बियर नहीं ठर्रे
में है बात!
(सुनील सोनी)
पणजिम (साई)। गर्मी
का मौसम गोवा के लिए अनुकूल तो नहीं है पर फिर भी बच्चों की परीक्षाओं से निजात
पाने वाले इस ओर रूख अवश्य कर लेते हैं। गोवा में इन दिनों अन्य दिनों की तुलना
में कम मंहगी चीजें उपलब्ध हो जाती हैं। सुरा के लिए मशहूर गोवा में इन दिनों देशी
ठर्रे की बात ही कुछ ओर है।
गर्मियों की दस्तक
के साथ ही पणजी-मडगांव राजमार्ग पर शराब की दुकानें लोगों को बड़ी संख्या में
आकर्षित करने लगी है लेकिन यहां लोग बियर नहीं बल्कि अर्क (देसी शराब) का आनंद
लेने के लिए आ रहे है जिसे काजू से बनाया जाता है। शराब के लिए मशहूर गोवा में
गर्मियों की शुरुआत से वर्षा का मौसम आने तक लोग बियर और व्हिस्की के बजाए अर्क
पीना पसंद करते हैं। पांच वर्ष पहले अपनी दुकान खोलने वाले एक पांचसितारा होटल के
पूर्व बावर्ची पीटर फर्नांडीज ने कहा,” “बारिश के बाद शुद्ध अर्क नहीं मिलता। हम बाग
से काजू लाकर शुद्ध अर्क लोगों को देते हैं।”
फर्नांडीज की ताड़
के पत्तों और घास से बनी दुकान में भले ही तीन मेज और कुछ कुर्सियां ही रखी हैं
लेकिन गर्मियों में उसकी इस झोपड़ी के बाहर लक्जरी कारों की लाइन लगी रहती है। वह
कानाकोना जैसे स्थानों से अर्क लेकर आता है। फर्नांडीज ने कहा, “ यह ऐसा समय है जब
मेरी दुकान और अन्य छोटी दुकानों में भारी भीड़ रहती है जहां ताजी मछली और शुद्ध
अर्क मिलता है। आपको परनेम और सत्तारी से भी शुद्ध अर्क मिल सकता है। “अर्क काजू और सेब
के रस से बनता है जिसमें 12 से 14 प्रतिशत मदिरा होती है।
भारतीय कृषि
अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिक एच आर प्रभुदेसाई ने बताया कि यह पेय
पदार्थ खासकर पेट संबंधी बीमारियों के लिए लाभकारी है। उन्होंने बताया कि अर्क भूख
बढाने में मदद करता है लेकिन इसके जरुरत से अधिक सेवन से नशा हो सकता है।फेनी की
तरह अर्क को बोतल में बंद नहीं किया जाता इसलिए इसका निर्यात संभव नहीं है। राज्य
आबकारी विभाग अर्क पर कर नहीं लगाता। एक वरिष्ठ आबकारी अधिकारी ने बताया कि अर्क
पर कर नहीं लगाया जाता क्योंकि यह गोवा की विशिष्टता है और इसे काजू उत्पादक बनाते
हैं।
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