यूरोपीय संघ भारत के खिलाफ
(यशवंत)
न्यूयार्क (साई)। दो भारतीय मछुआरों की
हत्या के आरोपों से घिरे इटली के दो नौसैनिकों के काऱण भारत और इटली के बीच जारी
विवाद के लिए भारत द्वारा इटली के राजदूत को देश छोड़ने से रोकने को यूरोपीय संघ ने
गैरकानूनी करार दिया है। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने तब इटली के राजदूत डेनियल
मेनचिनी के भारत छोड़ने पर रोक लगा दी थी जब इटली ने इन दोनों नौसैनिकों को कानूनी
ट्रायल के लिए भारत भेजने से मना कर दिया था। इटली के इन दोनों नौसैनिकों पर आरोप
है कि उन्होंने पिछले साल फरवरी में केरल के समुद्रतट पर गश्त के दौरान दो भारतीय
मछुआरों की हत्या कर दी थी।
यूरोपीय संघ के विदेशी नीति प्रमुख
कैथरीन एस्टन ने इटली के राजदूत के बारे में भारत के कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले पर
चिंता जाहिर की। एस्टन ने 1961 की वियना संधि का हवाला देते हुए कहा
कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए इस संधि का पालन किया जाना चाहिए। एस्टन ने कहा, अगर भारत इटली के राजदूत की आवाजाही की
स्वतंत्रता पर रोक लगता है, तो यह इस संधि के नियमों का उल्लंघन
होगा।
यूरोपीय संघ के इस अधिकारी ने आगे कहा
कि इस विवाद का हल दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत और सहमति से ही संभव है।
यूरोपीय संघ के इस बयान में सोमवार को आए इटली के विदेश मंत्रालय के उस बयान के
बातों की झलक मिलती है जिसमें इटली के विदेश मंत्रालय ने दावा किया था कि भारतीय
कोर्ट का फैसला द्विपक्षीय प्रतिरक्षा कानूनों का उल्लंघन है।इटली कहना है कि
दोनों नौसैनिकों के मामले में अंतरराष्ट्रीय कानून ही लागू होता है। इस मसले का हल
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप ही निकाला जाना चाहिए। इसी इरादे से इटली ने दूसरी
न्याय प्रक्रिया अपनाने पर जोर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इटली में
हुए संसदी चुनावों में वोट डालने के लिए इन दोनों नौसैनिकों को 4 हफ्ते के लिए इटली जाने की इजाजत इस
शर्त पर दी थी कि वे फिर से भारत वापसे लौट आएंगे लेकिन इन दोनों ने ऐसा नहीं
किया। जबकि इटली के विदेश मंत्रालय का कहना था कि यह विवाद अंतराराष्ट्रीय कानून
के अंतर्गत आता है इसलिए इसका हल सुयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अनुसार होना
चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद मनमोहन सिंह सरकार को काफी
आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें