लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क ------------------49
सरकारी कर्मचारी
मोड रहे भाजपा से मुंह
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सहयोगी अफसरों ने एक के बाद एक
एसे कदम उठाने आरंभ कर दिए हैं कि लगने लगा है मानो सरकारी कर्मचारियों ने मध्य
प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी की बिदाई का ताना बाना बुनना आरंभ कर दिया हो। एक
तरफ सरकारी कर्मचारियों को निजी प्रोग्राम्स का आथित्य स्वीकारने से रोका गया है
तो वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान की ही नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार
के जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य शासन के सभी
अधिकारी एवं कर्मचारी सरकारी कार्यक्रमों के अलावा किसी निजी संस्था, संगठन (एनजीओ) या
व्यक्तियों द्वारा आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि अथवा अतिथि के बतौर शामिल नहीं
होंगे। इन निर्देशों की अवहेलना करने वाले संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्व
कडी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी। शासन ने इस बात को संज्ञान में लिया है कि
इस संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। सामान्य प्रशासन
विभाग ने सभी विभाग,
अध्यक्ष राजस्व मंडल, ग्वालियर, विभागाध्यक्ष, संभागायुक्त, कलेक्टर्स तथा
मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत को भेजे परिपत्र में इन निर्देशों का कडाई से
पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। सभी अधीनस्थ कार्यालयों में भी उक्त
निर्देशों के अनुपालन के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिये कहा गया है।
इसी तरह समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया के सीहोर ब्यूरो ने बताया कि एसडीएम बुधनी के एक कागज ने
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की नागरिका पर ही बवाल मचवा डाला। एसडीएम
बुधनी ने अपने एक दस्तावेज में बताया है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान जैत जिला सीहोर
के निवासी नहीं है। सवाल यह खड़ा हो गया है कि यदि वो जैत के निवासी नहीं है तो
कहां के नागरिक हैं।
यह सवाल एसडीएम
बुधनी द्वारा युवक कांग्रेस को दिए एक जवाब से उठा है। युवक कांग्रेस ने पिछले
दिनों सीएम के गांव जैत में उपवास आयोजन की अनुमति मांगी थी, जिसके जवाब में
एसडीएम बुधनी ने लिखा कि चूंकि सीएम शिवराज सिंह चौहान जैत के निवासी नहीं हैं, अतरू यहां पर आयोजन
की अनुमति नहीं दी जा सकती।
युवक कांग्रेस ने
सवाल उठाया है कि यदि सीएम जैत जिला सीहोर के निवासी नहीं हैं तो फिर कहां के
निवासी हैं। इस मामले में जब बवंडर उठा और मीडिया ने कलेक्टर सीहोर से सवाल किया
तो उन्होंने बताया कि यह केवल एक टाइपिंग मिस्टेक है। गलती से यह लिख दिया गया है।
अब सवाल यह उठता है
कि यदि सीएम के निवास स्थान को लेकर ही गलतियां होने लगें तो फिर आम आदमी का
मध्यप्रदेश में क्या हो रहा होगा। फिलहाल बवाल मच रहा है परंतु प्रशासन ने इस दिशा
में जिम्मेदार अफसर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
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