गुरुवार, 5 जुलाई 2012

ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सूत्रधार ‘ब्रह्मकण’ की खोज!


ब्रह्मांड की उत्पत्ति के सूत्रधार ब्रह्मकणकी खोज!

(साई इंटरनेशनल डेस्क)

जिनेवा (साई)। भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए वैज्ञानिकों ने गॉड पार्टिकल के नाम से मशहूर एक सूक्ष्म कण हिग्स-बोसोन की खोज कर लेने का दावा किया है, जिससे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई है। स्विट्जरलैंड में जेनेवा के निकट यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन सी ई आर एन के अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने यह घोषणा की।
माना जाता है कि गॉड पार्टिकल उन कणों को द्रव्यमान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है, जिससे १३ अरब ७० करोड़ वर्ष पहले  हुए बिग बैंग यानी महाविस्फोट के बाद तारों और ग्रहों की उत्पत्ति हुई। इस ऐतिहासिक घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ब्रिटेन के वैज्ञानिक पीटर-हिग्स ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नही था, कि ऐसा उनके जीवन में हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि मैंने ४८ साल पहले जो कहा था यह उसी की पुष्टि है और यह काफी संतोषजनक है। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे भौतिक विज्ञान के मानक सिद्धांतों में क्या कुछ छिपा है इसके बारे में जानकारी मिलेगी और हमें इससे ब्रह्घ्मांड के साथ अधिक दिलचस्प संबंध स्थापित होने की उम्मीद है।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के  सृजन संबंधी कई पहेलियों के जवाब देने में सक्षम सभी कणों में सर्वाेपरि माने जाने वाले ब्रह्म कण हिग्स बोसोनको आज खोज लिया गया। इस खोज को वैज्ञानिकों ने चांद पर मानव के कदम रखने जैसा अभूतपूर्व कदम करार दिया है।
स्विट्ज़रलैंड और फ्रांस की सीमा पर स्थित 27 किलोमीटर लंबी एक भूमिगत सुरंग में हिग्स बोसोन पर वर्ष 2009 से दिन-रात शोध कर रही यूरोपीय परमाणु शोध संगठन (सेर्न) की दो टीमों एटलसऔर सीएमएस  ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इससे मिलते-जुलते कण के अस्तित्व की बात स्वीकार की।
गॉड पार्टिकल के बारे में माना जाता है कि यह उन कणों को द्रव्यमान प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है जिससे 13.7 अरब वर्ष पहले हुए बिग बैंग (महाविस्फोट) के बाद अंततरू तारों और ग्रहों का निर्माण हुआ। सर्न के महानिदेशक राल्फ् ह्यूर ने कहा, ‘प्रकृति को समझने में मील का पत्थर है।इस दौरान हिग्स बोसोन की परिकल्पना करने वाले ब्रिटिश भौतिकविद पीटर हिग्स भी यहां मौजूद  थे।
जेनेवा स्थित सेर्न प्रयोगशाला के खचाखच भरे आडिटोरियम में संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमें अपने आंकड़ों में एक नये कण के पाये जाने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। यह हमारे शोध संयंत्र लार्ज हेड्रोन कोलाइडर के 125 और 126 जीईवी क्षेत्र में स्थित है। यह एक अदभुत क्षण हैं। हमने अब तक मिले सभी बोसोन कणों में से सबसे भारी बोसोन को खोज निकाला है। सेर्न ने इन नये आंकड़ों को सिग्मा-05 श्रेणी में स्थान दिया है जिसके मायने होते हैं -नये पदार्थों की खोज।
पांच सिग्मा 99 प्रतिशत खोज की निश्चितता में तब्दील होती है और यह किसी भी कण के खोज होने की घोषणा से पहले आवश्यक होती है। इसके अतिरिक्त ऐसा माना जाता है कि हिग्स ऊर्जा स्पेक्ट्रम के निचले सिरे यानि 120 और 140 जीईवी के बीच छुपा रहता है।
हिग्स बोसोन पर आये मौजूदा नतीजे वर्ष 2011 के आंकड़ों पर आधारित हैं और इस वर्ष के आंकड़ों पर भी अभी भी अध्ययन चल रहा है। हिग्स बोसोन पर 2011 के आंकडों से जुड़ी सेर्न की विस्तृत रिपोर्ट के इस महीने के आखिर तक जारी होने की उम्मीद है।  इन नतीजों के जारी होने के साथ ही ब्रह्म कण (गॉड पार्टिकल) अब एक रहस्य या परिकल्पना मात्र नहीं रह गया है।
ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने वर्ष 1964 में इस कण की परिकल्पना को जन्म दिया था। इस कण का नाम श्री हिग्स और भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बसु के नाम पर रखा गया था।   हिग्स बोसॉन कण की अवधारणा सबसे पहले वर्ष 1964 में ब्रिटेन के वैज्ञानिक पीटर हिग्स सहित छह भौतिक वैज्ञानिकों ने दी थी। इस कण का नामकरण ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर हिग्स रखा गया जबकि बोसॉन शब्द भारतीय वैज्ञानिक सत्एंद्र नाथ बोस से लिया गया है। पीटर हिग्स सहित सभी वैज्ञानिकों ने इस घोषणा के बाद तालियां बजाकर सराहना की।
हिग्स ने एक घोषणा में कहा, ‘मुझे इस बात की कभी उम्मीद नहीं थी कि यह मेरे जीवनकाल में संभव होगा और मैं अपने परिवार के सदस्यों से कहूंगा कि वे फ्रिज में कुछ शैंपेन रख दें।आइंस्टीन ने बोस के क्वांटम यांत्रिकी पर किए गए कार्यों को अपनाया और उसे बोस..आइंस्टीन संकल्पना के रूप में विस्तारित किया। पचास वर्षों तक लापता हिग्स की खोज क्वांटम भौतिक विज्ञान की सबसे बड़ी पहेली बनी रही। वैज्ञानिकों ने इसकी खोज करने के लिए तीन अरब यूरो के खर्च से विश्व की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली अणु उत्प्रेरक लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर का निर्माण किया।
स्विट्जरलैंड-फ्रांस सीमा पर 27 किलोमीटर लंबी चक्करदार पाइप ढांचे में महाविस्फोट जैसी कृतिम स्थितियों का निर्माण किया था जिससे उत्प्रेरक अणुओं के बीच टक्कर हुई। लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर प्रयोग में प्रति सेकंड लाखों अणुओं को आपस में टकराने के लिए प्रोटोंस की दो किरणें आपस में टकराई गईं। इससे महाविस्फोट के बाद सेकंड के एक अंश के लिए रहने वाली स्थिति का निर्माण हुआ।  यही वह समय था जब हिग्स फील्ड अस्तित्व में आया। ऐसा माना जाता है कि हिग्स अणुओं ने ब्रह्मांड के निर्माण की प्रक्रिया में अन्य कणों को द्रव्यमान प्रदान किया।

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