‘मौलिक भारत‘ आन्दोलन का
श्रीगणेश
(रोशनी भार्गव)
नई दिल्ली (साई)।
हम सभी आज यह अनुभव कर रहे हैं कि देश में वर्तमान व्यवस्था पूरी तरह असफल सिद्ध
हो चुकी है। मामला भ्रष्टाचार का हो या देश की सुरक्षा का, देश का शासन हर
मोर्चे पर असफल सिद्ध हो रहा है। पिछले कुछ वर्षो से देश में कई आंदोलन चल रहे हैं
जो इस बात के प्रतीक हैं कि देश में एक प्रकार का असंतोष व्यापक पैमाने पर पनप रहा
है। परंतु ये आंदोलन इस असंतोष को सकारात्मक दिशा दे पाने में असफल रहे हैं। ऐसे
में जरूरत है देश को उसकी जड़ों यानी मौलिक भारत की ओर वापस ले जाने की। कैसा
स्वरूप होगा मौलिक भारत का और उसे कैसे पाया जा सकेगा, यह गहन चिंतन का
विषय है। ऐसे में देश के अनेक प्रबुद्ध लोग देश में एक व्यवस्था परिवर्तन व देश के
नवनिर्माण का रचनात्मक कार्य खड़ा करने के लिए एक मंच पर आए हैं, जिसका नाम है, मौलिक भारत।
गांधी शांति
प्रतिष्ठान में गांधी के देखे हुए सपनों को हकीकत की जमीन पर उतारने के लिए
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एस्ट्रो अंकल पवन सिन्हा, आईपीएस अमिताभ
ठाकुर, प्रसिद्ध
कवि गजेंद्र सोलंकी,
से।नि। मेजर संगीता तोमर, लोकराज अभियान के
अमरनाथ ओझा, अनंत
त्रिवेदी, पर्यावरणविद
अरूण तिवारी, जनसंसद की
संकल्पना पर अभियान चलाने वाले नेपाल सिंह तोमर, आध्यात्मिक प्रणाम
आंदोलन की प्रमुख मीनाजी, डायलॉग इंडिया के संपादक अनुज अग्रवाल सहित अनेक प्रमुख लोगों
ने मिलकर मौलिक भारत की स्थापना की घोषणा की।
इस अवसर पर मौलिक
भारत के संयोजक पवन सिन्हा ने कहा कि देश भर में एक बेचैनी है, हमारी वर्तमान
सरकार सभी क्षेत्रों में असफल रही है। आज जरूरत है देश में एक नया नेतृत्व खड़ा
करने की और यह हमें कई दशकों में नहीं, कुछ वर्षो में ही पूरा करना है। ऐसा हमारा
संकल्प है। यह संकल्प पूरा करने की समय सीमा कम से कम करना हमारे हाथ में। इसका
रास्ता गुरु गोविंद सिंह ने बता रखा है- ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं’ तो गुरु गोविंद
सिंह कहलाऊं। हमारे भी गुरु गोविंद सिंहजी हैं। अगर हम भी ‘सवा लाख से एक लड़ाऊ’ बन पाए व उनके साथ ‘सवा लाख से लड़ाऊ’ वाले और भी
नेता-कार्यकर्ता जोड़ पाए तो यह समय सीमा हम न्यूनतम करने में सफल होंगे।
मौलिक भारत के
स्थापना दिवस पर पचास से अधिक संस्थाओं ने इस अभियान से जुड़कर इसे सफल बनाने में
पूरा सहयोग करने का संकल्प लिया।
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