शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

मौसम ने पल्टी मारी, बरसा कहर


मौसम ने पल्टी मारी, बरसा कहर

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। मौसम में आई अचानक गर्मी से राहत महसूस कर रहे देशवासियों के सामने एक बार फिर से परेशानी उतपन्न हो गई है। देश के अनेक स्थानों में बर्फ, ओले, मवाठे गिरने से मौसम में ठण्डक घुल गई है। मैदानी इलाकों में भी सुर्खा यानी ठण्डी हवाओं ने लोगों को घरों में दुबके रहने पर मजबूर कर दिया है।
जम्मू से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से विनोद नेगी ने बताया कि कश्मीर घाटी में इस मौसम की सबसे भारी बर्फ गिरने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। घाटी मे बिजली सप्लाई में भी रूकावट आई है। ऊंचाई वाले इलाकों में भारी हिमपात के कारण जनजीवन प्रभावित हो गया है और कई इलाकों में बर्फानी तूदे गिराने की चेतावनी जारी की गई है। श्रीनगर शहर भी बर्फ की चादर में लिपटा हुआ है। श्रीनगर- जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात के लिए भी दूसरे दिन भी बंद है। प्रशासन ने घाटी में सड़कों से बर्फ हटाने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।
साई ब्यूरो ने मौसम विभाग के हवाले से खबर दी है कि जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में बर्फीले तूफान की चेतावनी दी है। साथ में हिमस्खलन का अंदेशा भी जताया है। बर्फबारी का सबसे ज्यादा असर पुंछ इलाके में पड़ा है, जहां दो से दस फीट तक बर्फबारी रिकॉर्ड की गई है। जम्मू-कश्मीर से भी भारी बर्फबारी की खबर है। स्नो ऐंड एवलांच स्टडी इस्टेबलिशमेंट (सासे) ने सेना को चेतावनी जारी करते हुए कश्मीर के बर्फीले इलाकों में अलर्ट रहने को कहा है। डिवीजनल डिजास्टर मैनेजमेंट कश्मीर ने कुछ इलाकों में हिमस्खलन की चेतावनी भी जारी की है। जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद कर दिया गया। प्रदेश में औसतन 2 फीट तक बर्फ गिरी है।
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को कश्मीर घाटी समेत पीर पंजाल के ऊंचे पर्वतों पर हल्की बारिश के साथ बर्फबारी हुई। काजीकुंड में 6.2 मिलीमीटर हिमपात हुआ। यहां मौसम विभाग ने और बर्फबारी की संभावना जताई है। भारी बर्फबारी के कारण 294 किलोमीटर लंबे श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग बंद कर दिया गया है। यह कश्मीर को शेष देश से जोडऩे वाला एकमात्र सड़क मार्ग है।
राज्य में ताजा हिमपात और मैदानी इलाकों में बारिश हुई है। न्यूनतम तापमान माइनस से सामान्य की ओर लौट आया है। उधर, भारी बारिश और बर्फबारी के बाद शिमला में भी अधिकतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस लुढ़क गया। यहां का अधिकतम तापमान 6.3 डिग्री सेल्सियस रहा। लद्दाख में भीषण ठंड जारी है। उधर, मैदानी इलाकों में हुई बारिश एवं बर्फीली हवाएं चलने से ठंड में इजाफा हुआ है। खुश्क मौसम की वजह से कड़ाके की ठंड झेल रहे वादी के लोगों को राहत मिली है। श्रीनगर में तापमान माइनस से उभर कर 0.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा है।
उधर, शिमला से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से रीता वर्मा ने बताया कि समूचा हिमाचल प्रदेश भी भीषण शीतलहर की चपेट में है। राजधानी शिमला सहित कुफ्री, नारकंडा, मनाली और डलहौजी जैसे पर्यटन स्थलों में भी बर्फबारी हुई। वहीं, हिमाचल प्रदेश के शिमला सहित कुफरी, नारकंडा, मशोबरा, चौल में दिनभर हिमपात होता रहा। यहां 10 से 12 सेंटीमीटर बर्फ पड़ी। मनाली, शाली, चौल और सोलन जिले में भी सुबह हल्का हिमपात हुआ। निचले इलाकों में बारिश हुई। धुंध की वजह से भारत-तिब्बत रोड पर यातायात प्रभावित रहा।
शिमला में अधिकतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस लुढ़ककर 6.3 डिग्री सेल्सियस हो गया। सुबह शिमला का न्यूनतम तापमान 0 डिग्री तक पहुंचा। सुंदरनगर का न्यूनतम तापमान 4.4, भुंतर 2.8, कल्पा -3.2, धर्मशाला 9.4, मंडी 2.5, नाहन 8.7 और सोलन 5 डिग्री सेल्सियस था। प्रदेश के ऊंचे इलाकों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में बारिश से लंबे समय से सूखी जमीन तर हो गई है। किसानों के चेहरों पर रौनक है। सेब बागबान बाग-बाग हो गए हैं। मायूस दिख रहे पर्यटन व्यवसायियों के फिर दिन निकल पड़े हैं। हो भी क्यों न पहाड़ों पर उम्मीद के फाहों की बरसात जो हुई है।
 पहाडिय़ों पर ताजा बर्फबारी से हिमाचल प्रदेश में शीतलहर बढ़ गई है। गुरुवार शाम पांच बजे तक मनाली में आधा फुट बर्फ दर्ज की गई। यहां सैलानियों का आगमन भी शुरू हो गया है। पर्यटन स्थल नगर, जगतसुख, रांगड़ी, रोहतांग सहित ग्रांफू व कोकसर, धुंधी जोत, मकरवेद व शिकरवेद की पहाडिय़ों, हनुमान टिब्बा, इंद्र किला, हामटा, भृगु जोत, दशौहर लेक में भी भारी बर्फबारी हो रही है। जनजातीय जिला लाहौल स्पीति में हवाई सेवा भी ठप हो गई है। केलांग में चार मरीज है। इनमें से एक ही हालत नाजुक है। प्रशासन ने हवाई सेवा मांगी है। लेकिन मरीजों को मौसम खराब होने के चलते दो दिन तक और इंतजार करना पड़ सकता है। शिमला के डीएम ट्रैफिक एचके गुप्ता ने बताया कि रामपुर डिपो की बस को वाया बसंतपुर शिमला भेजा गया। बर्फबारी के चलते यातायात व्यवस्था ठप रही। इसके अलावा रोहतांग और मनाली आदि क्षेत्रों में भारी हिमपात के बाद यातायात ठप हो गया है।
उत्तर भारत में मौसम फिर से बदल गया है। दिल्ली के अलावा मैदानी इलाकों में कई जगहों पर सीजन में पहली बार ओले गिरे हैं जबकि पहाड़ों पर भारी बर्फबारी हो रही है। दिल्ली में गुरुवार शाम से ही रुक-रुककर बरसात शुरू हो गई हुई और देखते ही देखते कई जगह ओले पड़ने लगे। मौसम विभाग की मानें ठंड एक बार फिर तेज हो सकती है।
उत्तर प्रदेश समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से दीपांकर श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य में कई स्थानों पर हल्की बारिश हुई। यह बारिश गेहूं समेत सभी फसलों के लिए लाभदायक है। मुजफ्फरनगर में 3.4 और मेरठ में 1.7 मिलीमीटर बारिश हुई। गुजरात में भी कच्छ-भुज, सौराष्ट्र और बनासकांठा इलाकों में बारिश हुई। हालांकि इस बारिश से राज्य में नमक उद्योग को नुकसान की आशंका है।
वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर से साई ब्यूरो सचिन धीमान ने बताया कि जिले में दस साल बाद बीस मिनट तक आसमान से ओले बरसते रहे और सड़कों पर बर्फ के टुकड़ों की चादर बिछ गई। ओलों से फसलों को नुकसान होने का खतरा है। इस बीच पहाड़ों पर कई जगह बर्फबारी जारी है।
इसके पहले बुधवार की रात और गुरुवार के दिन में हिमाचल में बर्फबारी के चलते 2 दर्जन से ज्यादा सड़कें बंद हो गईं। प्रदेश के कई इलाकों में 2 फुट तक बर्फ जम गई। कश्मीर में सेना को हिमस्खलन का अलर्ट जारी किया गया है। उत्तराखंड में बर्फबारी और बारिश से हाल बेहाल है। यूपी के कई इलाकों में बारिश हुई और ओले भी गिरे। मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ का असर बढ़ने की वजह से मौसम में यह बदलाव आया है। 48 घंटों में मौसम और बिगड़ सकता है। हिमाचल और उत्तराखंड में अगले 48 बर्फबारी की चेतावनी दी गई है।
आने वाले दिनों में उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में ठंड फिर जोर पकड़ सकती है। वेस्टर्न डिस्टरबेंस के सक्रिय होने से गुरुवार को जम्मू कश्मीर में ताजा हिमपात हुआ। वहीं मैदानी इलाकों में बारिश हुई। कई जगह ओले भी पड़े। राजस्थान में जयपुर, शेखावाटी क्षेत्र में, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मध्यप्रदेश के ग्वालियर, मुरैना और नई दिल्ली में बारिश के साथ ओले गिरे।
 मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार बुधवार को आया पश्चिमी विक्षोभ के तूफान से नीचे की हवा सतह से 8 किमी. तक आसमान में उठ गई। 3500 मी. से ऊपर नमी और पानी की बूंद बर्फ बन जाती है। नमी घुलने के कारण बनी बूंदें बर्फ के टुकड़ों में बदलने से ओलावृष्टि हुई। विक्षोभ के कारण जिन स्थानों पर हवा 3500 मी. से कम ऊंचाई पर उठी, वहां बूंदें जमी नहीं और बारिश के रूप में बरसी।
राजस्थान से साई ब्यूरो से शैलेन्द्र ने बताया कि मौसम विभाग ने अगले 36 घंटे में उतरी राजस्थान और खासकर जयपुर, बीकानेर और जोधपुर संभाग में मेघ गर्जना और आंधी के साथ बारिश और ओलावृष्टि की संभावना व्यक्त की है। जयपुर में अगले 24 घंटे में बादल छाने और हल्की बौछारों की संभावना व्यक्त की गई है।
राजस्थान में मौसम का मिजाज फिर बदल गया। कई स्थानों पर बारिश हुई और ओले गिरे। जयपुर में रात करीब सवा दस बजे पांच्यावाला, वैशालीनगर, सीकर रोड, झोटवाड़ा, कालवाड़, मुरलीपुरा सहित कई इलाकों में आंधी चली। इस दौरान बेर के आकार तक के ओले गिरे। रात 11 बजे तक फुहारें गिरती रहीं। यहां तापमान १४.८ डिग्री रिकॉर्ड किया गया। जोधपुर और चूरू सहित शेखावाटी के कई हिस्सों में बारिश हुई। कई जगह ओले भी गिरे। मौसम विभाग ने आगामी ३६ घंटों में उत्तरी राजस्थान में फिर बारिश की संभावना जताई है।
गुडगांव से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से अनेशा वर्मा ने बताया कि हरियाणा में गुरुवार सुबह साढ़े आठ बजे एकाएक मौसम ने करवट बदली। पहले हल्की बूंदाबांदी हुई, फिर अचानक अंधियारी छा गई। मौसम का यह परिवर्तन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र दोनों स्थानों पर रहा। कुछ देर बाद जब अंधियारी छठी और मौसम साफ हुआ तब फिर बारिश की फुहारें गिरना शुरू हुईं। ऐसे में खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को हैरानी तब हुई जब पानी के साथ-साथ तेज गति से ओलावृष्टि होने लगी। आसमान से सफेद मोती झडऩे का यह नजारा पांच से छह मिनट तक रहा।
मुजफ्फरनगर से साई ब्यूरो प्रमुख सचिन धीमान के अनुसार सुबह अचानक बादलों की तेज गड़गड़ाहट के साथ शुरू हुई बारिश दोपहर बाद तक रूक रूक कर चलती रही। दोपहर करीब दस बचे हल्की धूप निकली लेकिन अचानक काले बादल छा गये और देखते ही देखते आसमान से आलों की बारिश शुरू हो गई। करीब दस मिनट तक जबरदस्त ओलावृष्टि होती रही। नगर की सड़कें ओलों की चादरों से बिछ गई। आधा इंच के करीब मोटे ओलों को देखकर नागरिक हैरान हो गये। इसके बाद करीब दो बजे फिर धूप निकली जिससे मौसम ठीक हुआ लेकिन तीन बजे के बाद फिर बर्फीली हवाओं ने नागरिकों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया।
कई दिन की लगातार ठंड के बाद पिछले दो दिनों से मौसम में कुछ गर्मी थी गत दिवस भी मौसम ठीक ठाक रहा। रात्रिमें तारे भी निकले लेकिन अचानक गुरूवार की सवेरे मौसम का मिजाज अचानक बदल गया और आसमान में काली घटा के बीच बरसात शुरू हो गयी। थोड़ी-थोड़ी देर बाद पड़ रही बरसात के कारण सड़कों पर पानी और कीचड़ हो गया। ग्यारह बजे के आसपास मौसम खुला लेकिन उसके थोडी देर बाद ही अचानक ही आसमान में काले-काले बादल छा गये। इन बादलों से बारिश की बूंदों की बजाये बर्फ की बौछार शुरू हो गयी। कंचे के आकार के ओले सड़कों पर दूर-दूर तक बिछ गये। पूरी सड़क पर रूई सी बिछी महसूस होने लगी। लेकिन बाद में थोड़ी सी बौछार के बाद ही आसमान फिर पूरी तरह से साफ हो गया। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बरसात के बाद पाला पूरी तरह से धुल जायेगा। हालांकि अभी ठंड से निजात नहीं मिलेगी। अगले एक सप्ताह तक सर्दी का प्रकोप जारी रहने की उम्मीद है।

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