युवराज का सानिध्य
पाने बेकरार नेतापुत्र
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का जादू भले ही आम जनता के लिए अब वह करिश्मा नहीं
बचा हो, पर
कांग्रेस के अंदर नेता पुत्रों के लिए युवराज का सानिध्य पाना अहम माना जा रहा है।
इसका कारण यह है कि युवराज की करीबी इन नेतापुत्रों के उज्जवल भविष्य के मार्ग
प्रशस्त कर सकती है। यही कारण है कि कांग्रेस के अंदर युवा तरूणाई का हर संभव
प्रयास होता है कि वह राहुल के करीब पहुंच सके।
कांग्रेस में
भविष्य के सत्ता और शक्ति के संभावित केंद्र 12, तुगलक लेन (बतौर
सांसद राहुल गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि आम
सांसद के लिए राहुल से मिल पाना बेहद टेडी खीर ही साबित होता है। सांसद महीनों
कतार में ही खड़े रह जाते हैं पर उन्हें कांग्रेस के महासचिव और कांग्रेस की नजर
में भविष्य के वज़ीरे आज़म राहुल गांधी का सानिध्य ही नसीब नहीं हो पाता है।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल गांधी जहां भी होते हैं, वे प्रभावशाली नेता
पुत्रों से ही घिरे होते हैं। संसद के अंदर, अपने दौरों के दौरान या फिर अपने आवास पर
सदा ही राहुल की परछाईं बनकर रह रहे हैं नेताओं के पुत्र। बड़े नेताओं के पुत्रों
का मानना है कि अगर राहुल की नजरें किसी पर इनायत हो गईं तो वह उच्च पद को आसानी
से ही पा सकता है।
सूत्रों ने बताया
कि लोकसभा में राहुल गांधी के ठीक बाजू वाली आसनी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति
शीला दीक्षित के सांसद पुत्र संदीप दीक्षित को आवंटित है, पर संदीप शायद ही
अपनी सीट पर कभी बैठ पाए हों। जब भी संदीप दीक्षित सदन में पहुंचते हैं, तब उनकी सीट पर
किसी अन्य नेता पुत्र सांसद को देखकर वे कसमसाकर ही रह जाते हैं।
बताते हैं कि संदीप
की सीट पर कभी स्व.राजेश पायलट के पुत्र सचिन तो कभी मुरली देवड़ा के पुत्र मिलिंद
विराजे होते हैं। कभी उस पर जम्मू काश्मीर के लाल सिंह बैठे दिखाई दे जाते हैं।
उधर, लाल बत्ती
धारण करने वाले स्व.माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरात्यि राहुल के आगे की सीट पर
बैठे सारा दृश्य देखकर मंद मंद मुस्कुराते दिख जाते हैं।
नेता पुत्रों के
बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार जिस तरह नेहरू गांधी परिवार ने अपने परिवार के प्रति
निष्ठा जताने वाली प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को पहले लाट साहिब यानी राज्यपाल फिर
रायसीना हिल्स पहुंचाकर देश का पहला नागरिक बनाया उससे इन युवा नेता पुत्रों के
अंदर आशा की किरण है कि अगर उन पर नेहरू गांधी परिवार की नजरें इनायत हुईं तो आने
वाले दिनों में उनकी लाटरी लगना स्वाभाविक ही है।
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