बहुत जल्दी में हैं
नरेंद्र मोदी!
विधानसभा पूर्व ही होना चाहते हैं पीएम इन
वेटिंग
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भाजपा को अपनी शर्तों पर नाच नचाने वाले गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी बहुत ही
जल्दबाजी में दिख रहे हैं। मोदी चाह रहे हैं कि गुजरात विधानसभा चुनावों के पूर्व
ही उन्हें राजग का पीएम इन वेटिंग घोषित कर दिया जाए। मोदी चाहते हैं कि गुजरात का
चुनाव भी वे आम चुनावों के मुद्दे पर ही लड़ें ताकि उनकी छवि को अच्छी तरह से
प्रोजेक्ट किया जा सके। उधर, संघ और भाजपा इस बारे में विमर्श कर रहे हैं
कि अगला कदम क्या उठाया जाए?
नरेंद्र मोदी के
इर्द गिर्द से छन छन कर बाहर आ रही चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो मोदी भले ही
भाजपा संगठन को झुकाने का माद्दा रखते हों पर उन्हें सबसे ज्यादा खतरा इस वक्त
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और राज्य सभा के अरूण जेतली से नजर आ रहा
है। यही कारण है कि मोदी चाह रहे हैं कि तत्काल ही पार्टी उन्हें अगला पीएम
प्रोजेक्ट कर दे।
उधर, दिल्ली में
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय ‘केशव कुंज‘ में चल रही बयार के
अनुसार इस बारे में विमर्श होना अभी बाकी है। संघ ने इस बावत भाजपा को अभी कोई
लाईन नहीं दी है। यही कारण है भाजपा भी इस मसले पर शांत ही बैठी है। माना जा रहा
है कि सितम्बर में होने वाली भाजपा की नेशनल काउंसिल की बैठक में इस मुद्दे पर
चर्चा हो।
भाजपा के अंदरखाने
में चल रही चर्चाओें के अनुसार भाजपा नेतृत्व अभी इस उहापोह में ही है कि क्या
अगला चुनाव किसी चेहरे को आगे कर लड़ा जाए या नहीं? अगर चेहरा सामने
किया जाए तो वह चेहरा कौन हो? दरअसल, इस चर्चा के जनक भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी ही
बताए जा रहे हैं, जिन्हें
शंका है कि अगर किसी का चेहरा आगे किया गया तो उनकी बिसात महज पार्टी अध्यक्ष की
ही रह जाएगी। इसके साथ ही साथ इस बात पर भी विमर्श होना बाकी है कि क्या नरेंद्र
मोदी का चेहरा राजग के घटक दलों को स्वीकार्य होगा?
इतिहास पर अगर नजर
डाली जाए तो साफ होता है कि पार्टी ने सदा ही किसी ना किसी का चेहरा सामने कर
चुनाव लड़ा है पर वह चेहरा कभी भी पार्टी के नेशनल प्रेजीडेंट का नहीं रहा है।
ज्ञातव्य है कि जिस वक्त भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी को प्रोजेक्ट किया था तब
पार्टी के अध्यक्ष एल.के.आड़वाणी थे।
इसके उपरांत 2009 में जब
एल.के.आड़वाणी का चेहरा आगे किया गया था उस वक्त पार्टी की नेशनल प्रेजीडेंट की
आसनी पर राजनाथ सिंह विराजमान थे। इन दोनों ही उदहारणों से साफ हो जाता है कि इस
बार अगर किसी का चेहरा सामने कर पार्टी चुनावों में उतरती है तो इसमें नितिन गड़करी
का चेहरा सामने लाने के लिए पार्टी को पुरानी परंपराओं को तोड़ना होगा।
इसके साथ ही साथ एक
बात पर और गौर करें तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की आसनी पर बैठे व्यक्ति को ही
अगले बार पीएम का स्वाभाविक दावेदार समझा जाता है। पिछली मर्तबा जब आड़वाणी को
प्रोजेक्ट किया गया था उस वक्त अटल बिहारी बाजपेयी एनडीए के साथ ही साथ संसदीय दल
के अध्यक्ष थे। वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष के पद पर सुषमा स्वराज विराजमान हैं।
सुषमा भी मन मारकर
ही रह रहीं होंगी क्योंकि आड़वाणी के दावा छोड़ने के उपरांत ही वे अपना दावा करने की
स्थिति में आ सकती हैं। उधर, जेतली भी अंदर ही अंदर अपने लिए आधार पुख्ता
करने में जुट चुके बताए जा रहे हैं। सारे समीकरणों को देख सुनकर ही संभवतः नरेंद्र
मोदी बहुत जल्दी में नजर आ रहे हैं और वे चहते हैं कि उनको जल्द से जल्द भाजपा
प्रोजेक्ट कर दे ताकि बाकी मामलों पर मट्टी डाल दी जाए।
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