पुलिस और कबाड़ियों
का गठबंधन
(हिमांशु कौशल)
सिवनी (साई)।
एसडीओपी सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश और उनसे स्वयं के कारण पुलिस कबाड़ियों पर
दिखावे की तौर पर सख्ती बरत रही है जबकि वास्तविकता यह है पुलिस द्वारा अभी भी 28-30 हजार रूपये महीने
कबाड़ियों से वसूल किये जा रहे हैं और तो और बीच मे पुलिस विभाग के ही एक कर्मचारी
द्वारा एसडीओपी बहुगुणा के नाम से भी पैसे बटोर लिये गये थे जिसके बाद न केवल
संबंधित कर्मचारी को लाइन अटैच किया गया बल्कि कबाड़ियों पर और सख्ती बरती गयी
क्योंकि इस घटना ने नवागत एसडीओपी को विश्वास दिला दिया कि चोरी का अधिकांश सामान
कबाड़ियों के ही माध्यम से नगर व जिले के बाहर जाता है।
उल्लेखनीय है कि
चोर जब सामान चोरी करता है तो उसे खपाने के लिये कबाड़ियों के पास जाता है वहीं जब
चोरी की घटनाएं ज्यादा होती है तो पुलिस गश्त बढ़ाती है इससे कुछ समय पश्चात चोरी
की घटनाओं मे तो कुछ विराम लग जाता है किन्तु जिन लोगों के यहाँ चोरी हो चुकी होती
है उनका सामान वापस नहीं मिल पाता। पुलिस को अच्छी तरह पता रहता है कि ये चोरी का
सामान कबाड़ के साथ ट्रक मे भरकर बाहर जाता है। पूर्व मे कई बार चोर स्वयं इस बात
को स्वीकार चुके हैं कि उनके द्वारा चोरी का सामान कबाड़ियों को बेचा गया है किन्तु
पुलिस द्वारा चोर के इस बयान को रिकार्ड मे ढंग से दर्ज नहीं किया जाता और न ही
कबाड़ियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जाती
है। अगर पुलिस कबाड़ियों पर सख्ती करे तो कबाड़ियों को तो इतना तक पता रहता है कि वे
चोर का नाम और उसका ठिकाना तक पुलिस को बता सकते हैं किन्तु पुलिस जानबूझकर
कबाड़ियों को छोड़ती है ताकि चोरी हो और कबाड़ी चोरी का सामान खरीदे जिससे उसको महीने
का 28-30 हजार
रूपये की चढ़ोत्री मिले।
कबाड़ियों और पुलिस
का गठबंधन इतना तगड़ा है कि पुलिस कई बार स्वयं अपने सामानों को कबाड़ी को बेचती है।
कुछ माह पूर्व यह खबर बहुत तेजी के साथ फैली थी कि छपारा टी।आई द्वारा छपारा थाने
मे खड़ी विभिन्न घटनाओं और चोरों से जप्त की गयी मोटरसायकले छपारा के ही एक स्थानीय
कबाड़ी को 01 लाख रूपये
मे बेच दी गयी और उसने खटाखट सारे वाहनों को तोड़ने की प्रक्रिया आरंभ कर दी। यह
खबर तेजी से बहुत से पत्रकारों मे फैली और सभी ने कबाड़ी से अच्छी खासी चढ़ोत्री ली।
पत्रकारों को हवा लगती देख टी।आई। द्वारा थाने के रिकार्ड मे फेरबदल कर लिये गये
और अपने उच्चाधिकारियों को भी संतुष्ट कर दिया। मामला पूरा दब गया।
यहाँ यह भी
उल्लेखनीय है कि सिवनी के जो 14-15 छोटे मोटे कबाड़ी है उनसे पुलिस विभाग के
होमगार्ड सैनिक मो। वकील शुरू से वसूली करते आ रहा है। बीच मे वकील ने वसूली की
राशि मे कुछ गड़बड़ी कर दी थी जिसके कारण कबाड़ियों से वसूली का काम वकील से लेकर
दलसागर के पार स्थित भैया कबाड़ी को दे दिया गया था। कुछ अरसे बाद भैया कबाड़ी ने भी
वसूली की राशि मे हेरफेर कर दी तो पुनः यह काम आरक्षक जयेन्द्र बघेल को दे दिया
गया। जयेन्द्र बघेल ने एसडीओपी सिद्धार्थ बहुगुणा के नाम के पैसे भी वसूल लिये। यह
बात बहुगुणा को पता चली तो उन्होंने आरक्षक जयेन्द्र बघेल को लाइन अटैच कर दिया।
इसके बाद पुनः कबाड़ों से पैसे वसूल करने का काम दलसागर पार वाला भैया कबाड़ी करने
लगा। भैया कबाड़ी द्वारा पैसे वसूल किये जाने से मो। वकील परेशान था तो उसने पुनः
कुछ कबाड़ियों के ही माध्यम से नगर निरीक्षक के पास यह बात पहुँचायी कि वो वकील को
पैसा देना चाहते हैं, भैया कबाड़ी को नहीं देंगे अतः अब पुनः वसूली का काम वकील के
पास आ गया है।
पुलिस अच्छी तरह
जानती है कि चोर को चोरी करते हुए ही पकड़ा जा सकता है तब जब वो किसी के घर मे चोरी
कर रहा हो या चोरी करके भाग रहा हो। ऐसी स्थिति मे चोर के पकड़े जाने की संभावना 10 प्रतिशत भी नहीं
रहती इसीलिये दिखावे को तौर पर पुलिस गश्ती को बढ़ाती है ताकि जनता को लगे कि पुलिस
कुछ कर रही है। पुलिस यह बात भी अच्छी तरह जानती है कि चोर चोरी करने के बाद माल
को ज्यादा देर तक अपने पास नहीं रखता वो जल्द से जल्द माल को खपाता है जिसके लिये
वो कबाड़ियों के पास जाता है और कबाड़ी से ये माल बाहर जाता है। पुलिस अगर कबाड़ियों
से सख्त रहेगी और इनके बाहर जाने वाले ट्रकों की चेकिंग करेगी तो चोरी का माल
स्वतः ही यहाँ मिल जायेगा और चोर स्वयं निष्क्रिय हो जायेंगे किन्तु अगर चोरी नहीं
होगी, कबाड़ी चोरी
का माल नहीं खरीदेंगे तो सवाल यह उठता है कि वे पुलिस को महीना क्यों देंगे?
कुल मिलाकर अगर एक
व्यापक परिप्रेक्ष्य मे देखें तो नगर मे होने वाली चोरी और चोरों को पुलिस का ही
श्रेय है और इसी कारण जब कोई बाहर का रैकेट आकर चोरी करता है तो पुलिस समझ जाती है
और दूसरे प्रदेशों मे जाकर भी चोर को ढूंढ लाती है किन्तु जब नगर के ही चोर चोरी
करते हैं तो वे पुलिस के हाथ नहीं लगते उल्टा एफआईआर भी जल्दी नहीं लिखती ताकि
चोरी का माल नगर के बाहर चले जाये।
अभी इस दौरान
कबाड़ियों पर जो पुलिस की नजरे टेढ़ी है उसका एकमात्र कारण एसडीओपी सिद्धार्थ
बहुगुणा है किन्तु वो स्वयं इसीलिये ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वो समझ
चुके हैं कि उनके नीचे का स्टाफ भी बिका हुआ है और ऊपर के अधिकारी भी। उनके
कार्यवाही करने से पहले ही संबंधितों को खबर लग जाती है कि क्या होने वाला है।
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