मंगलवार, 22 जनवरी 2013

मामा के कायर भांजे, भांजियां!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------40

मामा के कायर भांजे, भांजियां!

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। क्या मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज्य में उनके भांजे भांजियां कायर हैं! क्या मध्य प्रदेश राज्य के बच्चे बच्चियों ने वीरता का कोई काम नहीं किया है? अगर किया है तो उन्हें इस साल गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरूस्कार के लिए नामांकित क्यों नहीं किया गया है? इस तरह की बातें देश की राजधानी दिल्ली की हाड गला देने वाली फिजां में जमकर उछल रही हैं।
देश भर में शिवराज सिंह चौहान को मामा के नाम से जाना जाता है। शिवराज सिंह चौहान ने अपने राज्य के बच्चे बच्चियों के लिए ना जाने कितनी कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, पर इस बार गणतंत्र दिवस पर सम्मानित होने वाले वीर बच्चों में मध्य प्रदेश के एक भी बच्चे का शामिल ना हो पाना निश्चित तौर पर शिवराज सिंह चौहान के लिए निराशाजनक ही माना जा रहा है।
राजधानी दिल्ली के मंहगे व्यवसायिक इलाके कनाट सर्कस में स्थित एम्पोरिया बिल्डिंग स्थित मध्य प्रदेश के आवासीय आयुक्त कार्यालय उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस बार भी मध्य प्रदेश की ना तो झांकी ही प्रस्तुत की जा रही है और ना ही किसी भी बच्चे को वीरता के लिए नामांकित ही किया गया है।
दिल्ली में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि यह चुनावी साल है। इस साल तो सारी ताकत झोंक दी जानी चाहिए थी। अमूमन एसा होता है कि सरकार के नुमाईंदे अपने निजाम को खुश करने के लिए तरह तरह की रणनीतियां तैयार करते हैं, पर इस बार तो मध्य प्रदेश के अफसरों द्वारा इस दिशा में दिलचस्पी ना लिया जाना आश्चर्यजनक ही है।
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा चाहती तो मुख्यमंत्री की लाड़ली लक्ष्मी एवं तीर्थ दर्शन जैसी सुपर डुपर हिट योजनाओं की झांकी इस बार राजपथ पर अवश्य ही दिखाई दे जाती। झांकी के संबंध में आयुक्त जनसंपर्क के बयान पर उन्होंने कहा कि हो सकता है अगले साल किसी ओर की सरकार मध्य प्रदेश में हो या यही रहे, किन्तु जो भी हो पता नहीं अगले साल इस पद पर कौन विराजमान होगा।
मध्य प्रदेश के अधिकारियों की नजरों में मध्य प्रदेश की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव ना भेजा जाना ही निंदनीय है। पिछली साल की तर्ज पर इस साल भी प्रस्ताव भेजे जाते और फिर वे स्वीकृत ना होते तो जुदा बात थी, किन्तु प्रस्ताव ही ना भेजकर हथियार डालना समझ से परे ही है। इसके साथ ही साथ इस साल जून जुलाई में तो चुनावी तैयारी आरंभ हो जाएगी फिर 2014 मेें झांकी दिखती है या नहीं इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस समय चुनावी तैयारियों को अंजाम दिया जाएगा ना कि झांकी के विषयों पर चर्चा होगी। लोग तो यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि मामा शिवराज सिंह चौहान के भांजे भांजियां क्या कायर हो गए हैं जो कि उन्हें वीरता पुरूस्कार के लिए भेजा तक नहीं जा रहा है।

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