सोमवार, 19 नवंबर 2012

प्रबंध कौशल में निष्णात होती है महिलाएँ - डॉ. शशि शर्मा

प्रबंध कौशल में निष्णात होती है महिलाएँ - डॉ. शशि शर्मा

(निशी कांत)

उज्जैन (साई)। महिलाओं में प्रबंध कौशल बहुत ही बेहतर रूप से होता है। यदि इस कौशल का उपयोग सही दिशा में हो तो यह समाज और अधिक सुदृढ़ हो सकता है। दुःख इस बात का है कि महिलाओं के इस कौशल का उपयोग सिर्फ घर के प्रबंधन तक सीमित रह गया है। महिलाएँ निश्चित रूप से समाज के कई महत्पूर्ण पदों पर अपनी सफलता का परचम लहरा रही है किन्तु आज भी निर्णय लेने वाले कई पदों पर महिलाओं की योग्यता का उचित उपयोग नही हो पा रहा है। सही समय पर सही काम को सही समझ के साथ सम्पन्न करना ही सच्चे अर्थों में सुव्यवस्था है और इस व्यवस्था को पाने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है। महिलाओं में ईमानदारी और निष्ठा के गुण का समावेश अपेक्षाकृत बहुत अधिक होता है और इसीलिए सुशासन लाने में महिलाओं का योगदान आवश्यक है।
उक्त विचार प्रसिद्धसमाज सेविका डॉ. शशि शर्मा ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित दशम् अखिल भारतीय सद्भावना व्याख्यानमाला के शुभारंभ प्रसंग पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। डॉ. शशि शर्मा ने कहा कि महिलाओं में प्रस्तुतीकरण कौशल और त्याग की भावना का होना इसके कार्य को और अधिक सशक्त बनाता है। चुंकि महिलाएं अहंकार और भ्रष्टाचार जैसी बुरी आदतों से कोसो दूर होती है इसीलिए भी बहुत आवश्यक है कि सुशासन लाने में महिलाओं की भागीदारी अधिक से अधिक बढ़ाई जाए। महिलाओं वह गुण होता है कि वह बहुत तेजी से प्रेरणा प्राप्त करती है और प्रेरणा प्रदान भी करती है। कानुन को नही तोड़ना, नवविचार को प्रस्तुत करते रहना, नया सृजन करते रहना और समाज में संतुलन बनाए रखना। यह सभी ऐसे महत्वपूर्ण गुण है जो महिलाओं को अग्रिम पंक्ति में लाने की प्रेरणा प्रदान करती है। हमें चाहिए कि महिलाओं को शिक्षा का सौ प्रतिशत अवसर प्राप्त हो। हमें उन्हें सम्पत्ति का भी समान अधिकार देना होगा।
समारोह के विशिष्ट वक्ता मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष मोहन यादव ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में अपनी भागीदारी बहुत कुशल रूप से अदा कर रही है हमें उन्हें लगातार प्रेरित करते हुए समुचित अवसर प्रदान करना चाहिए। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष बाबुलाल जैन ने कहा कि सद्भावना व्याख्यानमाला एक ऐसा अवसर है जिसमें प्रेरक विचारों को आत्मसात करके समाज में नवीन व्यवस्था कायम की जा सकती है। व्याख्यानमाला का शुभारंभ विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा दीपप्रज्जवलन के साथ हुआ। समारोह के आरंभ में विद्यालयीन शिक्षिकाओं एवं छात्राओं ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की।

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