सोनिया बिन नहीं लग
रहा पीएम का मन!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह एक बार फिर अपने आप को असहाय ही
महसूस करने लगे हैं। कोल गेट की तलवार उनके सर पर लटक रही है। कोयले की सुलगती आग
को कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने थामा तब जाकर मनमोहन के मन में चैन
आया पर अचानक ही वे सब कुछ छोड़कर अमरीका अपने इलाज के लिए रवाना हो गईं। सोनिया के
जाते ही मनमोहन के चेहरे की हवाईयां एक बार फिर उड़ने लगी हैं।
कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों का कहना है कि पहले तो सोनिया गांधी
ने विपक्षी दलों से मिलकर उनका पक्ष जानना चाहा कि आखिर विपक्ष इस मामले में क्या
चाहता है। विमर्श के उपरांत जब चर्चा का लब्बो लुआब यह निकलकर आया कि कोल ब्लाक
रद्द कर दिए जाएं तब सोनिया इसके लिए राजी हो गईं। सोनिया ने सर्वोच्च न्यायालय के
एक सिटिंग जज से इसकी जांच का मन भी बना लिया था।
इस सब कवायद के
उपरांत सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह
से भेंट की। इन दोनों से भेंट के उपरांत ना जाने कौन सा नाटकीय मोड इस पूरे मामले
में आया कि सोनिया ने सभी को अधर में छोड़ा और विदेश कूच कर गईं। विपक्ष असमंजस में
है कि जब चर्चा का सिरा सोनिया ने अपने हाथ में थामा था, फिर उनके चेकप के
लिए विदेश जाने के उपरांत अब वे अपनी बात कहें तो किससे?
उधर, सोनिया के जाते ही
मनमोहन सिंह के चेहरे की हवाईयां भी उड़ने लगी हैं। पीएम को भरोसा था कि इस विषम और
प्रतिकूल परिस्थितियों में सोनिया ही उनकी तारणहार साबित होंगी। वैसे भी सोनिया ने
विपक्षी दलों को अपने घर बुलाकर चर्चा का रास्ता खोला था। उस वक्त लगने लगा था कि
गतिरोध टूट जाए किन्तु अब उनके रहस्यमयी बीमारी के इलाज के लिए विदेश रवाना होते
ही पीएम असहाय ही दिख रहे हैं।
उधर, सीबीआई ने किसके
इशारे पर महाराष्ट्र की सूबाई कांग्रेस के क्षत्रप कहे जाने वाले दर्डा बंधुओं पर
छापे की गाज गिराई है यह भी शोध का ही विषय है। कहा जा रहा है कि चूंकि अब
महाराष्ट्र में दर्डा बंधुओं के स्वामित्व वाले लोकमत समूह का एकाधिकार समाप्त हो
गया है। महाराष्ट्र में हिन्दी और मराठी भाषा में दैनिक भास्कर समूह ने धमाकेदार
आमद दी है, इसलिए अब
कांग्रेस के अंदर लोकमत समूह का खौफ भी समाप्त हो चुका है।
वहीं दूसरी ओर
सांसद विजय दर्डा द्वारा हाल ही में गुजरात के निजाम नरेंद्र मोदी को शेर भी कहा
गया था। माना जा रहा है कि विजय दर्डा के कद को साईज में लाने की गरज से ही
कांग्रेस के इशारे पर राजेंद्र और विजय दर्डा पर सीबीआई की नजरें इनायत हुई हैं।
इन छापों से दर्डा बंधु मुश्किलों में घिरे दिख रहे हैं।
महाराष्ट्र के
सियासी हल्कों में चल रही चर्चाओं को अगर सच माना जाए तो कोयले की इस दलाली में
अनेक सफेदपोश जनसेवकों, नौकरशाहों के साथ ही साथ इनकी देहरी पर पैसों की थाप पर मुजरा
करने वाले अनेक मीडिया मुगलों के चेहरों पर भी इसकी कालिख लगने से इंकार नहीं किया
जा सकता है। कहा जा रहा है कि अब लोकमत समूह के मालिक दर्डा बंधुओं द्वारा दैनिक
भास्कर के 865 करोड़ के कोयले घोटाले पर से परतें उठाना आरंभ किया जा रहा है।
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