सोमवार, 1 अप्रैल 2013

रायपुर : सामाजिक समरसता का प्रतीक है छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी डॉ. रमन सिंह


सामाजिक समरसता का प्रतीक है छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी  डॉ. रमन सिंह

(एन.के.श्रीवास्तव)

रायपुर (साई)। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिध्द छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी सिरपुर महानदी के किनारे भारतीय इतिहास में बौध्द, जैन. शैव और वैष्णव संस्कृतियों के प्रमुख आस्था केन्द्र के रूप में सामाजिक समरसता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने आज सवेरे यहां अपने निवास पर श्री ललित शर्मा द्वारा भेंट की गई पुस्तक श्सिरपुर-सैलानी की नजर सेश् का उल्लेख करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने पुस्तक के लेखक, अभनपुर निवासी श्री शर्मा को इसके प्रकाशन पर बधाई और शुभकामनाएं दी।  डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सिरपुर पर इतिहासकारों और पुरातत्व विदों ने समय-समय पर अपने दृष्टिकोण से बहुत कुछ लिखा है, लेकिन किसी पर्यटक के द्वारा एक सैलानी के दृष्टिकोण से लिखना और उसमें इतिहास और पुरातत्व पर आधारित तथ्यों को शामिल करना अपने आप में महत्वपूर्ण है। यह पुस्तक वास्तव में सिरपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का सुरूचिपूर्ण संकलन है, जो अत्यंत ज्ञानवर्धक है।
उल्लेखनीय है कि लगभग एक सौ पृष्ठों की इस पुस्तक में लेखक श्री ललित शर्मा ने सिरपुर के अपने यात्रा वृत्तांत को पर्यटन, इतिहास और पुरातत्व की पृष्ठभूमि में एक पर्यटक के नजरिए से प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पुस्तक में दिए गए अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि इतिहासकारों के अनुसार छठवीं-सातवी शताब्दी में चीनी पर्यटक व्हेनसांग ने भारत भ्रमण के दौरान सिरपुर की भी यात्रा की थी और अपने यात्रा वर्णन में उन्होंने सिरपुर के वैभव का उल्लेख किया था। इसी कड़ी में इस आधुनिक युग में सिरपुर की यात्रा के बाद उसके बारे में एक पर्यटक के नजरिए से श्री ललित शर्मा द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में वहां के इतिहास, कला और संस्कृति पर आधारित उनके गंभीर अध्ययन की झलक मिलती है।
मुख्यमंत्री के साथ पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य भण्डारगृह निमग के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज और प्रदेश सरकार के पुरातत्व सलाहकार श्री अरूण कुमार शर्मा सहित पुरातत्ववेत्ता श्री राहुल सिंह के भी विचार इस पुस्तक में संकलित किए गए हैं। उनके अलावा इंटरनेट पर ब्लॉगिंग की दुनिया में सक्रिय केरल के श्री प.न. सुब्रमनियन, पिट्सबर्ग के श्री अनुराग शर्मा, केलिफोर्निया की सुश्री प्रतिभा सक्सेना, दिल्ली के डॉ. रत्नेश त्रिपाठी, डॉ. टी.एस. दराल, श्री सतीश सक्सेना, बेंगलोर के श्री प्रवीण पाण्डेय, लखनऊ के डॉ. प्रवीण कुमार मिश्रा, जयपुर की सुश्री वाणी शर्मा, इंदौर की श्रीमती अर्चना चावजी, दुर्ग के श्री सूर्यकांत गुप्ता, नागपुर की श्रीमती संध्या शर्मा, बिलासपुर की श्रीमती संज्ञा टंडन, रायपुर के डॉ. सत्यजीत साहू और सुमीत दास तथा बागबाहरा के श्री महेन्द्र चन्द्राकर के अभिमत भी पुस्तक में शामिल किए गए हैं।

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