म्यांमार में भड़की
हिंसा, आठ की मौत
(ब्यूरो)
यांगून (साई)।
म्यांमार के पश्चिमोत्तर प्रांत में सोमवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान कम
से कम आठ लोगों की मौत हो गई और तमाम लोग घायल हुए हैं। मुसलिम व बौद्धों के समूह
सड़कों पर उतर आए। वे न केवल गोलीबारी कर रहे थे, बल्कि एक दूसरे के
घरों को आग भी लगा रहे थे।
खबरों के अनुसार
हिंसा पर उतरे लोगों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कई जगह हवाई फायरिंग करनी
पड़ी। मुसलिम लोगों के नावों पर सवार होकर बांग्लादेश जाने की खबरें हैं। हिंसा
वाले कई शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है फिर भी हालात पर नियंत्रण नहीं हो पाया
है।
लगातार हो रही
हिंसा की वजह से संयुक्त राष्ट्र ने अपने राहत कर्मियों को रखाइन प्रांत से बाहर
निकालना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर, ब्रिटेन ने म्यांमार के अधिकारियों और
सामुदायिक नेताओं से हिंसा खत्म करने का आग्रह किया है। पिछले साल हुए राजनीतिक
सुधारों के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदल रही म्यांमार की छवि पर ताजा हिंसा ने
बदनुमा दाग लगा दिया है।
हिंसाग्रस्त रखाइन
प्रांत में रविवार को ही राष्ट्रपति थीन सेन ने इमरजेंसी की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी
हिंसा का दौर नहीं थमा है। म्यांमार में हिंसा की शुरुआत पिछले महीने उस वक्त हुई
थी, जब एक
बौद्ध महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इसके बाद मुसलिम यात्रियों से भरी
बस पर हमला किया गया। देखते ही देखते ही पूरे प्रांत में सांप्रदायिक हिंसा भड़क
उठी थी।
शुक्रवार को रखाइन
प्रांत के मौंगदाउ शहर में हिंसा शुरू हुई, जो बाद में राज्य की राजधानी सित्तवे व
नजदीकी गांवों तक फैल गई। सित्तवे में सोमवार को लाखों रुपये की संपत्ति को आग
हवाले कर दिया गया। यहां अभी भी हिंसा जारी है। म्यांमार में सांप्रदायिक हिंसा के
दौरान अब तक 40 लोगों की मौत हो चुकी है।
टीवी पर प्रसारित
भाषण में राष्ट्रपति थीन सेन ने कहा है कि देश में जारी हिंसा लोकतांत्रिक
प्रक्रिया को खतरे में डाल सकती है। अगर हम नस्ल और धर्म से जुड़े मुद्दों को आगे
रखेंगे तो समस्या रखाइन प्रांत से बाहर तक फैल जाएगी और ऐसा हुआ तो हमें काफी कुछ
खोना पड़ सकता है। म्यांमार में 2010 आम चुनाव के बाद सेना के समर्थन वाली असैन्य
सरकार ने सत्ता संभाली थी और इस साल अप्रैल में हुए उप चुनावों में विपक्षी नेता
आंग सान सू भी संसद सदस्य बन गई हैं।
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