मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

आधा है चंद्रमा रात आधी . . .


आधा है चंद्रमा रात आधी . . .

(लिमटी खरे)

घपले, घोटाले, भ्रष्टाचार, अनाचार में आकंठ डूबे कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह ने अंततः चोला बदलने का असफल प्रयास कर ही लिया। भ्रष्ट मंत्रियों को हटाने में मनमोहन सिंह सफल नहीं रहे। चिदम्बरम, सलमान ख्ुर्शीद जैसे दागी आज भी भारत गणराज्य के जिम्मेदार मंत्री हैं। वहीं कांग्रेस के कुछ सिपाह सलार संगठन की सेवा में लगा दिए जाएंगें। जनता का ध्यान भ्रष्टाचार से हटाने के लिए मनमोहन सिंह का यह प्रयास कितना रंग ला पाएगा यह तो वक्त ही बताएगा किन्तु एक बात साफ तौर पर दिखाई दे रही है कि प्रधानमंत्री का विवेकाधिकार अब वजीरे आजम की मिल्कियत नहीं बची। पिछले दो दशकों से संगठन और सहयोगी दलों की चाबुक के आगे प्रधानमंत्री भी बेबस नजर ही आते रहे हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी रूक गई पर कांग्रेस के चाटुकार राहुल गांधी को महिमा मण्डित करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ने वाले हैं।

भारत गणराज्य में जितने भी वजीरे आजम अब तक हुए हैं उनमें नेहरू गांधी परिवार से इतर पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले भाजपा के अटल बिहारी बाजपेयी ही रहे हैं। बाजपेयी के उपरांत अब डॉ.मनमोहन सिंह कांग्रेस के ही एसे इकलौते वजीरे आजम बन गए हैं जो नेहरू गांधी परिवार के ना होने के बाद भी लगातार आठ सालों से देश पर शासन कर रहे हैं। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की पहली पारी तो ठीक ठाक रही किन्तु दूसरी पारी में कांग्रेस और सहयोगी दलों के नेताओं ने भ्रष्टाचार को नंगा नाच किया है उससे भारत का गौरवशाली लोकतंत्र शर्मसार ही हुआ है।
विडम्बना तो देखिए मीडिया विशेषकर सोशल मीडिया (सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स) पर कांग्रेस और मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर प्रश्न चिन्ह लगाते ही मनमोहन सिंह से मौन मोहन सिंह ने अपना मौन तोड़ा और आधा दर्जन संपादकों की एक टोली बुलवाकर उनके सामने अपना दुखड़ा रो दिया गया। इस समय प्रधानमंत्री ने परोक्ष तौर पर राष्ट्रधर्म के बजाए गठबंधन धर्म की हिमायत की। संपादकों की टोली भी बाहर आकर खींसे निपोरते हुए प्रधानमंत्री का बचाव करने लगे।
कहा जाने लगा कि प्रधानमंत्री ने आधा दर्जन संपादकों को चाय पर बुलाकर सरकार के इन प्रवक्ताओं को देश भर में छोड़ दिया है। मनमोहन सिंह इस मामले में औंधे मुंह ही गिरे। इन संपादकों की टोली की बात किसी ने भी नहीं सुनी। इसके बाद भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन आने वाले डीएवीपी ने विज्ञापनों का खेल खेला। बड़े और नामचीन अखबारों को भरपेट विज्ञापन मिलने लगे, छोटे और मंझोले अखबार विज्ञापन को तरस गए।
बहरहाल, रविवार को मनमोहन सिंह ने मंत्री मण्डल का विस्तार (एक बार फिर वही पुरानी मैली कमीज झटककर पहन ली है) किया है। इस विस्तार में युवाओं को आगे लाने की हिमायत की जा रही है। ज्यादातर मंत्री साठ के पेठै में हैं। देश के महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और मनमोहन सिंह खुद भी उमर दराज हो चुके हैं पर सत्ता का मोह किसी से छोड़ा नहीं जा रहा है। सुशील कुमार शिंदे, पलनिअप्पम चिदम्बरम, कमल नाथ, जयराम रमेश आदि नेता भी सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं पर आज भी युवा ही बने हुए हैं।
पलनिअप्पम चिदम्बरम और सलमान खुर्शीद पर गंभीर आरोप हैं। कमल नाथ का नाम नीरा राडिया के टेप कांड में कमीशन को लेकर उछला था। धार्मिक मामले में जयराम रमेश ने विवादस्पद बयान दिया था। बावजूद इसके इन सभी को लाल बत्ती से नवाजकर मनमोहन सिंह ने अपनी कमजोरी को दर्शा ही दिया है। अनेक देशवासियों के जेहन में उठ रहे इन प्रश्नों के जवाब तो सिर्फ मनमोहन सिह ही दे सकते हैं।
अव्वल तो यह कि क्या वाकई मनमोहन सिंह ईमानदार हैं? अगर हां, तो वे इन बेईमान दागी जनसेवकों को अपनी टीम का हिस्सा क्यों बनाए हुए हैं? अब तक हुए घपले घोटाले, भ्रष्टाचार पर मनमोहन ने मौन क्यों साधा हुआ है? कांग्रेस के अघोषित राष्ट्रीय दामाद राबर्ट वढ़ेरा के जमीन घोटाले मामले में मनमोहन ने अपनी चुप्पी क्यों नहीं तोड़ी? दुनिया के चौधरी अमरीका की पत्रिका द्वारा मनमोहन सिंह को अंडर अचीवर के खिता से क्यों नवाजा गया? क्यों एफडीआई के मामले की हिमायत कर मनमोहन सिंह कुटीर उद्योगों के हाथ काटने पर तुले हुए हैं? क्या कारण है कि उपराष्ट्रपति के निवास और नवीन जिंदल के नाम से एक साल में अनगिनत घरेलू सब्सीडी वाले सिलन्डर की खबरें उजागर होने पर केंद्र सरकार ने कार्यवाही नहीं की? विदेशों में जमा काला धन वापस लाने, घपले घोटालों का धन वापस राजकोष में जमा करवाने के बजाए रसोई गैस पर से सब्सीडी हटाकर गरीब की कमर क्यों तोड़ी जा रही है?
इस तरह के अनेकानेक सवाल हैं जिनका उत्तर या तो मनमोहन सिंह दे सकते हैं या फिर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी। भारत देश की जनता बहुत सहिष्णु है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसी सहिष्णुता को ब्रितानी गोरों ने हमारी कायरता या नपुंसकता समझने की भूल की थी। आज की सरकारें भी कमोबेश देश की जनता की सहिष्णुता को देशवासियों की नार्मदगी और कायरता समझने की भूल कर रही है।
आम आदमी के अंदर एक लावा धधक रहा है। पेट भर वेतन भत्तों के बाद भी जनसेवकों की भूख नहीं मिट रही है। आम गरीब आदमी पेट में पानी की पट््टी बांधकर अपनी भूख को दबा रहा है। गुरूर में मस्त जनसेवक गरीबों का मजाक उड़ाने से नहीं चूक रहे हैं। योजना आयोग करोड़ों खर्च करता है अपने यहां के अफसरों की लघु और दीर्घ शंका (टायलेट) के लिए, पर मनमोहन सिंह खामोश रहते हैं? क्या हो रहा है इस देश में कोई बताने वाला नहीं बचा है। अभी भी समय है हुक्मरान अगर नहीं चेते तो यह जनता जिसने विशाल जनादेश देकर जनसेवकों को सर पर बिठाया है वह उन्हीं जनसेवकों को सत्ता के गलियारे से बाहर फेंकने में भी गुरेज नहीं करने वाली।
इस विस्तार में सोमनहल्ली मलैया कृष्णा को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वे विदेश मंत्री के बतौर फिट नहीं हो पा रहे थे। उनके स्थान पर सलमान खुर्शीद की ताजपोशी की गई है जिन पर एक एनजीओ के माध्यम से विकलांगों का पैसा खाने का आरोप है। देश के एनजीओ को विदेशों से खासा चंदा मिलता है यह बात किसी से छिपी नहीं है। सोनिया के लिए जान तक देने की बात कहने वाले खुर्शीद को इन आरोपों के बाद बाहर का रास्ता दिखाने की बजाए पदोन्नति दी गई है।
पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी को वहां से हटा दिया जाना इस बात का घोतक है कि मनमोहन सिंह चंद पूजींपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गए हैं। मुनाफे के लिए अब तक अपने हिसाब से सरकार को हांककर नीतियां बनवाते आए पूंजीपतियों की जयपाल रेड्डी के रहते दाल नहीं गल पा रही थी। लंबे समय से इस तरह की खबरें आ रही थीं कि रेड्डी को हटवाने ये पूंजीपति सक्रिय थे। अतंतः जीत इनकी ही हुई।
वहीं दूसरी ओर सरकार के कुछ मंत्री देश हित में काम कर रहे थे पर उनसे वे महत्वपूर्ण विभाग ही छीन लिए गए। मसलन बड़बोले जयराम रमेश देश में शौचालयों के लिए प्रयासरत थे। अगर जयराम का अभियान सफल हो जाता तो निश्चित तौर पर सारी दुनिया में वे छा जाते। अगर रमेश आगे बढ़ जाते तो राहुल की पूछ परख कम होना स्वाभाविक ही थी। संभवतः यही कारण है कि रमेश से एक मंत्रालय छीन लिया गया।
कुल मिलाकर मनमोहन सिंह ने ताश के बावन पत्ते आपस में फेंटें अवश्य हैं पर वे वही पुराने ही पत्ते हैं जिनमें से अधिकतर पर तो दाग ही लगे हुए हैं। मंत्रीमण्डल के आकार, प्रकार, सदस्यों की तासीर और सोच को देखकर यह लगता नहीं है कि आने वाले दिनों में जनता के मन में कांग्रेस के प्रति सोच में सकारात्मक बदलाव आ सकेगा।

अस्ताचल की ओर बढ़ रहा है गड़करी का सूर्य


अस्ताचल की ओर बढ़ रहा है गड़करी का सूर्य

बज गई गड़करी की बिदाई की डुगडुगी

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। हिन्दुत्व की पोषक और हिन्दूवादी विचारधारा को मानने वाली भारतीय जनता पार्टी के नए निजाम अपनी टीम की घोषणा सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही करने वाले हैं। लगातार दूसरी पारी पाने के उपरांत नितिन गड़करी अब टीम के गठन की सारी संभावनाएं टटोलते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि गड़करी के अध्यक्ष पद के दिन अब गिनती के ही बचे हैं।
ज्ञातव्य है कि सूरजकुण्ड अधिवेशन में गड़करी के दूसरे टर्म के मार्ग पूरी तरह प्रशस्त हो चुके हैं। इसके साथ ही साथ गड़करी पर लग रहे आरोपों ने उनकी मुश्किलें एकदम से बढ़ा दी हैं। दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गड़करी पर लगे आरोपों से संघ का शीर्ष नेतृत्व सकते में है। हाल ही में संघ के वरद हस्त के चलते ही गड़करी को दूसरी पारी मिल पाई है।
केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि संघ के शीर्ष नेतृत्व ने अब गड़करी का विकल्प तलाशना आरंभ कर दिया है। वैसे संघ मुख्यालय नागपुर के सारे अतिआवश्यक दायित्वों का भोगमान गड़करी सालों से भोगते आए हैं इसलिए संघ का नेतृत्व गड़करी को काफी पसंद करता है। अब जबकि गड़करी पर आरोपों की बौछारें हो चुकी हैं तब संघ के नेताओं ने भी गड़करी के खिलाफ तलवारें पजाना आरंभ कर दिया है।
संघ के आला दर्जे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि अगर गड़करी के खिलाफ मीडिया में मामला लंबा खिंच गया तो फिर अगले आम चुनावों में गड़करी के नेतृत्व में भाजपा को चुनावी समर में उतारने से गलत संदेश जाएगा। गड़करी पर लगे आरोपों पर संघ इसे भले ही भाजपा का अंतरिक मामला कहकर दूर हटने का स्वांग रच रहा हो पर सच्चाई यह है कि संघ का नेतृत्व इन आरोपों से बुरी तरह आहत है। गड़करी के इस प्रकरण ने संघ को अंदर ही अंदर पूरी तरह हिलाकर रख दिया है।
संघ के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि उनकी जानकारी में संघ यह दूसरी बार बुरी तरह हिला है। इसके पहले दिसंबर 2005 में संजय जोशी के सीडी कांड के उपरांत संघ बैकफुट पर आ गया था, और अब भी संघ बैकफुट पर ही दिख रहा है।
नागपुर स्थित संघ मुख्यालय के सूत्रों का कहना है कि संघ के सहसरकार्यवाहक भैया जी जोशी और सौदान सिंह इस प्रकरण के बाद भी ढाल बनकर गड़करी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सह सरकार्यवाहक सुरेश सोनी, दत्तात्रय होसबोले एवं के.सी.कन्नन चाह रहे हैं कि गड़करी की बिदाई जल्द हो जाए। संघ से प्रतिनियुक्ति पर भाजपा में आए रामलाल और वी.सतीश भी गड़करी की तत्काल बिदाई की वकालत करते दिख रहे हैं।

लाजपत ने लूट लिया मध्य प्रदेश जनसंपर्क


लाजपत ने लूट लिया मध्य प्रदेश जनसंपर्क

(विस्फोट डॉट काम)

(मध्य प्रदेश में मीडिया पर कब्जा करने की मंशा शायद भाजपा सरकार या संगठन की है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में सरकारी विज्ञापन जारी करने के लिए पाबंद जनसंपर्क महकमे में अधिकारों की धुरी सिमटकर अपर संचालक लाजपत आहूजा के इर्द गिर्द आ गई है। इंटरनेट पर कम रैंकिंग वाली एक वेब साईट को पंद्रह लाख रूपए के विज्ञापन दिए जाते हैं तो बाकी की वेब साईट अफसरों की चिरौरी पर मजबूर हैं। मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के काले चिट्ठों से संबंधित समाचार की कडियां हम आप तक पहुंचाने का प्रयत्न कर रहे हैं)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क के आदेश क्रमांक डी-72316 एमपी पोस्ट के नाम जारी किया गया है। यह आदेश 17 अगस्त 2012 को जारी किया गया है जिस पर 15 लाख रूपये की राशि स्वीकृत की गई है। कमाल देखिए की वेबसाइट को विज्ञापन देने के एक सप्ताह के अंदर ही शर्मन नगेले 15 लाख रूपये का बिल जनसंपर्क में जमा करा देते हैं। वे 25 अगस्त को अपना बिल जमा कराते हैं और उनके बिल पर आनन फानन में कार्रवाई करते हुए डेढ़ महीने के अंदर जनसंपर्क विभाग भुगतान भी कर देता है। शर्मन नगेले 25 अगस्त 2012 को बिल जमा कराते हैं और 11 अक्टूबर 2012 को उन्हें 14 लाख 70 हजार ई ट्रांसफर के जरिए जारी कर दिया जाता है।
अव्वल तो इस आदेश पर ही सवाल उठता है कि एक अदना सी वेबसाइट को आखिर किस आधार पर पंद्रह लाख का विज्ञापन दिया गया। यह सच है कि मध्य प्रदेश जनसंपर्क में वेबसाइटों को लेकर कोई नियम कानून नहीं है और अपनों को उपकृत करने के लिए मध्य प्रदेश जनसंपर्क के विज्ञापन वेबसाइटों को भरपूरी मात्रा में बांटे जाते हैं। लेकिन इस मामले में कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। एक तो यह साइट कोई ऐसी विशेषज्ञता वाली वेबसाइट नहीं है और न ही इसकी दर्शकों की संख्या इतनी बड़ी है कि जनसंपर्क उसके जरिए लोगों तक पहुंचने के लिए एक विज्ञापन के ऐवज में 15 लाख रूपये का भुगतान कर दे। फिर आखिर क्या कारण है कि लाजपत आहूजा ने यह कमाल कर दिखाया?
मध्य प्रदेश जनसंपर्क में लूट की इस अनहोनी कहानी के सामने आने आने के बाद मध्य प्रदेश सरकार और संबंधित मंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि वह जनसंपर्क द्वारा जारी इस विज्ञापन की जांच करवाएं कि आखिर किस आधार और क्राइटेरिया के तहत जनता के 15 लाख रूपये एमपीपोस्ट।कॉम को जारी किये गये। साथ ही साथ शर्मन नगेले के एकाउण्ट की भी जांच होनी चाहिए कि एकममुश्त रकम हासिल करने के बाद क्या उन्होंने कोई बड़ी रकम किसी को अदा की है। अगर दी है तो वह व्यक्ति कौन है? साथ ही साथ इस संबंध में एक विभागीय जांच भी करनी चाहिए कि लाजपत के राज में लूट की और कौन कौन सी कहानी लिखी जा रही है?

फ्लोर मैनेजमेंट में कमल नाथ का कोई सानी नहीं


फ्लोर मैनेजमेंट में कमल नाथ का कोई सानी नहीं

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। 1980 से लगातार छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व करने वाले कमल नाथ को अब संसदीय कार्य मंत्रालय की जवाबदेही सौंपी गई है। कमल नाथ का प्रबंधन वाकई गजब का है। सभी दलों के नेताओं के बीच कमल नाथ की स्वीकार्यता भी है। कमल नाथ के इस कौशल का उपयोग कांग्रेस नेतृत्व ने काफी अरसे बाद किया है जिससे लगने लगा है कि अब संसद के सत्रों में हंगामा कम ही देखने को मिलेगा।
केंद्रीय शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को संसद भवन में संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्यभार सम्भाला। रविवार को हुए कैबिनेट फेरबदल के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री को संसदीय कार्य मंत्री का कार्यभार भी सौंपा गया था। पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कमलनाथ ने कहा कि वह सभी राजनीतिक पार्टियों से राष्ट्रहित में बनाई गई राष्ट्रीय नीतियों पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।
अगले महीने शीतकालीन सत्र को सुचारू रूप से चलाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद का स्थान काफी ऊंचा है और यह इच्छा प्रकट की कि सभी राजनीतिक पार्टियां संकीर्ण राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित के मुद्दों पर चर्चा और बहस करेंगी।
कमल नाथ के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कमल नाथ वैसे भी संसद के वरिष्ठ सांसद हैं एवं उनकी विकास परख सोच के चलते ही उन्हें अब तक दिए गए वन एवं पर्यावरण, वस्त्र, वाणिज्य एवं उद्योग, भूतल परिवहन, शहरी विकास मंत्रालयों की जिम्मेदारी उन्होंने ना केवल बखूबी निभाई है, वरन् मंत्रालयों को नई दिशा भी प्रदान की है।

भूमि अधिग्रहण विधेयक में हुए सुधार


भूमि अधिग्रहण विधेयक में हुए सुधार

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे में नये बदलाव किये हैं। इन बदलावों के तहत निजी उद्देश्य के लिए अधिगृहीत की जाने वाली जमीन के मालिकों की मंजूरी लेने का प्रावधान और सख्त कर दिया गया है। ये बदलाव यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की सलाह पर किया गया है।
कल नई दिल्ली में इन बदलावों की जानकारी देते हुए कृषि मंत्री और विधेयक से संबंधित मंत्री समूह के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में निजी उद्देश्यों के लिए भूमि अधिगृहित करने के वास्ते जमीन के ६७ प्रतिशत मालिकों की जगह ८० प्रतिशत मालिकों की मंजूरी लेना जरूरी होगा।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए जमीन अधिगृहित करने के वास्ते मालिकों की मंजूरी लेना जरूरी नहीं होगा। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के साथ इस मसले पर संक्षिप्त बैठक के बाद श्री पवार ने बताया कि प्रस्तावित बदलाव मंत्री समूह के चौदह सदस्यों के बीच जल्द ही वितरित कर दिये जाएंगे, जिससे इन पर उनकी राय और सहमति ली जा सके।
शरद पंवार के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने इससे पहले, मंत्री समूह की १६ अक्तूबर को हुई बैठक में निजी उद्देश्यों के लिए जमीन का अधिग्रहण करने के वास्ते दो तिहाई भू-स्वामियों की मंजूरी के प्रावधान को मंजूरी दी गई थी।

एफएम होगा और उन्नत: वर्मा

एफएम होगा और उन्नत: वर्मा

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि सरकार भारत को टेलीपोर्ट केंद्र बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर गंभीरता से विचार कर रही है जिससे देश में विश्व के टीवी प्रसारकों के लिए कार्यक्रमों की अपलिंकिंग और डाउन लिंकिंग सुविधा दी जा सके।
एक सम्मेलन में कल सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव उदय कुमार वर्मा ने कहा कि एफ एम रेडियो की पहुंच और सामग्री बढ़ाने के लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश के टेलीपोर्ट हब बनने से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश-एफडीआई में तेजी लाने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
देश के चारों महानगरों में केबल नेटवर्क के डिजिटीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि रोजाना औसतन ४५ हजार से ५० हजार सेट लगाए जा रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि चारों महानगरों में केबल डिजिटीकरण का काम इस महीने के अंत तक पूरा हो जाएगा।

असम में ग्रेनेड विस्फोट में युवक की मौत


असम में ग्रेनेड विस्फोट में युवक की मौत

(पुरबालिका हजारिका)

गोवहाटी (साई)। असम में कल शाम उदलगिरी जिले के रेलवे स्टेशन रोड़ पर हुए ग्रेनेड विस्फोट में एक युवक की मौत हो गई और पांच घायल हो गए। उदलगिरी के पुलिस अधीक्षक देबोजीत देउरी ने बताया कि घायलों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा की है।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एक हफ्ते के अंदर निचले असम में ग्रेनेड विस्फोट की यह दूसरी घटना है। सुरक्षा बलों ने गश्त बढ़ा दी है और दोषियों को पकड़ने के लिए  अभियान जोरों पर है। पुलिस ने विस्फोट की जगह से एक और ग्रेनेड बरामद की है जिसे बाद में नाकाम किया गया। अब तक किसी भी संगठन ने विस्फोट की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस बीच गुवाहाटी शहर में उग्रवादियों के संभावित हमले के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

हिमाचल ने मांगी सीआरपीएफ की साठ कंपनियां

हिमाचल ने मांगी सीआरपीएफ की साठ कंपनियां

(स्वाति नाडकर्णी)

शिमला (साई)। हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए केन्द्र से अर्धसैनिक बलों की साठ कंपनियां मुहैया कराने को कहा है। राज्य सरकार के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य पुलिस के साथ ये सुरक्षा बल, सात हजार २५२ मतदान केन्द्रों की निगरानी करेंगे।
एक अनुमान के अनुसार प्रदेश चुनाव आयोग के अनुसार इस बार विधानसभा चुनाव में एक लाख से अधिक नए मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इसके बावजूद मतदाता सूची में रोचक बात यह है कि पिछले चुनाव के मुकाबले मतदाताओं की संख्या में केवल तीन हजार नौ सौ की मामूली वृद्धि हुई है।

तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी


तटीय इलाकों में हाई अलर्ट जारी

(प्रीति सक्सेना)

चेन्नई (साई)। दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में बने हवा के कम दबाव के तूफान में बदलने और कल शाम तक नेल्लोर तथा नागापट्टिनम  के बीच तट को पार करने की आशंका को देखते हुए आंध्र प्रदेश सरकार ने दक्षिणी तटीय और उससे सटे रायलसीमा जिलों के लिए हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ने जिला अधिकारियों को सतर्क रहने और जान-माल के नुकसान को टालने के लिए सभी तरह के एहतियाती उपाय करने को कहा है। इस बीच, आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में कल शाम भूकम्प के झटके महसूस किये गए।
इन भूकंप के झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर ३ दशमलव आठ मापी गई। राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान के एक वैज्ञानिक ने बताया कि भूकम्प का केन्द्र नरसारावपेट से बीस किलोमीटर दूर था। भूकम्प के झटके प्रकासम, नेल्लोर, खम्माम और कृष्णा जिलों में भी महसूस किये गए।
उधर, दक्षिण बंगाल की खाड़ी पर बना हवा का दबाव पश्चिम की ओर बढ़कर चेन्नई से करीब ५५० किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में हवा के गहरे दबाव में तब्दील हो गया है। इसके तूफान में परिवर्तित होने की आशंका के बीच नागापट्टिनम, कुड्डालोर, तिरुवेल्लूर, चेन्नई और तिरूवरूर के तटवर्तीय इलाकों में मूसलाधार बारिश हुई।
आंध्र प्रदेश के विभिन्न जिलों के समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार बारिश के कारण नागापट्टिनम, तिरूबल्लुर, रामेश्वरम और चेन्नई में शैक्षणिक संस्थान आज बंद रहे। निचले इलाकों में रहने वालों को स्कूलों और मैरिज हॉलों में शरण देने की व्यवस्था की गई है। ५५ से १०० किलोमीटर की गति से हवाएं चलने की आशंका के कारण मछुआरों को समुद्र में न जाने को कहा गया है। चेन्नई में कल देर रात से भारी वर्षा हो रही है।

सैंडी की विनशलीला जारी


सैंडी की विनशलीला जारी

(यशवंत)

वाशिंग्टन डीसी (साई)। कैरिबियाई क्षेत्र में तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान सैंडी तेज गति के साथ अमरीका के पूर्वी तट तक पहुंच गया है। इसकी वजह से जबरदस्त बाढ़ आ सकती है और बिजली गुल हो सकती है। सैंडी से छह करोड़ लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। इस तूफान के कारण ९० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ तेज हवाएं बह रही हैं, जिससे भारी नुकसान होने की आशंका है।
इस बीच, लाखों लोगों को न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी शहर खाली कर देने का आदेश दिया गया है। नौ राज्यों में आपात स्थिति की घोषणा कर दी गई है। पूर्वी क्षेत्र के शहरों में सार्वजनिक परिवहन रोक दिया गया है और हजारों उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अमरीकियों को आगाह किया है कि वे सैंडी तूफान को गंभीरता से लें।
उन्होंने अपना चुनाव प्रचार भी रोक दिया है और वे हालात पर नजर रखने के लिए व्हाइट हाउस लौट आए हैं। उन्होंने सैंडी से निपटने की तैयारियों के बारे में अपने वरिष्ठ सलाहकारों और अधिकारियों के साथ आपात बैठक भी की। विमानन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एयर फ्रांस, ब्रिटिश एयरवेज और वर्जिन एटलांटिक एयरलाइन ने पूर्वी तटीय शहरों न्यूयार्क, बाल्टिमोर, नेवार्क, वाशिंगटन, बोस्टन और फिलाडेल्फिया से अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं।
वहीं दूसरी ओर कोलंबो से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि श्रीलंका के मौसम विभाग ने आज तड़के तूफान की चेतावनी जारी की। विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कल मध्यरात्रि को ये तूफान मुल्लातिवू तट से करीब सौ किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में केंद्रित था और इसके आज दोपहर १२ बजे तक पश्चिम-पश्चिमोत्तर दिशा में बढ़ने की संभावना है। मुल्लातिवू जि$ले के निचले इलाकों में रहने वालों से सुरक्षित स्थानों में चले जाने को कहा गया है। लोगों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।

किस विभाग के निजाम होंगे कटारिया!


किस विभाग के निजाम होंगे कटारिया!

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। जयपुर ग्रामीण के सांसद लाल चंद कटारिया को लेकर असमंजस बरकार ही है। उन्हें मंत्री पद की शपथ तो दिलवा दी गई है पर अभी तक यह तय नहीं किया गया है कि उन्हें कौन सा विभाग सौंपा जाएगा। वैसे घोषित तौर पर उन्हें रक्षा राज्यमंत्री बनाया गया है पर रक्षा मंत्री अंटोनी को वे पसंद नहीं आ रहे हैं।
लालचंद कटारिया अब बुधवार को राज्य मंत्री का कार्यभार संभालेंगे। हालांकि अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि वो किस विभाग में बतौर राज्यमंत्री काम काज शुरू करेंगे। कटारिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद कहा कि वो कल पदभार संभालेंगे लेकिन मंत्रालय कौन सा होगा ये अभी तय नहीं है।
गौरतलब है कि कैबिनेट फेरबदल में कटारिया तो रक्षा मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री ए के एंटनी को उनके नाम पर आपत्ति थी। सूत्रों के मुताबिक एंटनी के ऐतराज के बाद ही कटारिया को चार्ज लेने से रोका गया। लाल चंद कटारिया जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस के सांसद हैं।

जगतगुरू शंकराचार्य के सानिध्य में होगी विष्णु व महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा


जगतगुरू शंकराचार्य के सानिध्य में होगी विष्णु व महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। नगर के बस स्टैण्ड मंदिर लक्ष्मी नारायण दिव्यधाम में विराजित भगवान विष्णु एवं भगवती महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा व कलशारोहण का भव्य आयोजन आगामी अक्षय तृतीया के पुण्य अवसर पर अनंत श्री विभूषित जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में होगा। इस अविस्मरणीय और गौरवशाली अवसर पर स्वयं महाराज श्री के साथ ही दण्डी स्वामी पूज्य सदानंद सरस्वती जी महाराज, अमरकंटक के महामण्डलेश्वर जी, संत सुबुद्धानंद जी महाराज सहित अनेक संतो की उपस्थिति की अनुमति महाराज श्री द्वारा प्रदान कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि नगर के धार्मिक, सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कुछ उत्साही युवकों द्वारा काफी दिनों से इस बात का प्रयास किया जा रहा था कि मंदिर में विराजित जगधापति भगवान लक्ष्मीनारायण जी की दिव्य प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अनेक संयोगो से सुसज्जित ऐसे अनूठे अवसर पर संपन्न हो, जब ग्रह नक्षत्र और तिथियां तो अनुकूलहो ही बल्कि स्वयं श्री अनंत विभूषित जगतगुरू स्वामी शंकराचार्य जी की उपस्थिति भी इस धार्मिक अनुष्ठान को अलौकिकता प्रदान करें। इन धर्म परायण युवाओं का संकल्प उनकी श्रद्धा, लगन और विश्वास का ही प्रतिफल है कि 2013 में पडने वाली अक्षय तृतीय के पावन अवसर पर महाराज श्री अपनी उपस्थिति की अनुमति प्रदान कर उन्हें कृतार्थ कर दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान लक्ष्मी नारायण का नैमेतिक पूजन अर्चन इस मंदिर में चल रहा है। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विशाल शोभायात्रा, प्राण प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण होंगे। जगत के पालनकर्ता, ग्रह और नक्षत्रों के स्वमी भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, अक्षय तृतीय जैसी सर्वश्रेष्ठ तिथि और संत समागम एक ऐसा अनुपम एवं दुर्लभ सुसंयोग है जो जन्मो की साधना और अनेक पुण्य कर्मो के फलस्वरूप मानव जीवन को प्राप्त होता है।

जमीन की जांच में रॉबर्ट को राहत


जमीन की जांच में रॉबर्ट को राहत

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। रॉबर्ट वाड्रा को जमीन की जांच में राहत मिल गई है। हरियाणा के चार जिलों के उपायुक्तों ने अपनी जांच में जमीन सौदे को लेकर सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को क्लीनचिट दे दी है। गुड़गांव, फरीदाबाद, पलवल और मेवात के उपायुक्तों ने वाड्रा के जमीन सौदों की जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें कहा गया है कि जमीन सौदों में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है। गौरतलब है कि अशोक खेमका ने 2005 से अभी तक के रॉबर्ट वाड्रा के सभी जमीन सौदों की जांच के आदेश दिए थे।
जांच के बाद जो रिपोर्ट दी गई है उसमें कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा की एनसीआर एरिया से जुड़े जमीन के सौदों में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं बरती गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जिलों में खरीदी गई सभी जमीनों में वाड्रा ने स्टाम्प ड्यूटी का पूरा भुगतान किया है। इस तरह चारों चारों जिलों के डीसी ने रॉबर्ट वाड्रा को क्लीन चिट दे दी है। लेकिन इस रिपोर्ट  से यह बात भी सामने आई है कि वाड्रा की कंपनियों ने 2005 के बाद से अब तक हरियाणा में करीब दो सौ एकड़ जमीन खरीदी है। इनमें पलवल में 74 एकड़, फरीदाबाद में 52 एकड़, गुड़गांव में 47 एकड़ और मेवात में 27 एकड़ शामिल है।
अशोक खेमका ने मानेसर के निकट शिकोहपुर में वाड्रा-डीएलएफ के बीच हुए साढ़े तीन एकड़ जमीन के सौदे का रिकॉर्ड रद्द कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने पलवल, फरीदाबाद, गुडग़ांव और मेवात के जिला उपायुक्तों को वाड्रा की कंपनियों द्वारा 2005 से खरीदी गई जमीनों के रिकॉर्ड जांच कर इसकी रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। उनके जांच के आदेश देने के बाद उनका तबादला कर दिया गया था जिसके बाद इस मुद्दे पर काफी हल्ला मचा था।
वाड्रा को पाक साफ बताने पर भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने आज कानपुर में कहा कि हरियाणा सरकार के इन उपायुक्तों द्वारा जांच में वाड्रा को क्लीन चिट दिए जाने का कोई मतलब नहीं है। यह जमीन सरकार के अधिकारियों द्वारा दी गयी थी और सभी अधिकारी सरकार के ही नुमाइंदे होते हैं। वहीं वाड्रा पर आरोप लगानेवाले अरविंद ने कहा है कि जिस बात की उम्मीद थी वही हुआ। उन्होंने कहा कि उपायुक्तों की जांच तो केवल एक बहाना है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही एक दूसरे को भ्रष्टाचार पर बचाने में लगे हुए हैं। जांच के इस नतीजे के पीछे की कहानी जो हो लेकिन अभी तो कांग्रेस के लिए यह अच्छी खबर ही है। कांग्रेस भ्रष्टाचार को लेकर गडकरी पर लगातार हमले कर रही है। रॉबर्ट के पाक साफ साबित होने के बाद गडकरी पर कांग्रेस के हमले और तेज हो सकते हैं।

भारत गरीब नही है इसको कांग्रेसी लुटेरो ने लूट कर गरीब कर दियाः रामदेव


भारत गरीब नही है इसको कांग्रेसी लुटेरो ने लूट कर गरीब कर दियाः रामदेव

(सचिन धीमान)

सहारनपुर (साई)। भारत गरीब नही है इसको कांग्रेसी लुटेरो ने लूट कर गरीब कर दिया है। देष का चार सो लांख करोड रूपया विदेषी बैंको मे जमा किया गया है यदि वह देष मे वापस लाया जाये तो उससे इतना सोना आजाए की पूरे भारत की धरती पर सोने की परत चढाई जा सकती है। जबकि किसानों के देष में इस समय देष का किसान 10 हजार करोड का कर्जबंद है। उक्त बाते जनपद के विष्वविख्यात धर्मनगरी देवबंद के देवीकुण्ड प्रांगण में आयोजित किसान महापंचायत में बोलते हुए योगगुरू बाबा रामदेव ने कही।
पंतजली योग पीठ के सौजन्य से जनपद के देवबंद स्थित देवीकुण्ड पर आयोजित किसान पंचायत में उपस्थित भीड तो सम्बोधित करते हुए योग गुरू रामदेव जी ने कहा कि किसानों के देष मे किसान ही सबसे पिछडा है वह आर्थिक लडाई लड रहा है। उसको उसकी फसल का उचित मूल्य नही मिल रहा है। सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान कर्ज से डूब रहा है। इस समय देष का किसान 10 हजार करोड का कर्जबंद है। गुरू रामदेव ने कहा कि देष मे 20 हजार लाख करोड की सम्पदा है तथा बजट मात्र 200 लांख करोड बनता है फिर भारत गरीब कहा है। भारत गरीब नही इसको तो इन नेताओं ने लूटकर गरीब बना दिया है। इनके द्वारा 50 मिलियन इन कोयला फ्री मंे दे दिया गया जिसकी कीमत 400 लाख करोड रूपये बैठती है। सरकारों मे बैठे लोगो के द्वारा लूट मचाई जा रही है। जिसका उदाहरण जनता के सामने टू.जी, कोयला और सी.बी.सी. घोटालो के रूप मे आ चुका है। बाबा रामदेव ने कहा कि जिन लोगों ने देष की आजादी के लिए प्राण दिये उनका कोई पता नही और कांग्रेस के लुटेरे देष को लूट रहे है। उन्होने कहा कि देष को आजाद कराने मे सात लाख लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। स्वामी जी ने कहा 14 अगस्त 1947 मे देष आजाद हुआ और तभी से इन्होने देष को लूटना प्रारम्भ कर दिया था। यदि देष मे लूट न होती तो आज देष को दस गुणा लाभ होता। सरकार मंहगाई बढाकर देष को लूट रही है, आज चार सौ रूपये का गैस सिलेण्डर एक हजार बारह सौ रूपये मिल रहा है। उन्होनंे कहा कि आज हर गृहणी रोटी बनाते सोनिया गांधी को गाली देती है।
उन्होने कहा कि गैस का 80 प्रतिषत देष मे पैदा होता है। गैस का भाव देष मे दो सौ- ढाई सौ रूपये सिलेण्डर से अधिक नही बनता है। इसी प्रकार डीजल और पैट्रोल की स्थिति है जो तीस, चालीस रूपये लीटर से अधिक नही बनता है परन्तु सरकार ने टैक्स लगाकर मंहगा किया हुआ है। इस प्रकार सरकार लगातार मंहगाई बढा रही है। उन्होने कहा कि कांग्रेस राष्ट्र घाती है। उन्होने साफ-साफ कहा कि देष से यदि बेईमान खत्म हो जाये तो मंहगाई स्वंय ही समाप्त हो जायेगी। उन्होने कहा कि देष मे बिजली पैदा करने के बाद मूल्य डेढ-दो रूपये यूनिट बैठता है और सरकार छः रूपये यूनिट मूल्य वसूल रही है। उन्होने कहा कि किसान को उसकी फसल का लाभकारी मूल्य मिलना तो दूर की बात लागत मूल्य भी नही मिल रहा है। उन्होने कहा कि यदि किसान को सही मूल्य मिले तो भाव डेढ से दुगना मिल सकता है। बाजार मे भाव न बढे इसके लिए किसान को क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिये। भारत की गरीबी दूर करने के लिए उन्होने कहा कि यदि इस देष से भ्रष्टाचार दूर हो जाये और काला धन भारत वापस आ जाये तो देष मे कोई गरीब नही रहेगा। दुर्भाग्य तो यह है कि जिन लोगों के हाथ मे सत्ता है वही लुटेरे है। उन्होने कहा कि यदि एक गांव से एक सो किसान, एक सो जवान तथा एक सो माता बहने भ्रष्टाचार के खिलाफ खडे हो जाये तो देष का नक्सा ही बदल जाए। उन्होने गांव मिरगपुर की प्रषन्सा की, कि वहां लोग सात्विक है। उन्होने सभी से षराब न पीने की अपील की। गुरू राम देव ने किसानों से कहा कि वह देषी खाद का प्रयोग करने को गाय पाले। उन्होने बताया कि गाय को गोबर 15 किलो, 10 किलो गो मूत्र, एक मुठ्ठी गुड व एक मुठ्ठी दाल को ड्रम मे डाल कर सडाले यह खाद एक एकड भूमि के लिए काफी है। गुरू रामदेव ने अन्त मे योग तथा अनेक बीमारियों के उपचार के बारे मे बताया।
इनके अलावा भारतीय किसान यूनियन के राकेष टिकैत, किसान पंचायत के संयोजक भगत सिंह वर्मा ने भी सम्बोधित करते हुए किसानों की दुरदर्षा का बखान किया। इस अवसर पर अनूप सिंह चैयरमेन, डा.डी.के.जैन, चन्द्रपाल सिंह, राजेन्द्र त्यागी, डा. कल्याण सिंह सहित बडी संख्या मे किसान नेता मौजूद रहे। बाबा रामदेव की किसान पंचायत को देखते हुए प्रषासन ने सुरक्षा को कडी व्यवस्था की थी। इस अवसर पर सुरक्षा की दृष्टी से उपजिलाधिकारी राजेष कुमार सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी सुरेषपाल सिंह कई थानो की पुलिस के साथ मौजूद रहे।
0 बाबा रामदेव ने बदला चौला, योगगुरू से बन बैठा किसान हितैषी
भगवा चौला पहनने वाले बाबा रामदेव दिखाई दिये किसानों की पगडी में
देष के अमीर लोगों से मिलकर बात करने वाले बाबा रामदेव को अब किसानों व आम जनता की याद आनी शुरू हो गयी है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ माह पहले तक पंतजली के संस्थापक एवं विष्व विख्यात योग गुरू बाबा रामदेव के पास देष की आम व गरीब जनता से बात न करने व मिलने का समय भी नहीं होता था। परंतु विगत दिनों दिल्ली में रामदेव द्वारा केन्द्र सरकार के खिलाफ खोले गये आंदोलन के बाद जब उनके पैसों वाले अमीर समर्थक उनके पीछे भीड जुटाने में असमर्थ दिखाई देने लगे और वहीं दूसरी ओर बाबा रामदेव के पीछे पडी केन्द्र की सत्तारूढ कांग्रेस सरकार द्वारा उनका पीछा न छोडने के कारण तथा योग पीठ पंतजली में भी कांग्रेस सरकार द्वारा छापे लगवाये जाने की घटना के बाद जब उनके अमीर समर्थकों ने उनका साथ नहीं दिया तो बाबा रामदेव को अब देष की गरीब आम जनता ही दिखाई देने लगी है। जिसका उदाहरण रविवार को पंतजली योग पीठ के तत्वाधान में आयोजित किसान महापंचायत में देखने को मिला। जो योग गुरू विगत दिनों तक योग के नाम पर सभाओं का आयोजन करते थे वे अब योग षिविरों से निकलकर किसानों की पंचायतों के नाम पर सभाएं लगाने लगे। वहीं दूसरी ओर लोगों को यहां तक कहते सुना गया कि बाबा रामदेव की योग विद्या मानो कांग्रेस सरकार ने छिन ली हो और अब योग गुरू योग सिखाने की बजाए अब किसानों के बीच उतरकर किसानों की बात कर अपने आपको कांग्रेस व केन्द्र सरकार से बचाने में जुट गये है। बाबा रामदेव के अमीर घराने के पैसे वाले समर्थक उनके आसपास मंडराते दिखाई नहीं दे रहे है। जिस कारण बाबा रामदेव को किसानों की बात करने से भीड जुटाने का फार्मुला दिखाई दिया जो पहली ही बार में विफल नजर आया। पंतजली के योग पीठ द्वारा आयोजित किसान महापंचायत में भीड न जुटने के कारण योग गुरू बाबा रामदेव के चेहरे पर खुषी भी नजर नही ंआयी थी। पूरा पंडाल खाली खाली दिखाई दे रहा था। हर कोई यही कहता नजर आया कि बाबा रामदेव जो कल तक योग सिखाने की बात करते थे और अमीरों के साथ बैठकर उनकी ही बात रखते थे वह आज अचानक भगवा पहनावे से किसानों की पगडी में कैसे नजर आये यह बात किसी को भी पच नहीं रही है। यहां तक किसान क्षेत्र के किसानों की माने तो बाबा रामदेव अपने आपको कांग्रेस से बचाने के लिए और अपने पीछे भीड दिखाकर केन्द्र की सत्तारूढ कांग्रेस सरकार के जाल में फंसने से बचने का प्रयास कर रहे है। बाबा रामदेव की इस किसान महापंचायत को देखकर हर कोई आष्चार्यचकित है।

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

कृष्णा की हो गई बिदाई

कृष्णा की हो गई बिदाई

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। केंद्र सरकार के संभावित मंत्रीमण्डल फेरबदल की अब तैयारियां मुकम्मल हो गई हैं। केंद्रीय विदेश मंत्री सोमनहल्ली मलैया कृष्णा की बिदाई की खबरों के साथ अब मंत्रियों की धड़कने भी बढ़ गई हैं। पता नहीं किसे रविवार को अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका यह इस्तीफा केंद्रीय मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल से ठीक पहले आया है। खबर है कि रविवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। इस्तीफे के कारणों का अभी पता नहीं चला है लेकिन माना जा रहा है कि रविवार को होने वाले फेरबदल में उन्हें पद से हटाया जा सकता था।
कांग्रेस पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक कृष्णा को कर्नाटक कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। कृष्णा वोक्कालिगा हैं जो प्रदेश के जातिगत समीकरणों के लिहाज से खासी ताकतवर जाति मानी जाती है। कृष्णा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस में उनकी भूमिका पार्टी के लिए खासी अहम साबित हो सकती है।
कृष्णा के अलावा अब और भी मंत्रियों के पर कतरने की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। इस बार के मंत्रीमण्डल विस्तर में राहुल की छाया दिखने की उम्मीद जताई जा रही है। राहुल गांधी द्वारा मनमोहन सिंह को सर बोला जाएगा या नहीं यह बात अभी भविष्य के गर्भ में ही है।

छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज पर मंदी का ग्रहण!


छिंदवाड़ा नैनपुर ब्राडगेज पर मंदी का ग्रहण!

भारतीय रेल के नक्शे से गायब हो जाएगी मोगली की कर्मभूमि

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रसिद्ध ब्रितानी घुमंतू और पत्रकार रूडयार्ड किपलिंग की जंगल बुकके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हीरो मोगलीकी कर्मभूमि एवं सनातन पंथी हिन्दु धर्म के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की जन्मभूमि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को एक बार फिर छलने की तैयारी पूरी हो चुकी है। ब्राडगेज के नाम पर सालों से झुनझुना बजाने वाले जनसेवकों की अनदेखी से अब रेल्वे की मंदी की मार छिंदवाड़ा से बरास्ता सिवनी, नैनपुर नेरोगेज के अमान परिवर्तन पर पड़ने वाली है।
वित्त मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जनसेवकों, नौकरशाहों की विलासिता से देश का खजाना खाली हो रहा है। वित्त मंत्रालय की बार बार की फिजूलखर्ची रोकने की चेतावनियां भी फिजूलखर्ची रोकने में नाकायमयाब ही साबित हो रही हैं। मजबूरी में अब वित्त मंत्रालय को विकास की योजनाओं को रोकने की कवायद करनी पड़ रही है।
उधर, रेल्वे बोर्ड के एक उच्चाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि भारतीय रेल की उन परियोजनाओं को जिनकी घोषणा तो हो गई है पर उन पर काम आरंभ नहीं हुआ है, की समीक्षा कर उन नस्तियों को बंद करने का मशविरा वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने रेल मंत्री को दिया है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि पिछले साल एक अप्रेल को आरंभ हुए वित्तीय वर्ष तक भारतीय रेल की 304 परियोजनाएं लंबित पड़ी हुई हैं। इन परियोजनाओं को अगर आज की दर से अमली जामा पहनाया जाए तो इनमें लगभग सवा लाख करोड़ रूपयों की वित्तीय इमदाद आवश्यक होगी।
उल्लेखनीय होगा कि भारत के महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी पिछले साल रेल्वे की परियोजनाओं में देरी के लिए भारतीय रेल को आड़े हाथों लिया था। कैग ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि चार दर्जन से ज्यादा नई रेल लाईन और लगभग दो दर्जन अमान परिवर्तन में सर्वेक्षण का काम ही दस साल से ज्यादा समय से लंबित पड़ा हुआ है। इन परियोजनाओं में अब तक लगभग दस हजार करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं, पर इन परियोजनाओं के पूरा होने पर से कुहासा अभी छट नहीं सका है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में ब्रितानी हुकूमत के दरम्यान बिछाई गई नैरोगेज रेल की पातों को ब्राडगेज में तब्दील करवाने के लिए सालों साल जनता ने मांग की है, किन्तु विडम्बना यह है कि इस रेल लाईन के अमान परिवर्तन के लिए अब तक के किसी भी सांसद ने (सिवनी संसदीय क्षेत्र के) इस मामले को लोकसभा में नहीं उठाया है, जो आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि छत्तीसगढ़ के कैबनेट मंत्री और बिलासपुर के तत्कालीन सांसद पुन्नू लाल माहोले 25 अगस्त 2005 को (छत्तीसगढ़ के अस्तित्व में आने के उपरांत) लोकसभा में अतरांकित प्रश्न क्रमांक 4502 के माध्यम से रेल मंत्रालय से यह प्रश्न पूछा था कि बिलासपुर से मध्य प्रदेश के मण्डला और नैनपुर और नैनपुर से छिंदवाड़ा के बीच रेल लाईन का अमान परिवर्तन का कोई सर्वेक्षण किया गया है?
चार कंडिकाओं में विभक्त इस प्रश्न के जवाब में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री आर.वेलु ने अपने लिखित उत्तर में कहा था कि बिलासपुर से मण्डला फोर्ड और मण्डला फोर्ड से नैनपुर खण्ड के रेलखण्ड के अमान परिवर्तन परिवर्तन के लिए वर्ष 2003 - 2004 में सर्वेक्षण करवाया गया था। इस परियोजना की लागत ऋणत्मक प्रतिफल के साथ उस वक्त 736.96 करोड़ रूपए आंकी गई थी।
इसके अलावा नैनपुर से छिंदवाड़ा के बीच सिवनी होकर 139.6 किलोमीटर के खण्ड की छोटी लाईन से बड़ी लाईन में परिवर्तन हेतु वर्ष 2003 - 2004 में कराए गए सर्वेक्षण में यह परियोजना भी ऋणात्मक प्रतिफल के साथ 228.22 करोड़ रूपए (उस समय की दरों के अनुसार) आंकी गई थी। अंत में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री आर.वेलु ने उपयुक्त प्रस्तावों को अलाभकारी प्रवृत्ति, चालू परियोजनाओं के भारी थ्रो फारवर्ड एवं संसाधनों की अत्याधिक तंगी को देखते हुए अस्वीकार कर दिया गया था।
इसके उपरांत तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी ने भी छिंदवाड़ा नैनपुर के अमान परिवर्तन की बात बजट में घुमाफिरा कर करके सिवनी के लोगों को भरमाने का जतन किया था। अब जबकि वित्त मंत्रालय ने रेल मंत्रालय को आनगोईंग परियोजनाओं जिनकी घोषणा के बाद काम आरंभ नहीं हुआ है को बंद करने का मशविरा दे दिया है तब छिंदवाड़ा से नैनपुर के रेलखण्ड के अमान परिवर्तन का काम खटाई में पड़ता दिख रहा है।
रेल्वे बोर्ड के सूत्रों ने साफ तौर पर सांसदों की अर्कमण्यता की ओर इशारा करते हुए कहा कि सिवनी के सांसदों के.डी.देशमुख और बसोरी सिंह मसराम द्वारा सिवनी में अमान परिवर्तन की बात रेल मंत्रालय को पुरजोर और वजनदार तरीके से नहीं रखने का ही नतीजा है कि इस परियोजना में अब तक सिर्फ आश्वासन और घोषणाएं ही हो सकी हैं, इसका काम आरंभ नहीं हो पाया है। अब जबकि वित्त मंत्रालय ने पुरानी परियोजनओं के लिए रेड सिग्नल दिखा दिया है तब छिंदवाड़ा से सिवनी होकर नैनपुर के अमान परिवर्तन के काम को अमली जामा पहनाए जाने में संशय ही प्रतीत हो रहा है।
यहां एक बात का उल्लेख करना लाजिमी है कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को जगतगुरू शंकराचार्य की जन्म भूमि के बतौर देखा जाता है। इसके साथ ही साथ भेडिया बालक मोगली की कर्मभूमि भी है सिवनी। सिवनी के साथ षणयंत्र कर जनसेवकों ने यहां से होकर गुजरने वाली उत्तर दक्षिण की जीवन रेखा (स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग उत्तर दक्षिण सड़क गलियारा) को रोकने के षणयंत्र का ताना बाना बुना जिससे यह सड़क वर्ष 2008 के उपरांत बड़े बड़े गड्ढ़ों में तब्दील हो गई है। अब अगर रेल्वे के नक्शे से भी सिवनी का नाम गायब हो जाएगा तो सिवनी जिला देश में एक एसे टापू में तब्दील हो जाएगा जहां सड़क या रेल मार्ग से जाना दुष्कर ही साबित होगा।