लाजपत ने लूट लिया
जनसंपर्क ------------------46
सत्ता के हस्तांतरण
का फायदा उठाया कांग्रेस ने
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के लिए वर्ष 2013 के अंत में होने वाले
विधानसभा चुनावों हेतु खतरे की घंटी बज चुकी है। 2003 में दस साल के सियासी वनवास
की घोषणा करने वाले राजा दिग्विजय सिंह का वनवास भी पूरा होने को है। कांग्र्रेस
ने बड़ी ही चतुराई से शिवराज सिंह चौहान और भाजपा को ‘मामा‘ बनाते हुए अफसरशाही
को एक बार फिर अपने कब्जे में ले लिया है।
गौरतलब है कि मध्य
प्रदेश में बड़े ही नाटकीय तरीके से भाजपा के तत्कालीन निजाम प्रभात झा को शिवराज
सिंह चौहान ने हटवाकर नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश का सर्वेसर्वा बनवा दिया है।
इधर प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष बदला तो वहीं दूसरी ओर केंद्रीय राजनीति में भी
जमकर उठापटक हुई और वहां भी कमान नितिन गड़करी के स्थान पर राजनाथ सिंह के पास आ
गई।
इन दोनों ही जगहों
पर सत्ता के हस्तांतरण का पूरा पूरा लाभ कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में उठाया है।
हालात देखकर लगने लगा है कि कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई के साथ मध्य प्रदेश में
अफसरशाही को अपने साथ मिला लिया है। मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन है पर अफसरशाही
के बेलगाम घोड़े जिस तरह दौड़ रहे हैं उससे लगने लगा है कि एमपी में भाजपा का नहीं
वरन कांग्रेस का शासन है।
इस साल गणतंत्र
दिवस पर ना तो मध्य प्रदेश की झांकी, ना ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एमपी की
भागीदारी और ना ही शिवराज मामा के एक भी बहादुर भांजे भांजी को वीरता का पुरूस्कार
मिला। भाजपा के नेशनल हेडक्वार्टर में अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के
अनुसार भाजपा के लिए यह चुनावी साल था एमपी में और इस चुनावी साल में ही शिवराज
सिंह चौहान अपने प्रबंधन में फेल्युअर साबित हुए हैं।
मध्य प्रदेश के वीर
बच्चों के पुरूस्कार ना पाने के लिए गृह विभाग झांकी के लिए जनसंपर्क विभाग और
कल्चरल कार्यक्रम ना हो पाने के लिए संस्कृति विभाग के अफसर पूरी तरह जिम्मेदार
हैं। इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव कार्यालय और दिल्ली स्थित आवासीय
आयुक्त कार्यालय भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है। भाजपा के सूत्रों का कहना
है कि शिवराज सिंह चौहान की एमपी गर्वमेंट की लाजवाब स्कीम्स का अगर गणतंत्र पर
प्रचार प्रसार हो जाता तो इसका लाभ इस साल होने वाले विधानसभा और अन्य चुनावों में
भाजपा को पूरी तरह मिल सकता था।
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