न निंदा, न संवेदना: ये कैसा
मौन ?
(हिमांशु कौशल)
सिवनी (साई)। जिला
कलेक्टर के निर्देश पर प्रशासन द्वारा दिनांक 07 फरवरी को लोगों के साथ की गयी बर्बरता
की जानकारी लग जाने के इतने दिनों बाद भी जिले के जनप्रतिनिधी मौन हैं, न वे प्रशासन के
कृत्य की निंदा कर पा रहे हैं और न ही घायलों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर पा
रहे हैं। जिले से सीधे जुड़े मुद्दों पर जनप्रतिनिधियों का ये मौन हमेशा उजागर होता
है पर आश्चर्यजनक बात ये है कि इस बार ये प्रशासन से डर कर मौन हैं।
ज्ञातव्य है कि नगर
पालिका क्षेत्र अंतर्गत गत दिनांक 07 फरवरी को प्रशासन ने अपनी नाकामियों के चलते
झुंझलाकर पहले शुक्रवारी मे लाठी चार्ज किया और फिर कर्फ्यू लगा दिया। चूँकि लाठी
चार्ज का आदेश पहले ही मिल चुका था इसीलिये कर्फ्यू लगते ही पुलिस को आम लोगों पर
लठ भांजने का मौका मिल गया। कई लोग, पत्रकार, प्रतिष्ठित
नागरिकों को पुलिस ने बेरहमी से मारा। प्रशासन की इस बर्बरता की खबर भी
जनप्रतिनिधियों को लग चुकी है पर घायलों के प्रति जनप्रतिनिधियों द्वारा न कोई
संवेदना व्यक्त की गयी, न ही प्रशासन की निंदा की गयी जबकि सिवनी जिले के जनप्रतिनिधि
छोटे-छोटे मामलों मे, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी विज्ञप्तियाँ जारी
करते हैं।
उल्लेखनीय है कि
विश्व हिन्दु परिषद,
बजरंग दल भाजपा से ही जुड़े संगठन माने जाते हैं। छपारा मे
घटित घृणित घटना के आरोपियों को पकड़े जाने और आवश्यक धाराएं लगाये जाने के बाद
विश्व हिन्दु परिषद व बजरंग दल द्वारा बंद का नगर बंद आव्हान किया गया। सामान्यतः
ऐसी किसी घटना के बाद बंद का आव्हान तब किया जाता है जब आरोपियों पर कार्यवाही न
हो किन्तु कार्यवाही होने के बाद बंद के आव्हान हेतु रैली निकाली गयी और नगर मे एक
के बाद एक श्रृंखलाबद्ध अप्रिय घटनाएं घटित होते गयी जिन्हें प्रशासन धारा 144 व
बाहर की फोर्स बुलाने के बाद भी नहीं संभाल पाया नतीजन अपनी नाकामियों के कारण
प्रशासन को आनन फानन पहले लाठी चार्ज और फिर कर्फ्यू लगाना पड़ गया था।
लाठी चार्ज के बाद
तुरंत कर्फ्यू लग गया। प्रशासन ने गत 08 फरवरी की सुबह अखबार तो बँटने ही नहीं
दिये किन्तु आसपास के गाँवों मे कर्फ्यू की सूचना भी नहीं दी नतीजन स्कूल जाने
वाले बच्चे यूनिफार्म पहन कर, दूध वाले दूध लेकर नगर सीमा मे प्रवेश कर
गये जिन्हें भी पुलिस ने बर्बरता से मारा। इन सबकी खबर जनप्रतिनिधियों को है
किन्तु आश्चर्य, हमारे
जनप्रतिनिधियों ने अब तक इस कृत्य पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, जबकि प्रशासन की इस
बर्बरता का शिकार महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष व भाजपा जिला अध्यक्ष के
सबसे करीबी पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष भी हुए हैं, कांग्रेस के
प्रवक्ता भी हुए हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी भाजपा-कांग्रेस दोनों ऐसे मौन है
जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
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