नगर पालिका सिवनी
में विज्ञापन घोटाला!
लाख रूपए महीने के विज्ञापन बांटे नगर
पालिका ने
नगरपालिका सिवनी का कारनामा
पूर्व पालिका परिषद ने भी विज्ञापन भुगतान
में जनता के पैसों का किय था बंदरबांट
(जाहिद कुरैशी)
सिवनी (साई)। 17 महीने और 17 लाख के विज्ञापन
आपको सुनकर आश्चयर््ा हो रहा होगा, लेकिन य्ो सच है। सिवनी नगरपालिका ने य्ाह
कारनामा कर दिखाय्ाा है। इस कारनामे के बाद सहजता से अंदाजा लगाय्ाा जा सकता है कि
जब विज्ञापनों पर नगरपालिका ने जनता के 17 लाख रूपय्ो बर्बाद कर दिय्ो तो पालिका
परिषद में नगरीय्ा निकाय्ा से आय्ो करोडों रूपय्ाों के फंड की किस तरह बंदरबांट की
गई होगी।
नगरपालिका सिवनी ने
अपने चहेते समाचार पत्र्ाों एवं न्य्ाूज चैनलों को महज डेढ वर्ष में लगभग 16 लाख 38 हजार विज्ञापन
भुगतान के रूप में अदा किय्ो हैं। य्ाह सनसनीखेज खुलासा पूर्व नपा अध्य्ाक्ष दादू
राजेंद्रसिंह के सुपुत्र्ा य्ाुवा दादू निखलेंद्र सिंह द्वारा सूचना के अधिकार के
तहत नपा से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ। इस पूरे मामले में आपको य्ाह जानकर भी
आश्चयर््ा होगा कि नपा द्वारा दिय्ो गय्ो लगभग 17 लाख रूपय्ो के
विज्ञापनों में से लगभग ढाई लाख रूपय्ो के विज्ञापन तो शहर के एक समाचार पत्र्ा को
ही अदा किय्ो गय्ो। इतना ही नहीं मजे की बात तो य्ाह है कि नपा द्वारा अदा किय्ो
गय्ो भुगतान में कुछ ऐसे समाचार पत्र्ाों के नाम भी शामिल हैं, जिनके प्रतिनिधि न
तो शहर में है और न ही वे समाचार पत्र्ा अस्तित्व में है।
उल्लेखनीय्ा है कि
दादू निखलेंद्रनाथ सिंह को सूचना के अधिकार के तहत नपा से जो जानकारी प्रदान की गई
है, वह दिनांक 08/10/2010 से 31/03/2012 तक की है, य्ाानि इस वर्ष के 05 माह आज दिनांक तक
बाकी हैं, जिनकी
विज्ञापन की जानकारी नपा द्वारा नहीं दी गई है।
ऐसे में य्ादि इन
पांच माहों की विज्ञापन जानकारी और वितरित भुगतान को 17 लाख रू. में
समावेश कर लिय्ाा जाय्ो तो लगभग 25 लाख रूपय्ो नगरपालिका द्वारा सिर्फ
विज्ञापन भुगतान में ही खर्च कर दिय्ो गय्ो हैं। ऐसे में सवाल य्ाह उठता है कि
क्य्ाा नगरपालिका परिषद सिवनी के लिय्ो नगरीय्ा निकाय्ा विकास मंत्र्ाालय्ा से कोई
विज्ञापन वितरण य्ाोजना निर्धारित नहीं की गई है? जिसके चलते पालिका
विज्ञापन बांटकर उनका भुगतान कर जनता के पैसों से नगर का विकास न कर बंदरबांट करने
में लगी हुई है।
बताय्ाा जाता है कि
सूचना के अधिकार के तहत प्रार्थीन बनकर दादू निखलेंद्र नाथ सिंह ने य्ाह भी
जानकारी चाही थी कि समाचार पत्र्ाों को किस- किस दर के हिसाब से विज्ञापन वितरित
किय्ो जाते हैं, जिसकी
जानकारी नगर पालिका परिषद द्वारा नहीं दी गई। दादू निखलेंद्रनाथ सिंह द्वारा नपा
सिवनी से प्राप्त जानकारी को फेसबुक साईट पर प्रसारित किय्ाा गय्ाा है, जिसे शहर के जागरूक
नागरिक देख सकते हैं। शहर में नपा सिवनी द्वारा शहर के एक समाचार पत्र्ा को सिर्फ 17 महीने में मालामाल
करने वाले विज्ञापन भुगतान की चारों तरफ चर्चा चल रही है कि आखिर क्य्ाा वजह है, जिसके लिय्ो पालिका
ने जनता की खून- पसीने की कमाई ढाई लाख रूपय्ो विज्ञापन भुगतान स्वरूप उक्त समाचार
पत्र्ा को दे दिय्ो।
गौरतलब है कि पिछली
पालिका परिषद भी विज्ञापन भुगतान के मामले में विवादाष्पद रही है और पूर्व पालिका
परिषद में भी भाजपा ही पालिका पर काबिज थी, उस समय्ा भी लखनवाडा के एक जागरूक य्ाुवा
सतीश ने सूचना के अधिकार के तहत पालिका परिषद से विज्ञापन भुगतान की जानकारी मांगी
थी और जानकारी मिलने के बाद लाखों रूपय्ो के बंदरबांट का खुलासा हुआ था, जिसकी शिकाय्ात
माननीय्ा उच्च न्य्ााय्ाालय्ा में भी की गई थी, जिसके आदेश पर एक
विशेष जांच दल गठित कर मामले की छानबीन के लिय्ो गठित किय्ाा गय्ाा था, लेकिन कब जांच हुई? और जांच दल ने
माननीय्ा उच्च न्य्ााय्ाालय्ा में क्य्ाा रिपोर्ट पेश की? इसका खुलासा आज
दिनांक तक नहीं हो पाय्ाा है और न ही जनता के पैसों का हिसाब पिछली परिषद ने
दिय्ाा है।
नगर पालिका द्वारा
दादू निखलेंद्र नाथ को जो जानकारी दी गई है उसके बाद जो तस्वीर उभरकर सामने आई है, उसमें से सिवनी से
प्रकाशित होने वाले दैनिक समाचार पत्र्ाों में से सबसे कम 03 हजार 8 सौ रूपय्ो
सांध्य्ा महाकौशल एक्सप्रेस को भुगतान किय्ो गय्ो हैं। इसके अलावा 2,48,400, 1,67,245, 11,490, 1,34,888,
45,261 रूपय्ो सिवनी से प्रकाशित होने वाले अन्य्ा दैनिक समाचार
पत्र्ाों को भुगतान किय्ो गय्ो हैं।
अब जबकि नगर पालिका
परिषद द्वारा बतौर विज्ञापन बांटे गय्ो लाखों रूपय्ो की सूची फेसबुक के माध्य्ाम
से उजागर कर दी गई,
ऐसे में अब नगर पालिका परिषद क्य्ाा कदम उठाती है? य्ाह तो भविष्य्ा
बताय्ोगा परंतु जनता के पैसों का इस तरह बंदरबांट करने से य्ाह तो तय्ा है कि
सिवनी नगर पालिका परिषद ने विज्ञापन वितरण की कोई कायर््ाय्ाोजना निर्धारित नहीं
की है, जिसके चलते
विज्ञापन वितरण में असमानता सहज देखी जा सकती है।
सूची में कुछ ऐसे
समाचार पत्र्ा हैं,
जिनकी नगर में महज सौ से डेढ सौ प्रति बंटती है, बावजूद इसके उन्हें
भी हजारों रूपय्ो का विज्ञापन वितरित किय्ो गय्ो हैं। ऐसे में सवाल य्ाह उठता है
कि आखिर सबको खुश करने के चलते नगर पालिका परिषद जनता के पैसों का बंदरबांट
क्य्ाों कर रही है?
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