नहीं बिक पाएंगी, नकली दवाएं
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
केंद्र सरकार नकली दवाओं के कारोबार से निपटने के लिए जल्द ही एक समयबद्ध योजना
बनाएगी। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री सुदीप बंदोपाध्याय ने यहां एक
वर्कशॉप में दी। उनका कहना है कि इस मामले में राज्यों को भी ज्यादा कारगर भूमिका
निभानी होगी, क्योंकि
स्वास्थ्य मूलतः राज्य का विषय है।
‘मरीज की सुरक्षा और दवा पहचान की तकनीक‘ विषय पर आयोजित
वर्कशॉप में बंदोपाध्याय ने कहा कि भारत ने दवाएं बनाने के मामले में हाल के सालों
में एक नया मुकाम हासिल किया है। इस कारण इसे विकासशील देशों की फार्मेसी भी कहा
जाने लगा है। लेकिन नकली और घटिया दवाएं देश की साख को बट्टा भी लगा रही हैं।
सरकार ने 12वीं योजना
में दवाओं और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा के लिए सख्त प्रावधान बनाने का फैसला किया
है।
इस दो दिवसीय
वर्कशॉप का आयोजन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य
संगठन (डब्ल्यूएचओ) और पार्टनरशिप फॉर सेफ मेडिसिन इंडिया (पीएसएम) ने मिलकर किया
है। इसमें देश-विदेश के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। इस मौके पर
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पी. के. प्रधान ने कहा कि नकली और घटिया दवाओं पर नकेल
कसने के लिए एक मजबूत तंत्र की जरूरत है। इसके साथ ही दवाओं की जांच करने वाली
प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक बनाना होगा और लोगों को इस बाबत जागरूक करना होगा।
भारत में
डब्ल्यूएचओ की प्रतिनिधि डॉ. नाटा मेनाब्दे ने कहा कि नकली और घटिया दवाओं का
कारोबार कई देशों के लिए चिंता का कारण बनता जा रहा है। इस मामले में एक ग्लोबल
पॉलिसी बनाया जाना जरूरी है। इस साल नवंबर में इस मसले पर अर्जेन्टीना में एक
सम्मेलन होगा। इसमें इस बाबत देशों के बीच आम राय बनाने की कोशिश की जाएगी।
इस मौके पर पीएसएम
के संस्थापक निदेशक बिजॉन मिश्रा और संस्था के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने भारत
में नकली दवाओं की बिक्री के परस्पर विरोधी आंकड़ों पर चिंता जताई। उनका कहना था कि
इस मामले में सरकार और सभी संबद्ध इकाइयों को एकजुट होकर काम करना होगा। यदि ऐसा
नहीं हो पाया तो भारतीय दवा कंपनियों की साख दांव पर लग जाएगी और इसका सबसे ज्यादा
नुकसान छोटी और मझोली दवा कंपनियों को होगा।
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