संगठन में
कार्यकारी अध्यक्ष बनने हेतु अपनी सहमति प्रदान कर ही दी।
सूत्रों का कहना है
कि राहुल ने कार्यकारी अध्यक्ष बनने के पहले देश भ्रमण का मन बनाया है। राहुल की
कर्नाटक और महाराष्ट्र की हालिया यात्राएं उनके इसी प्रोग्राम का हिस्सा मानी जा
रही है। उधर, सूत्रों ने
इस बात के भी संकेत दिए हैं कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों को एक सूत्र में
पिरोनेे की जवाबदेही भी एमपी के आदिवासी क्षत्रपों के कांधों पर डाली गई है। जल्द
ही शहडोल संभाग में आदिवासियों का एक बहुत बड़ा सम्मेलन हो सकता है।
राहुल गांधी ने
बतौर कार्यकारी अध्यक्ष अपनी टीम के गठन की कावायद भी आरंभ कर दी है। राहुल के
करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एआईसीसी फेरबदल में
बी.के.हरिप्रसाद और राजा दिग्विजय सिंह का कद कम किया जा सकता है। हरि प्रसाद और
दिग्गी राजा को उनके गृह प्रदेशों की कमान सौंपी जा सकती है ताकि वहां विधानसभा
चुनावों में कांग्रेस अपना परचम लहरा सके।
इसके साथ ही साथ
एआईसीसी से गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक, विलास मुत्तेमवार, पंजाब के प्रभारी
महासचिव गुलचैन सिंह चरक, डी.आर.शांडिल्य, मोहन प्रकाश, चौधरी वीरेंद्र
सिंह जैसे नेताओं को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। इनमें मोहन प्रकाश को
राजस्थान की कमान सौंपी जाने के संकेत मिले हैं।
राहुल के नए
सलाहकार के रूप में प्रचारित हो रहे सत्यव्रत चतुर्वेदी को उत्तर प्रदेश का
प्रभारी महासचिव बनाया जा सकता है। एआईसीसी में आमद देने वाले वायलर रवि को गुलाम
नबी आजाद के स्थान पर आंध्र का नया प्रभारी बनाया जा सकता है। आजाद को वासनिक के
साथ मंत्री पद की मलाई बाकायदा चखने के लिए छोड़ा जाएगा। टीम राहुल में अपेक्षाकृत
युवाओं को ज्यादा तरजीह दी जाएगी।
राहुल के कार्यकारी
अध्यक्ष और सोनिया के अध्यक्ष रहने तथा अनेक कद्दावर नेताओं के एआईसीसी से बाहर का
रास्ता दिखाए जाने की संभावनाओं के चलते अब एआईसीसी का महौल गर्मा गया है। एक
वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से
कहा कि अगर एसा हुआ तो आने वाले दिनों में विपक्ष के पास एक मुद्दा बैठे बिठाए ही
मिल जाएगा कि मां बेटा मिलकर कांग्रेस प्राईवेट लिमिटेड का संचालन कर रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें