बालिका वधू बनने से
बची नौवीं की छात्रा
(विजय सिंह राजपूत)
इंदौर (साई)।
प्रशासन और पुलिस के वक्त रहते हरकत में आने से 15 वर्षीय लडकी आज यहां बालिका वधू
बनने से बच गयी। इस लडकी का गैर कानूनी बाल विवाह रुकवा दिया गया और दूल्हे व
बारातियों को चेतावनी देकर लौटा दिया गया। महिला और बाल विकास विभाग के परियोजना
अधिकारी (ग्रामीण) जय श्रीवास्तव ने बताया कि महकमे के दल ने पुलिस की मदद से
बिचौली मर्दाना क्षेत्र में कक्षा नौ की छात्रा हंसा की शादी रुकवा दी।
विभाग को उसके बाल
विवाह को लेकर कल रात शिकायत मिली थी। उन्होंने बताया कि हंसा को उसके परिजन
रिश्तेदारों की मदद से शादी के बंधन में बांधने जा रहे थे। बारातियों के साथ
दूल्हा उसके घर पहुंच चुका था और आज शाम को ही वह फेरों की रस्म निभाने वाली थी।
बहरहाल, श्रीवास्तव
ने बताया कि जब हंसा के परिवारवालों से उसकी उम्र को लेकर पूछताछ की गयी, तो वे ऐसा कोई
दस्तावेज मुहैया नहीं करा सके जिससे साबित होता हो कि वधू की उम्र 18 वर्ष है।
श्रीवास्तव के
मुताबिक जब लडकी के स्कूल से उसकी जन्मतिथि की जानकारी ली गयी, तो पता चला कि उसकी
उम्र महज 15 वर्ष है। उन्होंने बताया कि हंसा का बाल विवाह रुकवाते हुए वर तथा वधू
पक्ष के लोगों को चेतावनी देकर छोड दिया गया। इससे पहले, लडकी के पिता
रामप्रसाद ने अधिकारियों को लिखकर दिया कि वह तब तक अपनी बेटी को विवाह के बंधन
में नहीं बांधेंगे,
जब तक वह पूरे 18 बरस की नहीं हो जायेगी। देश में 21 वर्ष से
कम उम्र के लडके और 18 साल से कम आयु की लडकी की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती
है, जो कानूनन
अपराध है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम
कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है।
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