शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

शक्कर की कड़वाहट करेगी जायका खराब!


शक्कर की कड़वाहट करेगी जायका खराब!

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। सावधान, तैयार हो जााईए, पेट्रोल और डीजल के दाम डिकंट्रोल होने का नतीजा सामने है। शुक्रवार को पेट्रोल और डीजल के दाम में एक बार फिर बढ़ोतरी हो गई। अब महंगाई की यह आग चीनी तक पहुंचने वाली है। सरकार जल्द ही चीनी को भी डिकंट्रोल करने की कवायद में जुटी है।
खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने शुक्रवार को इसके साफ संकेत दे दिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार 80,000 करोड़ रुपये के चीनी उद्योग को खुले बाजार में चीनी बेचने की छूट देने के बारे में अगले 15 दिनों में फैसला करेगी। पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष सी रंगराजन की अगुआई वाली एक्सपर्ट कमिटी ने दो महत्वपूर्ण नियंत्रणों को तत्काल खत्म करने की सिफारिश की थी। ये दो महत्वपूर्ण नियंत्रण थे, विनियमित निर्गम प्रणाली और लेवी चीनी दायित्व। इसके अलावा बाकी नियंत्रणों को भी खत्म करने की सिफारिश की गई थी।
थॉमस ने एसोचेम के एक आयोजन में कहा, कि इस साल हमारी चीनी की स्थिति आरामदेह है। रंगराजन समिति की सिफारिशें विभाग के पास हैं। मेरा मानना है कि अगले 15 दिनों में हम लेवी चीनी, निर्गम प्रणाली और अन्य मसलों के बारे में कोई फैसला करने में सक्षम होंगे। उन्होंने आश्वस्त किया कि रंगराजन समिति की सिफारिशें बाकी समितियों के सुझावों की तरह गंभीर स्थिति का सामना नहीं करेगी जिन सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया जा सका।
थॉमस ने कहा कि खाद्य मंत्रालय रंगराजन समिति की सिफारिशों पर विभिन्न मंत्रालयों की राय जानना चाहता है तथा जल्द ही एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र जारी किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार चीनी क्षेत्र के डिकंट्रोल के बारे में समिति के सुझावों पर करीब 10 राज्यों ने अपना नजरिया जाहिर किया है। हालांकि दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने अभी तक कोई राय नहीं दी है।
मौजूदा समय में चीनी क्षेत्र उत्पादन से लेकर वितरण तक नियंत्रित किया जाता है। निर्गम प्रणाली के जरिए केंद्र सरकार चीनी के कोटा को निर्धारित करता है जिसे खुले बाजार में बेचा जा सकता है। लेवी प्रणाली के तहत सरकार चीनी मिलों से कहती है कि वे अपने उत्पादन के 10 प्रतिशत भाग को राशन की दुकानों को चलाने के लिए योगदान करे, जिसके कारण चीनी उद्योग पर साल में 3,000 करोड़ रुपये की लागत आती है। मौजूदा समय में केंद्र सरकार चीनी मिलों से करीब 20 रुपये प्रति किग्रा की दर से चीनी की खरीद करती है और राशनकार्ड धारकों को 13।50 रुपये प्रति किग्रा की दर पर बेचती है।
खुले बाजार में चीनी बेचने के लिए कोटा आवंटन की व्यवस्था खत्म करने के बारे में थॉमस ने कहा, श्हम चौमासा प्रणाली की ओर गए हैं। इस प्रणाली को खत्म करने में कोई समस्या नहीं है।श् गन्ना कीमतों को निर्धारित करने और 70 प्रतिशत आय को किसानों के साथ साझा करने जैसे दो महत्वपूर्ण अवयवों को छोड़कर रंगराजन समिति की रिपोर्ट ने सुझाया है कि चीनी मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने की स्वतंत्रता दी जाए और सरकार की स्थिर निर्यात और आयात नीति हो।

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