लाजपत ने लूट लिया
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दिग्विजय को गुरू
बना लिया शिवराज ने!
(आकाश कुमार)
नई दिल्ली (साई)।
क्या देश के हृदय प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ होने वाला है? क्या कांग्रेस के
इक्कीसवीं सदी के चाणक्य राजा दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
अपना सियासी गुरू बना लिया है? क्या मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक बार फिर
लौटने की तैयारी मुकम्मल कर चुकी है? इस तरह के प्रश्न इन दिनों कांग्रेस और
भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालयों की वीथिकाओं में घुमड़ रहे हैं।
कांग्रेस के
मुख्यालय 24, अकबर रोड़
के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो दस साल तक
लगातार राज करने के उपरांत तत्कालीन मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल
को कोई इसलिए कंपेयर नहीं कर पा रहा है क्योंकि उसके बाद भाजपा का शासन है अतः
कांग्रेस के पूर्व निजामों में दिग्गी राजा का कार्यकाल ही सर्वोत्तम इसलिए माना
जा रहा है क्योंकि वे ही लगातार सीएम रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर
भाजपा के मुख्यालय 11, अशोक रोड़ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के
दौरान कहा कि मध्य प्रदेश के हालात देखकर लग रहा है मानो शिवराज सिंह चौहान ने
कांग्रेस महासचिव दिग्गी राजा को अपना गुरू बना लिया हो। या दिग्विजय सिंह के
अंतिम सालों के फार्मूलों को अपना लिया हो। शिवराज सरकार में अब अफसरशाही भाजपा का
साथ छोड़ती नजर आ रही है।
सूत्रों के अनुसार
यह वाकई बहुत ही आश्चर्य का विषय है कि चुनावी साल में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान
प्रदर्शित होने वाली झांकियों के प्रस्ताव, वीर बच्चों के प्रस्ताव ही मध्य प्रदेश
सरकार द्वारा केंद्र सरकार को नहीं भेजे गए हों। इतना ही नहीं कलाकारों को भी इस
बार दिल्ली नहीं भेजा गया है। चुनावी साल में अगर मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन, मुख्यमंत्री द्वारा
की जाने वाली पंचायतें या फिर लाडली लक्ष्मी योजना के प्रस्ताव ही भेजे जाते तो कम
से कम भारतीय जनता पार्टी के एमपी नहीं राष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ मिलने की
संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
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