लापता हैं 63 हजार परिवार!
(अभय नायक)
रायपुर (साई)।
छत्तीसगढ़ के महानगर बिलासपुर में 63 हजार परिवार लापता हैं!, जी हां, चौंकिए मत, दरअसल, नए बनाए गए लगभग 84 हजार
कंप्यूटराईज्ड राशन कार्ड में से 63 हजार कार्डधारियों ने अब तक अपना कार्ड
नहीं लिया है। गौरतबल है कि एक परिवार का एक राशन कार्ड बनता है इस लिहाज से 63 हजार परिवार लापता
की श्रेणी में आ गए हैं।
एपीएल योजना में
पुराने राशन कार्ड निरस्त कर बनाए गए करीब ८४ हजार कंप्यूटराइज्ड नए राशन कार्डाे
में से ६३ हजार कार्डधारियों का कहीं अता-पता नहीं है। पिछले पांच महीने से लगातार
कार्ड बांटने के लिए नगर निगम की ओर से कई बार मुनादी कर कैंप लगाए जा रहे हैं।
इसके बाद भी कोई
लेने नहीं पहुंच रहे हैं। खाद्य विभाग का कहना है कि अधिकांश राशन कार्डाे में नाम
गलत छपने के कारण कार्डधारी कार्ड लेने नहीं आ रहे हैं। वहीं, नगर निगम का कहना
है कि लोगों में जागरूकता नहीं होने की वजह से कार्ड का वितरण नहीं हो पा रहा है।
राशन की अफरा-तफरी
रोकने के लिए मैनुअल राशन कार्ड के स्थान पर अब कंप्यूटराइज्ड कार्ड बनाए जा रहे
हैं। शासन का आदेश मिलने के बाद पिछले साल नवंबर-दिसंबर माह में नगर निगम क्षेत्र
के अंतर्गत ८४ हजार मैनुअल राशन कार्डाे को निरस्त कर इसके स्थान पर नए
कंप्यूटराइज्ड कार्ड बनाए गए हैं। नगर निगम ने कार्डधारियों से पुराने कार्ड जमा
कराने के बाद नए कार्ड बनाने के लिए सूची खाद्य विभाग को सौंपी थी।
खाद्य विभाग ने नगर
निगम की ओर से दी गई सूची के आधार पर एपीएल योजना में राशन कार्ड बनाया है। कार्ड
बनने के बाद वार्डाे में कैंप लगाकर इसका वितरण किया जाना था। डीबी स्टार को मिली
जानकारी के अनुसार ८४ हजार राशन कार्डाे में से अब तक सिर्फ २१ हजार काडरें का वितरण
हुआ है। जबकि ६३ हजार कार्डधारियों का कहीं अता-पता नहीं है।
नगर निगम की ओर से
कई बार वार्डाे में मुनादी कराकर कैंप भी लगाए गए थे। इसके बाद भी कोई कार्डधारी
इसे लेने नहीं आ रहे हैं। खाद्य विभाग का कहना है कि अधिकांश राशन कार्डाे में
कार्डधारियों के नाम की छपाई गलत तरीके से हुई है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है।
उनका कहना है कि नगर निगम ने ही कार्डधारियों के नाम खाद्य विभाग को उपलब्ध कराए
गए थे।
मामले में विभाग की
कहीं भी गलती नहीं है। दूसरी ओर नगर निगम का कहना है कि लोगों में जागरूकता नहीं
होने की वजह से कोई कार्डधारी राशन कार्ड लेने नहीं आ रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का
ट्रांसफर हो गया है। इस वजह से भी लोग नहीं आ रहे हैं। तीसरी वजह यह भी बताई जा
रही है कि अधिकांश पुराने राशन कार्ड फर्जी थे। कंप्यूटराइज्ड होने की वजह से
कार्डाे का वितरण नहीं हो रहा है।
नगर निगम का कहना
है कि शेष बचे ६३ हजार कार्डाे को बांटने के लिए एक बार फिर से वार्डाे में कैंप
लगाए जाएंगे। इसके बाद भी कोई कार्डधारी नहीं आते हैं, तो इसे निरस्त कर
दिया जाएगा। उनका कहना है कि आने वाले समय में जोनवार शिविर लगाने की अनुमति निगम
आयुक्त से की गई है। डेट फाइनल होने के बाद इसकी शुरुआत की जाएगी।
वहीं, दूसरी ओर भारी
संख्या में राशन कार्ड नहीं बंटने से सरकारी महकमों में तरह-तरह की बातें हो रही
है। कुछ लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में कार्डाे का वितरण नहीं होना अचरज की
बात है। अधिकांश कार्ड फर्जी होने की स्थिति में कार्डधारी नहीं मिल रहे हैं।
क्योंकि इस बार एपीएल योजना में कंप्यूटराइज्ड कार्ड बनाए गए हैं। इसमें किसी
प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर आसानी से पता लगाया जा सकता है।
ऑनलाइन होने की वजह
से एक क्लिक करते ही सारी जानकारियां आम लोगों को मिल जाएगी। मालूम हो कि १९९२ में
ये सभी राशन कार्ड बनाए गए थे। उस समय आसानी से कार्ड बन जते थे। कार्डाे का
नवीनीकरण नहीं होने से यही कार्ड अरसे से चले आ रहे थे। नवीनीकरण नहीं होना भी एक
वजह है। क्योंकि इस दौरान अधिकांश लोग बाहर जा चुके हैं। ऐसे लोगों के नाम अभी भी
राशन कार्डाे में चले आ रहे हैं और उनके नाम से आवंटन हो रहा है।
मजे की बात तो यह
है कि शहरी क्षेत्र में एपीएल योजना के तहत १९९२ में राशन कार्ड बनाए गए थे। उस
समय कार्डधारियों को केवल केरोसिन दिया जाता था। केरोसिन का आवंटन कार्ड के आधार
पर होता था, लेकिन
कंप्यूटराइज्ड होने के कारण ६३ हजार कार्डाे का वितरण नहीं होने से अनुमान लगाया
जा रहा है कि खाद्य विभाग की ओर से सालों से किस आधार पर और किसे केरोसिन का आवंटन
किया गया। नगर निगम ने भी माना है कि अधिकांश लोगों का ट्रांसफर हो चुका है।
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