बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

झा की जगह प्रहलाद का हो सकता है प्रभात!

झा की जगह प्रहलाद का हो सकता है प्रभात!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टी के नेशनल प्रेजीडेंट नितिन गड़करी को दूसरी पारी मिलने के बाद अभी इस बात पर से कुहासा नहीं हट सका है कि सूबाई निजामों को भी दूसरी पारी दी जाए या नहीं। हाल ही में दिल्ली में भाजपा के असंगठित मजदूर मोर्चे की रैली ने नितिन गड़करी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हाशिए धकेल दिए गए भाजपा के शक्तिशाली नेता प्रहलाद सिंह पटेल का उपयोग कहां और कैसे किया जाए।
ज्ञातव्य है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को बहुमुखी प्रतिभा का धनी माना जाता है। लगन के पक्के, मां नर्बदा के भक्त, मूलतः किसान, आम गांव के बंदे की छवि, कार्यकर्ताओं में आसानी से घुलने मिलने वाले और सहज सुलभ उपलब्धता के कारण प्रहलाद पटेल के चाहने वालों की  कमी नहीं है।
प्रहलाद पटेल के साथ पार्टी सदा ही प्रयोग करती आई है। सबसे पहले सिवनी संसदीय क्षेत्र (जिसे बिना प्रस्ताव के ही कांग्रेस और भाजपा के षणयंत्र के चलते विलोपित कर दिया गया है) से निर्दलीय के बतौर जीत हासिल करने वाले पटेल को पार्टी ने बाद में बालाघाट संसदीय क्षेत्र से उतारा। बालाघाट में सफलता का परचम लहराने वाले पटेल को एक बार फिर पार्टी ने बली का बकरा बनाने का प्रयास किया और कांग्रेस के अजेय योद्धा कमल नाथ के सामने ले जाकर छिंदवाड़ा से खड़ा कर दिया।
छिंदवाडा़ में प्रहलाद सिंह पटेल ने कमल नाथ को नाकों चने चबवा दिए। पहला मौका ही रहा होगा जबकि कांग्रेस के स्टार प्रचारक कमल नाथ को प्रहलाद पटेल ने छिंदवाड़ा में ही बांध दिया था। जानकारों का कहना है कि वह चुनाव अपने आप में अद्भुत इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि इस चुनाव में कमल नाथ ने छिंदवाड़ा की सीमा के बाहर प्रचार के लिए कदम भी नहीं रखा था। प्रहलाद पटेल का भय आज भी कमल नाथ के मन में सीलता होगा।
उमा भारती के साथ मिलकर प्रहलाद सिंह पटेल ने दस साल के राजा दिग्विजय सिंह के लगातार किए जाने वाले राज को ध्वस्त कर दिया। उमा भारती 2003 में मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तो इसका पूरा पूरा श्रेय प्रहलाद सिंह पटेल के खाते में ही गया। उमा भारती के कार्यकाल में प्रहलाद सिंह पटेल ने कभी भी सीएम से नजदीकी का लाभ उठाने का जतन नहीं किया।
जब उमा भारती और भाजपा में अनबन हुई तब उमा की नई भाजश में प्रहलाद सिंह पटेल थिंक टेंक की भूमिका में आ गए। बाद में उमा भारती के अडियल रवैए से आहत प्रहलाद पटेल ने भाजश ने नाता तोड़ा तो तत्काल ही भाजपा ने उनकी वापसी के ना केवल मार्ग प्रशस्त किए वरन् प्रहलाद पटेल को राष्ट्रीय मानचित्र में ससम्मान वापसी करवाई।
भाजपा के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी आॅफ इंडिया को बताया कि प्रहलाद सिंह पटेल के लिए भाजपा के निजाम नितिन गड़करी ने एक अलग मोर्चे की स्थापना की। असंगठित कामगारों को एक बेनर तले लाने की जवाबदारी प्रहलाद पटेल को सौंपी गई। प्रहलाद पटेल ने इस जवाबदारी का निर्वहन बखूबी करते हुए अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय भी गड़करी को दे डाला।
गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि 24 सितम्बर को दिल्ली में हुए महासंग्राम ने प्रहलाद पटेल का कद अनायास ही कई गुना बढ़ा दिया है। इस रेली की सफलता से गदगद भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी अब सोचने पर विवश हो गए हैं कि आखिर प्रहलाद पटेल की इस सकारात्मक उर्जा का उपयोग किस स्तर पर और कहां किया जाए। इस रेली में मरली मनोहर जोशी और संजय जोशी की उपस्थिति भी काफी कुछ कहती नजर आती है।
इस रैली को संबोधित करते हुए गड़करी ने प्रहलाद पटेल की जमकर तारीफ की। गड़करी ने उन्हें हनुमान कह दिया। उनका कहना था कि जिस तरह हनुमान जी को अपनी शक्तियों का आभास नहीं था, उन्हें बार बार उनकी शक्ति का स्मरण कराना पड़ता है। ठीक उसी तरह प्रहलाद पटेल को भी उनकी शक्तियों का स्मरण करना ही पड़ता है।
गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि पार्टी में प्रहलाद पटेल को महासचिव अथवा प्रवक्ता के बतौर काम करवाने की संभावनाओं पर विचार चल रहा है। वहीं दूसरी ओर इस तरह की संभावनाएं भी टटोली जा रही हैं कि मध्य प्रदेश में प्रभात झा के स्थान पर प्रहलाद पटेल को अगर पार्टी की कमान सौंप दी जाए तो सत्ता और संगठन का तालमेल बेहतरीन हो सकता है।

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