कश्मीर घाटी से हुआ
60 हजार
हिन्दू परिवारों का पलायन
(अकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
केन्द्र ने कहा है कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंड़ितों के अब केवल 808 परिवार रह रहे हैं
तथा उनके 59442 पंजीकृत
प्रवासी परिवार घाटी के बाहर रह रहे हैं। गृह राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने
ज्ञानप्रकाश पिलानिया के सवाल के लिखित जवाब में जम्मू-कश्मीर सरकार के आंकड़ों के
हवाले से राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि
कश्मीरी पंड़ितों के घाटी से पलायन से पहले वहां उनके 430 मंदिर थे। अब
इनमें से मात्र 260 सुरक्षित
बचे हैं। मंत्री ने कहा कि 170 मंदिर क्षतिग्रस्त हो गये हैं। नब्बे
मंदिरों की मरम्मत करायी गयी है।
उन्होंने कहा कि
कश्मीरी प्रवासियों की समस्याओं को कम करने के लिए जम्मू एवं दिल्ली में प्रति
व्यक्ति को हर माह 1250 रुपये मुहैया
कराये जा रहे हैं। लेकिन हर माह इसके लिए प्रति परिवार पांच हजार रुपये की सीमा तय
की गयी है। यह मदद एक जुलाई 2007 से प्रभावी है।
मंत्री ने कहा कि
प्रवासियों की घाटी में वापसी स्वैच्छिक है तथा कोई रूपरेखा संभव नहीं है। घाटी
में वापस लौटने के इच्छुक प्रवासियों की वापसी को सुविधाजनक बनाने के लिए
प्रधानमंत्री ने वर्ष 2008 में 1618।40 करोड़ रुपये के एक व्यापक पैकेज की घोषणा की
थी। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत के लिए सहायता, ट्रांजिट आवास, नकद एवं राशन
सहायता जारी रखना,
छात्रवृत्ति, रोजगार एवं स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता
आदि शामिल हैं।
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