असम में बाढ़ की
स्थिति गंभीर, 7 की मौत
(पुरबालिका हजारिका)
गोवहाटी (साई)। असम
में लगातार बारिश के कारण १६ जिलों के एक हजार ६०० गांवों में पानी भर गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि करीब दस लाख लोग बाढ़ में घिरे हैं। ब्रह्घ्मपुत्र और
उसकी कुछ सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और उनमें पानी बढ़ता जा रहा
है। माजुली द्वीप में रेड एलर्ट घोषित कर दिया गया है। जल स्तर बढ़ने के कारण सभी
शिक्षण संस्थानों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को सरकारी सूत्रों ने बताया कि सेना, राष्ट्रीय और राज्य आपदा कार्रवाई बल राहत
और बचाव कार्य में लगे हुए हैं। तिनसुकिया, सोनितपुर और धेमाजी जिले में आज लगभग आठ
हजार लोगों को बचाया गया। सोतिया और सादिया में वायुसेना ने कल पानी में फंसे
लोगों को खाद्य साम्रगी पहुंचाई। बाढ़ से खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुंचा है।
एक लाख ४७ हजार लोग
राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। दूसरी तरह डिबू्र सेइखोवा राष्ट्रीय उद्यान और
पवित्र वाइल्ड लाइफ सेंचुरी भी बाढ़ का पानी भरा हुआ है। वन विभाग के दल और वन्य
जीव पुर्नवास और संरक्षण केंद्र के सदस्य भी काजीरंगा में राहत और बचाव कार्य कर
रहे हैं।
असम की स्थिति
बिगड़ती जा रही है। राज्य के 27 में से 15 जिलों में अब तक
इससे आठ लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि पिछले एक सप्ताह में सात लोगों की मौत
हो गई है। एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में 700 से अधिक गांव डूब
गए हैं।
असम के ऊपरी जिलों
तथा अरुणाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में लगातार
वृद्धि हो रही है,
जिसे देखते हुए सरकार ने सतर्क रहने की चेतावानी जारी की है।
अधिकारी के अनुसार,
कामरूप, जोरहट, डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, धेमाजी, लखीमपुर तथा सोनीपत
जिलों में बाढ़ की स्थिति गम्भीर है। प्रभावित जिलों में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल
के 16, सेना के 60 और राज्य आपदा
प्रबंधन बल के 18 दल राहत
एवं बचाव कार्य में जुटे हैं।
तिनसुकिया जिले के
सादिया सबडिविजन में प्रभावित लोगों के बीच आसमान से खाद्य सामग्री गिराने के लिए
भारतीय वायु सेना के चार विमान लगाए गए हैं। निचले असम में बाढ़ के पानी के कारण
कामरूप जिले के रांगिया में रविवार को रांगिया-गोरेश्वर लोक निर्माण विभाग की सड़क
टूट गई। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य तथा डिब्रू
सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान के कुछ हिस्से भी बाढ़ के पानी में डूब गए।
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