ओबामा फिर से बने
दुनिया के चौधरी
(यशवंत)
वाशिंगटन (साई)।
बराक ओबामा ने वाशिंगटन में हजारों लोगों की मौजूदगी में दूसरी बार अमरीकी
राष्ट्रपति पद की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने ओबामा को अमरीका के
४४वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलायी। शपथ लेने के बाद अपने भाषण में ओबामा ने
अपने अगले चार साल की नीतियों को सामने रखा। उन्होंने अमरीकी स्वतंत्रता को
सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने का आह्घ्वान किया।
ओबामा ने कहा कि
अमरीका दुनिया के हर कोने में अपना सहयोग जारी रखेगा तथा एशिया से लेकर अफ्रीका तक
लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि हम दूसरे देशों के साथ
शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद खत्म करने के सभी प्रयास करेंगे। हम एशिया से अफ्रीका
तक और अमरीका से मध्य पूर्व के देशों तक लोकतत्र का समर्थन करते हैं, क्योंकि इसमें
हमारे हित हैं और हमारी अन्तरात्मा उन सभी का समर्थन करने को कहती है, जो आजादी की इच्छा
रखते हैं।
ओबामा ने अपने भाषण
में कहा कि हमें एकजुट होकर चुनौतियों का सामना करना है। अमेरिका में सब बराबर और
आजाद हैं। हमारी आजादी ईश्वर की देन है और इसे बनाए रखना हमारी जिम्घ्मेदारी है।
अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बनकर चार साल पहले नया इतिहास रचने वाले बराक
ओबामा ने आज सामारोहपूर्वक शपथ लेने के बाद व्हाइट हाउस में अपनी दूसरी पारी की
शुरुआत की। हालांकि उनकी दूसरी पारी के शुरुआत में बजट संबंधी मुद्दा, बंदूक नियंत्रण एवं
आव्रजन जैसे मुद्दों से निपटने की चुनौतियां मौजूद हैं।
हाड कंपा देने वाली
सर्दी में हजारों लोगों की मौजूदगी के बीच ओबामा ने ऐतिहासिक सफेद गुंबद वाली
कैपिटल बिल्डिंग में दूसरी बार शपथ ली। 51 वर्षीय ओबामा को चार साल के कार्यकाल के
लिए उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जान राबर्ट्स ने लगातार दूसरे दिन शपथ
दिलायी।
ओबामा के शपथ ग्रहण
के अवसर पर उनका परिवार, सांसद, मित्र, कर्मचारी और हजारों लोग उपस्थित थे।
संवैधानिक अनिवार्यताओं के कारण ओबामा को औपचारिक रुप से कल शपथ दिलायी गयी
क्योंकि उनका दूसरा कार्यकाल 20 जनवरी की दोपहर से शुरु होना था।
चूंकि कल रविवार था
और सारे संघीय कार्यालय बंद थे लिहाजा उनका समारोहपूर्वक शपथ ग्रहण आज आयोजित किया
गया। अमेरिका के इतिहास में सातवीं बार ऐसा हुआ है कि राष्ट्रपति को दूसरी बार शपथ
लेनी पडी।
ओबामा ने जब पहले
कार्यकाल के लिए शपथ ली थी तो उस समय आर्थिक संकट और युद्ध का खतरा मंडरा रहा था।
ये खतरे आज काफी हद तक खत्म हो चुके हैं लेकिन दूसरे कार्यकाल में शपथग्रहण समारोह
के दौरान उत्साह का वह माहौल नहीं था जो पहले देखने को मिला था। ओबामा के पिछले
कार्यकाल में करीब 18 लाख लोग शपथग्रहण समारोह देखने आये थे जबकि आज इनकी संख्या
करीब छह लाख रही। वर्ष 2008 में व्हाइट हाउस में उनके ऐतिहासिक प्रवेश के साथ
लोगों में यह उम्मीद और आकांक्षा जगी थी कि एक ऐसा नया शासन आयेगा जो हाल के दशकों
में विकसित दलगत भेदभाव की खाई को पाट देगा। राष्ट्रपति और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा
ने आज अपने दिन की शुरुआत व्हाइट हाउस के समीप सेंट जान एपिस्कोपल चर्च में जाकर
प्रार्थना करने के साथ की। प्रार्थना के समय उपराष्ट्रपति जोसेफ बाइडन और उनकी
पत्नी जिल बाइडेन भी उनके साथ थीं। ओबामा ने अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ दो
ऐतिहासिक बाइबिलों पर ली। ये ऐतिहासिक बाइबिल अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग
की हैं। शपथ लेते समय ओबामा आत्मविश्वास से लबरेज दिख रहे थे। उन्होंने मुस्कुराते
हुए अपने प्रशंसकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। सीनेटर चाल्घर््स ई शूमर ने ओबामा
और प्रधान न्यायाधीश को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, ‘‘यह हमारे महान
लोकतंत्र का जश्न है।’’ शूमर शपथ ग्रहण समारोह संबंधित संयुक्त संसदीय समिति के
अध्यक्ष हैं। ओबामा ने दोनों ऐतिहासिक बाइबिलों पर हाथ रखकर शपथ ली। इन बाइबिलों
को मिशेल ने पकड रखा था। उस समय उनके समीप उनकी पुत्रियां साशा और मालिया खडी थीं।
ओबामा ने कहा, ‘‘मैं बराक
हुसैन ओबामा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं अमेरिका के राष्ट्रपति पद
पर ईमानदारी से काम करुंगा तथा अमेरिका के संविधान की रक्षा, सुरक्षा और उसे
अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी सर्वाेत्तम क्षमता लगाउंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु, मेरी मदद करना।’’ इसके बाद प्रधान
न्यायाधीश ने कहा,
‘‘बधाई हो श्रीमान राष्ट्रपति।’’ शपथ ग्रहण समारोह
के दौरान बाइबिल के उपयोग की कोई संवैधानिक अनिवार्यता नहीं है लेकिन राष्ट्रपति
पारंपरिक तौर पर इसे उपयोग में लाते हैं। राष्ट्रपति इसके लिए अपनी अथवा ऐतिहासिक
बाइबिल की प्रतियां चुनते हैं। वर्ष 2009 में ओबामा ने उस बाइबिल पर शपथ ली थी
जिसका इस्तेमाल लिंकन ने 1891 में किया था। उपराष्ट्रपति जो बाइडेन को उच्चतम
न्यायालय की सहयोगी न्यायाधीश सोनिया सोटोमेयर ने शपथ दिलायी थी। शपथ ग्रहण के बाद
ओबामा ने अपने संबोधन में पूरे अमेरिका से कहा कि वह एक देश और एक जनता के रुप में
एकजुट हों। ओबामा ने वहां एकत्र भीड से कहा, ‘‘अब हमें पहले की तुलना में कहीं अधिक, एकसाथ मिलकर काम
करना होगा, एक देश और
एक जनता की तरह।’’
उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में जलवायु बदलाव को अपनी
प्राथमिकताओं में से एक बनाने की प्रतिबद्धता जतायी। ओबामा ने कहा, ‘‘हम जलवायु बदलाव की
चुनौती का जवाब देंगे। हम यह जानते हैं कि यदि हम ऐसा करने में नाकाम रहे तो यह
हमारे बच्चों और आने वाली पीढ़ी के साथ विश्वासघात होगा।’’
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