हर्बल खजाना
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चिरोटा: फ़ोडे-
फ़ुन्सियों मे असरदार
(डॉ दीपक आचार्य)
अहमदाबाद (साई)।
खेत- खलिहानों, मैदानी
भागों, सडक के
किनारे और जंगलों में प्रचुरता से पाए जाने वाले इस पौधे में अनेक औषधिय गुणों की
भरमार है। इसका वानस्पतिक नाम केस्सिया टोरा है। आदिवासी अंचलों में इसकी पत्तियों
का उपयोग भाजी के तौर पर भी होता है और ऐसा माना जाता है कि यह भाजी अत्यधिक
पौष्टिक होती है।
चिरोटा की पत्तियों
और बीजों का उपयोग अनेक रोगों जैसे दाद-खाज, खुजली, कोढ, पेट में मरोड और दर्द आदि के निवारण के लिये
किया जाता है। पत्तियों का उपयोग खाँसी और मवाद के साथ बने त्वचा घावों को खत्म
करने के लिये भी होता है। पातालकोट के आदिवासी मुर्गी के अंडों से एल्बूमिन (अंडे
के अंदर का चिपचिपा तरल पदार्थ) के साथ पत्तियों को अच्छी तरह से फ़ेंट कर टूटी
हुयी हड्डियों के ऊपर प्लास्टर की तरह लगाते है, इनका मानना है कि
ये हड्डियों को जोडने का कार्य करता है।
पत्तियों के काढे
को दाँतों पर लगाने से दाँतों की समस्या जैसे दाँत दर्द आदि में आराम मिलता है।
पीलिया होने पर डाँग- गुजरात के हर्बल जानकार चिरोटा की पत्तियों और बीजों का काढा
रोगी को देते है। फ़ोडे और फ़ुन्सियाँ होने पर पत्तियों को कुचलकर लेपित किया जाए तो
अतिशीघ्र आराम मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को दाद-खाज और खुजली की समस्या हो तो
चिरोटा के बीजों को पानी में कुचलकर रोग-ग्रस्त अंग पर लगाने से फ़ायदा होता है।
आधुनिक विज्ञान भी इसके एंटी-बैक्टिरियल गुणों को साबित कर चुका है। (साई फीचर्स)
(लेखक हर्बल मामलों
के जाने माने विशेषज्ञ हैं)
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