गुरुवार, 23 अगस्त 2012

पलाश: एक गुणकारी औषधि


हर्बल खजाना ----------------- 14

पलाश: एक गुणकारी औषधि

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। मध्यप्रदेश के लगभग सभी इलाकों में पलाश या टेसू प्रचुरता से पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्युटिया मोनोस्पर्मा है। पलाश की छाल, पुष्प, बीज और गोंद औषधिय महत्त्व के होते हैं। पलाश के गोंद में थायमिन और रिबोफ़्लेविन जैसे रसायन पाए जाते है।
पतले दस्त होने के हालात में यदि पलाश का गोंद खिलाया जाए तो अतिशीघ्र आराम मिलता है। पलाश के बीजों को नींबूरस में पीसकर दाद, खाज और खुजली से ग्रसित अंगो पर लगाया जाए तो फ़ायदा होता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी बवासीर के रोगियों को इसके ताजे कोमल पत्तों की भाजी घी में तैयार कर, दही और मलाई के साथ सेवन करने की सलाह देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि यदि इसके पुष्पों को पानी में उबाल लिया जाए और इस पानी से स्नान किया जाए तो सोरायसिस और अन्य चर्मरोगों में लाभ होता है। पातालकोट के भुमकाओं की मानी जाए तो संधिवात में इसके बीजों को शहद के साथ अच्छी तरह से पीसकर दर्द वाले हिस्सों पर लेपित किया जाए तो दर्द में आराम मिलता है।
शरीर में बुखार होने की वजह से जलन होने पर पलाश के पत्तों का रस लगाने से जलन का असर कम हो जाता है। मधुमेह में पलाश के फ़ूलों का चूर्ण लेने से फ़ायदा होता है। बिच्छु के काटे जाने पर आदिवासी पलाश के बीजों को गाय के दूध में घिसकर दंश वाले भाग पर लगाते है। (साई फीचर्स)

(लेखक हर्बल मामलों के जाने माने विशेषज्ञ हैं)

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