दहेज विरोधी कानून की धारा नहीं होगी रद्द
(महेंद्र देशमुख)
नई दिल्ली (साई)। विधि आयोग ने दहेज विरोधी कानून की एक धारा को रद्द करने की मांग खारिज कर दी है। लेकिन आयोग ने इसके तहत अपराध को शमनीय यानी कम्पाउंडेबल बनाने की सिफारिश की है। जिसमें अदालत की अनुमति से समझौता होने की सूरत में पत्नी शिकायत वापस ले सके। १९वें विधि आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि दहेज प्रताड़ना संबंधी भारतीय दंड संहिता की धारा (४९८-ए) को रद्द करने की मांग अनुचित है।
लेकिन आयोग ने यह सुझाव भी दिया है कि दहेज के लिए प्रताडित किए जाने की शिकायत दर्ज होते ही पति और उसके रिश्तेदारों की तत्काल गिरफ्तारी न की जाए। आयोग ने सुझाव दिया है कि अभियुक्त की गिरफ्तारी से पहले सुलह के लिए तीस दिन की मोहलत देने के वास्ते अपराध प्रक्रिया संहिता में संशोधन किया जाना चाहिए।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालतों और संसदीय समितियों द्वारा समय-समय पर इस बात पर जोर दिया जाता रहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा ४९८-ए के तहत मिले व्यापक अधिकारों का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दहेज के लिए शारीरिक या मानसिक यातना की शिकायत मिलते ही सुलह कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए।
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