आतंकवादियों को मिल
रहा देश में उपजाऊ माहौल
(मणिका सोनल)
नई दिल्ली (साई)।
सियासतदारों की तुष्टीकरण की नीति अब देश पर भारी पड़ने लगी है। देश में
आतंकवादियों से जुड़ने वाले लोगों की तादाद में तेजी से इजाफा हुआ है। खुफिया विभाग
के सूत्रों का दावा है कि आने वाले समय में यह नया ट्रेंड काफी खतरनाक हो सकता है।
आतंकवादियों की नजरें अब महानगरों के बजाए गुमनाम छोटे शहरों की ओर लग चुकी हैं।
भारत में सक्रिय
आतंकी संगठनों को अपने साथ लड़ाकों की नई जमात खड़ी करने के लिए अब ज्यादा मेहनत
करने की जरूरत नहीं क्योंकि युवाओं की बड़ी फौज उनके साथ खुद ही जुड़ने के लिए
उत्तेजित है। ऐसे युवा अपने साथ श्मुस्लिमों के साथ अन्यायश् वाली सोच पाले हुए
हैं और आत्म कट्टरता से भरे हैं।
इंडियन मुजाहिदीन
(आईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ऑपरेटिव्स के साथ हैदराबाद के हालिया बम धमाकों
के संबंध में पूछताछ में यह सच सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियां के सूत्रों ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि बड़े अफसर इसे डीपली वरिंग ट्रेंड मान रही
हैं, जहां आतंकी
संगठन अधिक मेहनत किए बिना ही नए सदस्य पाने में सक्षम हैं। आईएम ऑपरेटिव्स सैयद
मकबूल और इमरान खान व लश्कर सदस्य ओबैद उर रहमान ने एनआईए की पूछताछ में माना कि
नए लड़ाकों को अपनी विश्वसनीयता बदलने पर किसी तरह का पछतावा नहीं है।
सूत्रों ने बताया
कि मकबूल और इमरान को बीते साल 1 अगस्त 2012 को हुए पुणे बम
धमाकों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था, यह हैदराबाद धमाकों के संबंध में रैकी करने
के भी संदिग्ध हैं। रहमान लश्कर के उस मॉड्यूल का हिस्सा है जिसे बीते साल
बेंगलुरु पुलिस ने खत्म कर दिया था। हैदराबाद के दिलसुख नगर धमाकों के संबंध में
मकबूल और इमरान को रेकी करवाने में मदद के मामले में रहमान संदिग्ध है। दिलसुख नगर
में बीती 21 फरवरी को
दोहरे बम धमाकों में 16 जानें गई थीं।
एक जांच अधिकारी ने
बताया कि पुणे धमाका हो या लश्कर मॉड्यूल, कुछ को छोड़कर बाकी सभी आरोपी आत्म प्रेरित
ही थे। इन सभी ने आतंकी संगठनों तक पहुंच बनाकर उनके लिए काम करना शुरू किया।
वर्तमान में सिर्फ आतंक की मॉनिटरिंग और उसे कंट्रोल करने में ही सुरक्षा
एजेंसियों के हाथ-पांव भूल रहे हैं और अब यह नया ट्रेंड भविष्य के लिए बेहद घातक
बन सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें