एनडीए के संयोजक बन
सकते हैं नरेंद्र मोदी
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक एल.के.आड़वाणी को भारतीय जनता पार्टी और
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा बलात हाशिए पर भेज देने के उपरांत अब आड़वाणी का
एनडीए के संयोजक का पद भी खतरे में पड़ गया है। भाजपा में धूमकेतू की तरह उभरकर
सामने आए नरेंद्र मोदी को एनडीए का संयोजक बनाने की तैयारियों को अंतिम रूप दिया
जा रहा है।
दिल्ली में
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंज के भरोसमंद सूत्रों का कहना है कि देश में
प्रकाश में आए घपले,
घोटाले और भ्रष्टाचार के कारण कांग्रेस की धूमिल हुई छवि का
लाभ उठाने के लिए संघ के आला नेता सर जोड़कर अनेक मर्तबा बैठ चुके हैं। भाजपा को नए
जोश खरोश के लिए हिन्दुवादी छवि का मुखर नेतृत्व की इसके लिए महती जरूरत महसूस की
जा रही है।
सूत्रों ने कहा कि
संघ के पिट्ठू बनकर गड़करी ने तो अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है, पर संघ अब भाजपा के
लिए एक मौखटे की तलाश बड़ी ही शिद्दत से कर रहा है। जिन्ना प्रकरण के चलते आड़वाणी
अर्श से फर्श पर आ चुके हैं। आड़वाणी की हालिया रथ यात्रा भी नाकाम ही रही। इन सब
बातों के चलते संघ की पहली पसंद बनकर उभरे हैं नरेंद्र मोदी।
संघ की शह पर हुआ
नरेंद्र मोदी का अभ्युदय ही आड़वाणी के दंश का कारण बना। अपनी उपेक्षा से आड़वाणी
बेहद दुखी हैं। आड़वाणी इन दिनों अलग थलग और अकेले पड़ चुके हैं। अड़वाणी जुंडाली ने
भी उनका साथ छोड़ दिया है। भाजपा में अब आड़वाणी के बारे में कहा जाने लगा है कि
उनकी परछाई भी अब उनका साथ छोड़ने लगी है। संघ के साथ निर्णायक लड़ाई में आड़वाणी
अकेले पड़ते दिख रहे हैं।
हताश निराश राजग के
पीएम इन वेटिंग रहे एल.के.आड़वाणी ने सोशल नेटवर्किंग वेब साईट और ब्लाग को अस्त्र
बनाकर अपना युद्ध आरंभ किया है। आड़वाणी के ब्लाग वार से संघ नेतृत्व बुरी तरह खफा
नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो ‘घर की बातें ब्लाग के माध्यम से जनता को
परोसने‘ पर संघ के
अनेक नेताओं को बेहद आपत्ति है।
उपक्षित आड़वाणी के
रिसते घावों पर मरहम लगाने के बाजाए संघ ने उनकी मुखालफत तेज कर दी है। सूत्रों ने
बताया कि इशारों ही इशारों में संघ के आला नेताओं ने वयोवृद्ध भाजपा नेता
एल.के.आड़वाणी को संकेत दे दिए हैं कि वे एनडीए के संयोजक पद को तजने को तैयार
रहें। आड़वाणी के उत्तराधिकारी के बतौर दो नाम सामने आए हैं जिनमें पहला स्वाभाविक
तौर पर नरेंद्र मोदी का है। अगर मोदी के नाम पर ज्यादा शोर शराबा हुआ (संजय जोशी
प्रकरण से भाजपा और संघ का एक धड़ा मोदी से खफा है) तो राजनाथ सिंह का नाम स्टेंड
बाय में रखा हुआ है।
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