जेपी सीमेंट मालिक
सन्नी गौड़ के खिलाफ दर्ज करो हत्या का मुकदमा
2007 में हुए गोलीचालन पर रीवा जिला न्यायालय का
एतिहासिक फैसला
(मनोज सिंह राजपूत)
भोपाल (साई)। मध्य
प्रदेश के रीवा जिला न्यायालय ने जेपी सीमेंट के मालिकों में से एक सन्नी गौड़ पर
भारतीय दंड विधान की धारा 302 के अंतर्गत हत्या का मुकदमा दर्ज करने का
एतिहासिक फैसला सुनाया है। अब इस मामले में कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
22 सितंबर 2007 को करीब डेढ़ सौ
युवा रीवा के नौबस्ता में स्थित जेपी सीमेंट उद्योग के समक्ष रोजगार दिये जाने की
मांग को लेकर प्रदर्शन करने गये थे। उनकी मांग थी कि करीब 25 वर्ष पहले इस
सीमेंट संयत्र की स्थापना के समय व इस दौरान किसानों से सस्ती व नाममात्र की दरों
पर ली गयी जमीन की खरीदी के वक्त जे पी प्रबंधन ने लिखित सहमति दी थी कि प्रत्येक
परिवार में से एक व्यक्ति को स्थायी नौकरी दी जायेगी। प्रदर्शनकारी युवा इसी सहमति
को पूरी किये जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। बिना किसी उकसावे के अचानक
कारखाने की ओर से गोलियां चलनी शुरू हो गई। गोलीचालन में एक 21 साल के युवक
राघवेन्द्र सिंह पटेल की मौके पर ही मौत हो गई जबकि कई दर्जन युवाओं के शरीर में
छर्रे लगे। उनमें से 6 को करीब एक सप्ताह रीवा मेडिकल कालेज के संजय गांधी अस्पताल
में भर्ती रहना पडा था।
घायलों की ओर से
इसी दिन रीवा के चोरहटा थाने में लिखाई गई रिपोर्ट में सन्नी गौड़ सहित जेपी
प्रबंधन के अनेक अधिकारियों को इस गोली चलान के लिये नामजद किया गया था। धारा 302 की रिपोर्ट दर्ज
होने के बावजूद बजाय उस पर कार्यवाही के घायलों पर ही दर्जन भर मुकदमे लगा दिये
गये और दबाव बनाने के लिए मिथिलेश सिंह, अजयपाल, अंजनी सिंह एडवोकेट
व पारसनाथ जैसे इस आन्दोलन के कार्यकर्ताओं को जिला बदर तक किया गया। खुद
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सरकार आनन फानन सक्रिय हुई। पहले सीआईडी जांच व बाद में
न्यायिक जांच के बहाने बिना किसी कानूनी अधिकार के 302 की शिकायत को ठंडे
बस्ते में डाल दिया गया और चुपके से खात्मा रिपोर्ट (एफ आर) लगा दी गयी। इसी बीच
एक जनहित याचिका में मप्र हाई कोर्ट जबलपुर ने फरियादियों को जिला न्यायालय में
जाकर पक्ष रखने को कहा। जुलाई 2011 से सुनवाई कर रहे जिला न्यायालय ने 3 जुलाई 2012 को दिये अपने
फैसले में सन्नी गौड पर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
0 मीडिया ने दबाई खबर
इस मामले में एक और
महत्वपूर्ण पहलू ये है कि इस फैसले की खबर ना तो रीवा के और ना ही प्रदेश के दूसरे
महत्वपूर्ण अखबारों ने प्रकाशित की है, इससे जेपी ग्रुप की मीडिया में पहुँच का
अंदाजा लगाया जा सकता है। यही कारण है की विन्ध्य क्षेत्र में इस ग्रुप के फैलते
जा रहे साम्रा्यय के खिलाफ सीपीआई (एम) को छोड़ दिया जाए तो कोई भी विरोध की आवाज
सुनाई नहीं पड़ती है। जबकि इस ग्रुप के क्रियाकलापों को लेकर स्थानीय लोगों में
भारी असंतोष और गुस्सा है।
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