ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
दिग्गी मंत्र से निकलेगा तेलंगाना
का हल!
तेलंगाना का मुद्दा बहुत तेजी से
उभरकर सामने आ रहा है। यह कांग्रेस के गले की फांस भी बना हुआ है। अब तेलंगाना के मामले
को सुलटाने के लिए महासचिव राजा दिग्विजय सिंह की सेवाएं ली जाने वाली हैं। पिछले दिनों
तेलंगाना मामले पर हुई कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में राजा दिग्विजय सिंह को विशेष
तौर पर आमंत्रित किया गया था। दिग्विजय सिंह की वाईएसआर से काफी छनती थी। वाईएसआर के
पुत्र जगमोहन भी दिग्गी राजा को काफी मानते हैं। इन परिस्थितियों में आंध्र प्रदेश
का प्रभार गुलाम नवी आजाद से वापस लेकर दिग्विजय सिंह को दे दिया जाए तो किसी को आश्चर्य
नहीं होना चाहिए। अपनी अलग तरह की सर्जरी में माहिर दिग्विजय सिंह तेलंगाना का हल बहुत
सटीक और सर्वसम्मति वाला निकाल लेंगे इस बात के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया
गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी आशान्वित हैं।
लखनऊ से ताल ठोंक सकते हैं मोदी!
उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता
रहा है कि इस सूबे ने देश को सबसे ज्यादा वजीरे आजम दिए हैं। भाजपा के प्रतीक पुरूष
अटल बिहारी बाजपेयी भी लखनऊ से ही सांसद रहते सत्तारूढ़ हुए थे। एक अनार सौ बीमार की
तर्ज पर लखनऊ से चुनाव लड़ने वालों की फेहरिस्त भाजपा में काफी लंबी बताई जा रही है।
राजनाथ सिंह, अरूण जेतली के साथ ही साथ नरेंद्र मोदी भी यहां से हाथ आजमाना चाह रहे हैं। आड़वाणी
के बारे में यह कहा जा रहा है कि अगर वे गांधीनगर के स्थान पर लखनऊ को चुनते हैं तो
उनकी मोदी पर निर्भरता काफी हद तक खत्म हो सकती है। भाजपा के अंदरखाने से छन छन कर
बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो पंडितों ने भी मोदी, आड़वाणी, जेतली सहित अनेक नेताओं को
यह कह दिया है कि लखनऊ से चुनाव जीतने वाला ही देश का अगला वज़ीरे आज़म बन सकेगा। यही
कारण है कि भाजपा में सारे के सारे पीएम इन वेटिंग अब लखनऊ से चुनाव लड़ने की जुगत भिड़ाने
में लग गए हैं।
अटल को बिसारती भाजपा!
भारतीय जनता पार्टी को सत्ता के शीर्ष
तक पहुंचाने में अटल बिहारी बाजपेयी की महती भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
अटल बिहारी बाजपेयी पांच सालों से ज्यादा समय से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। आउट ऑफ
साईट आउट ऑफ माईंट कहावत को चरितार्थ करते हुए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पंडित अटल
बिहारी बाजपेयी को भुला ही दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री
को पत्र लिखकर भाजपा के इकलौते प्रधानमंत्री अटल बिहारी को भारत रत्न देने की मांग
की, तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस मामले में मौन ही साधे रहा। निर्वतमान अध्यक्ष नितिन
गड़करी और वर्तमान निजाम राजनाथ सिंह का स्टेंड भी इस मामले में नकारात्मक ही समझ में
आ रहा है। भाजपा में अटल बिहारी बाजपेयी जैसे सच्चे और अच्छे चरित्र का भी कोई विरोधी
हो सकता है यह सोचकर आश्चर्य ही होता है।
निजाम बदलने का असर दिखेगा कैंटीन
पर!
जब भी किसी भी सियासी पार्टी का निजाम
बदलता है वैसे ही उसके नेशनल हेडक्वार्टर की कैंटीन का मेन्यू बदल दिया जाता है। नितिन
गड़करी जब भाजपा अध्यक्ष थे तब उन्हें डोसा, इडली सांभर, उपमा, उत्तपम जैसे दक्षिण भारतीय
व्यंजन पसंद थे, इसलिए कैंटीन में यह बस मिल जाया करता था। खाने के बेहद शौकीन
गड़करी की दूसरी पारी के पहले ही एक दक्षिण भारतीय रेस्टारेंट चलाने वाले के साथ भाजपा
का समझौता हुआ था। इधर, राजनाथ सिंह को उत्तर भारतीय खाना पसंद है। राजनाथ सालों से
दिल्ली में सक्रिय हैं। भले ही वे कैंटीन के खाने का लुत्फ ना उठाएं पर कैंटीन के मेन्यू
में दक्षिण भारतीय भोजन का स्थान उत्तर भारतीय भोजन ले लेगा। अब दक्षिण भारतीय खाने
के लिए भाजपा की कैंटीन में मीडिया पर्सन्स को भी तरसना ही होगा। अब वहां समोसा,
कचोड़ी दही पराठा
जैसी चीजें मिलने लग जाएंगी।
यूपी में संभावनाएं तलाशते दिग्गी
राजा!
कांग्रेस की नजरों में भविष्य के
वजीरे आज़म राहुल गांधी के अघोषित सियासी गुरू कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह
अब मध्य प्रदेश में अपने पत्ते बिछाने के उपरांत उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की संभावनाएं
तेजी से टटोल रहे हैं। दिग्विजय सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि सोनिया और राहुल
गांधी के संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश को अब वे अपना घर जैसा मानने लगे हैं। उधर दिग्गी
राजा की घुर विरोधी उमा भारती भी उत्तर प्रदेश से विधायक हैं। कांग्रेस के एक आला नेता
ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि दिग्विजय सिंह को उनके एक भरोमंद पंडित ने
मशविरा दिया है कि वे लखनऊ से किस्मत आजमाएं क्योंकि 2014 में मई के उपरांत जो योग
बन रहे हैं उसके हिसाब से लखनऊ से बनने वाला सांसद ही देश का सबसे ताकतवर पद को हासिल
करेगा। कहते हैं राजा दिग्विजय सिंह ने सर्वे एजेंसियों को भी पाबंद कर दिया है कि
वे लखनऊ में उनकी जमीन का सही चित्रण उनके सामने प्रस्तुत करें।
रविशंकर पर दांव लगा सकते हैं राजनाथ!
दिल्ली में शीला दीक्षित के मजबूत
गढ़ को ढहाने के लिए भाजपाध्यक्ष राजनाथ सिंह की नजरें भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद
पर आकर टिक गईं हैं। राजनाथ की किचिन कैबनेट का कहना है कि जहां भाजपा की सरकार नहीं
है वहां भाजपा का परचम लहराकर राजनाथ अपने आप को मजबूत करना चाहेंगे। जहां सरकार है
वहां हार भी गए तो वह एंटी इंकंबेंसी फेक्टर में चली जाएगी। रविशंकर प्रसाद पर दांव
लगाने के पीछे बड़ी ठोस वजह बताई जा रही है। दरअसल, दिल्ली में अब तीस फीसदी पंजाबियों
के मुकाबले यूपी बिहार (पूर्वांचल) के लोगों की जनसंख्या 35 फीसदी हो गई है। वैसे भी
भाजपा का मानना है कि पिछले चुनाव में भाजपा को विजय कुमार मल्होत्रा के कारण खासा
नुकसान उठाना पड़ा था। अब लाख टके का सवाल यह है कि क्या दिल्ली जैसे छोटे से राज्य
की कमान संभालने के लिए रविशंकर प्रसाद अपनी सहमति देंगे, जबकि आने वो निकट भविष्य
में दिल्ली में कोई बड़ा सरकारी आयोजन भी ना होने वाला हो।
अमजद अली बनाम संगमा!
मेघालय में विधानसभा चुनावों के पहले
अब सियासी तूफान उठता दिख रहा है। मेघालय में पी.ए.संगमा पूरा जोर लगा रहे हैं पर कांग्रेस
के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मुकुल संगमा को हटाने का। अब पी.ए.संगमा एण्ड पार्टी ने मुकुल
संगमा पर व्यक्तिगत आरोपों की झड़ी लगा दी है। उनका कहना है कि मुकुल आदिवासी हैं ही
नहीं वे मुस्लिम हैं और उनका असली नाम अमजद अली खान है। कहा जा रहा है कि जब मुकुल
संगमा अध्यनरत थे तब एक कक्षा में दाखिले को लेकर उन्होंने अपना धर्म बदला था,
क्योंकि वह
सीट एसटी के लिए आरक्षित थी। पी.ए.संगमा की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी के भद्र जनों
ने मुकुल की आर्युविज्ञान की पढ़ाई के दौरान वाले दस्तावेज भी सार्वजनिक करना आरंभ कर
दिया है। पीपुल्स पार्टी का यह प्रचार या दुष्प्रचार कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध होता
दिख रहा है।
पचौरी का शनि हुआ भारी
एक मशहूर टीवी समाचार चेनल की नौकरी
छोड़कर प्रधानमंत्री के मीडिया एडवाईजर बनने वाले पंकज पचौरी कई माहों से गुमनामी के
अंधेरे में जी रहे हैं। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि महीनों से उनका और पीएम का
आमना सामना ही नहीं हुआ है। पीएमओ के सबसे ताकतवर अधिकारी पुलक चटर्जी ही पीएम के मीडिया
एडवाईजर की भूमिका भी निभा रहे हैं। अमन चैन के साथ लगभग लाख रूपए महीने की पगार और
बाकी सुविधाओं का उपभोग करने वाले पचौरी पर एक बार फिर नजला टूट रहा है। देश के नाम
प्रधानमंत्री के संबोधन के अंत में जय हिन्द के बजाए ठीक है आने पर सारा का सारा दोष
पचौरी पर ही मढ़ा जा रहा है। इसके लिए पचौरी पर गाज गिरना तय बताया जा रहा है। उधर,
पचौरी के करीबियों
का कहना है कि पंकज पचौरी को तो पता ही नहंी था कि पीएम कोई संबोधन देने जा रहे हैं
तो फिर वे उस संबोधन को चेक करते भी तो कैसे?
आगे पीछे हो रहा माया का मन!
बसपा सुप्रीमो मायावती का आगे का
एजेंडा क्या है? इस बारे में सोच सोचकर कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है। बसपा के
हाल ही के पार्टी सांसदों और विधायकों के लखनऊ में हुए सम्मेलन की खुफिया रिपोर्ट जब
सोनिया के पास पहुंची तो उनके हाथों के तोते उड़ गए। इस सम्मेलन में मायावती ने दो टूक
शब्दों में अपने सांसद विधायकों को कहा कि वे चुनाव के लिए कमर कस लें क्योंकि यह बजट
सत्र मनमोहन सरकार का अंतिम बजट सत्र साबित होगा। 10 जनपथ के सूत्रों ने बताया कि इसके
बाद सोनिया को बताया गया कि बजट सत्र में एससी एसटी आरक्षण बिल पर दबाव बनाने मायावती
ने यह चाल चली है। मनराखन लाल संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ से चर्चा के उपरांत ही कांग्रेस
अब इस मामले में कोई राय कायम करेगी। हो सकता है कि कमल नाथ अपना जादू दिखाकर मायावती
को ममता बनर्जी की ही तरह अलग थलग करवा दें।
बिरयानी में चूहा!
इधर, भारत गणराज्य के रेल मंत्री
पवन कुमार बंसल भारतीय रेल का किराया बढ़ाकर सुविधाएं देने का दावा कर रहे हैं वहीं
दूसरी ओर रेल में मिलने वाले खाने में मरा चूहा मिलने की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं।
रेल्वे के सूत्रों ने बताया कि गुजरात के वलसाड़ के रहने वाले एक परिवार को ट्रेन में
एक ऐसा अजीब व्यंजन परोसा गया कि वे हत्प्रभ रह गए। वैष्णो देवी यात्रा से लौट रहे
गुजरात के एक परिवार को सर्वाेदय एक्सप्रेस ट्रेन में चूहा बिरयानी परोसी गई। ट्रेन की पैन्ट्री में उन्होंने तीन वेज बिरयानी
ऑर्डर किया। एक बिरयानी को उन्होंने अपने दोनों बच्चों से शेयर करने को कहा। जैसे ही
उनके सात साल के बेटे मोनिक ने बिरयानी में चम्मच डाला, उसने कुछ भारी चीज को रुकावट
के तौर पर महसूस किया। जब निलेश पटेल ने अपने बेटे की मदद करने की कोशिश की तो उन्होंने
पाया कि बिरयानी के साथ एक चूहा भी पकाया गया है।
शिव नहीं चाहते भाजपा को मिले योजनाओं
का लाभ!
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी में
शीर्ष स्तर पर जो कुछ चल रहा है उसे देखकर लगने लगा है मानो चुनावी साल में गणतंत्र
दिवस पर मध्य प्रदेश की झांकी सांस्कृतिक टीम और बहादुर बच्चों का ना होना एक साची
समझी साजिश का ही हिस्सा हैै। भाजपा के लिए आत्मघाती इस कदम को मीडिया द्वारा बार बार
इस बात को उठाने पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दोषी अफसरान के खिलाफ कार्यवाही ना करना
और कांग्रेस द्वारा इस मामले को ना उठाना भी आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी के नेशनल हेडक्वार्टर के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस इस मामले को कैसे उठा सकती है जबकि
प्रदेश में भाजपा की हेट्रिक को कांग्रेस तोड़ने पर आमदा है। जब मध्य प्रदेश के अधिकारी
ही भारतीय जनता पार्टी संगठन को उनकी ही सरकार की अभिनव और जनकल्याणकारी योजनाओं का
लाभ नहीं लेने देना चाहते तो भला हम क्यों दिलाएं भाजपा को लाभ!
पुच्छल तारा
सोशल नेटवर्किंग वेब साईट कमाल की
चीज है। इस पर जो मन में आए वह लिखकर पोस्ट कर दो। फेसबुक पर कई बातें इतनी रोचक होती
हैं कि चाहकर भी आप उसकी अनदेखी नहीं कर सकते हैं। पिछले दिनों एक पोस्ट पढ़कर लगा वाकई
भारत में क्या हो रहा है। पोस्ट में था कि
- मेरा आयकर जमा करने का रिटर्न फार्म
गलत जानकारी देने पर वापस आ गया। फार्म में लिखा था कि आपकी कमाई पर निर्भर सदस्यों
की संख्या लिखिए।
- मैने लिखा तीन करोड़ बंग्लादेशी,
अफजल गुरू,
सलेम,
मदनी सहित नौ
लाख अन्य अपराधी,
- मनरेगा की दिहाडी लेने वाले 20
से 25 करोड़ लोग
- डायरेक्ट कैश ट्रांसफर का लाभ लेने
वाले 25 से 30 करोड़ लोग
- वाहन भत्ते सुरक्षा आदि लेने वाले
750 संसद सदस्य
अब आप बताईए कि क्या इसमें कोई छूट
गया जो मेरा फार्म वापस आ गया! क्या ये सब मेरे इंनकम टेक्स पर निर्भर नहीं है!
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