ओबामा मामले में
रक्षात्मक मुद्रा में राजनेता
(रश्मि सिन्हा)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार और राजनीतिक दलों ने भारत में निवेश के माहौल पर अमरीका के राष्ट्रपति बराक
ओबामा की चिंताएं खारिज कर दी हैं। कॉरपोरेट कार्य मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि
कुछ अंतर्राष्ट्रीय लॉबी ऐसी बातें फैला रहीं हैं और अमरीकी राष्ट्रपति को भारत की
अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव के बारे में सही जानकारी नहीं है। श्री मोइली ने कल
बेंगलूर में बताया कि भारत में निवेश का माहौल बिगड़ने की धारणा आर्थिक मानकों पर
आधारित नहीं है बल्कि यह कुछ व्यक्तियों, उद्यमियों और निवेशकों की राय है।
श्री मोइली ने कहा
कि भारत में कोई आर्थिक संकट नहीं है जबकि अमरीका और अन्य देशों ने वर्ष २००८ और
२०१० में दो बार ऐसी समस्याओं का सामना किया है। उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी
वित्तीय संस्था दिवालिया नहीं हुई जबकि अमरीका और अन्य देशों में ऐसी अनेक घटनाएं
हुई।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को मिली प्रतिक्रियाओं के हिसाब से विपक्षी दलों ने भी श्री ओबामा की इस
टिप्पणी की आलोचना की है कि भारत कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं दे
रहा है। भारतीय जनता पार्टी के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत सिर्फ अमरीकी
राष्ट्रपति के चाहने से विदेशी निवेश के लिए अपने बाजार नहीं खोल सकता। मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता नीलोत्पल बसु ने कहा है कि अमरीका चाहता है कि भारत
अपनी अर्थव्यवस्था और बाजार को उसकी शर्तों पर खोले, इसलिए। भारत पर
दबाव डाला जा रहा है।
नई दिल्ली। देश की
लगातार गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर व्यापार में भारत के सहयोगी देशों की भी चिंता
बढ़ने लगी है। भारत के विदेशी निवेश में अमेरिका की भी अहम भूमिका है, लेकिन अमेरिका को
अब लगता है कि भारत में निवेश का माहौल बिगड़ता जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति
बराक ओबामा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा कि अमेरिकी
निवेशक भारत में निवेश करना चाहते हैं लेकिन रिटेल सहित कई क्षेत्रों में पाबंदी
की वजह से अमेरिकी निवेशक भारत से मुंह मोड़ने लगे हैं।
ओबामा ने कहा कि
दोनों देशों में रोजगार के अवसर पैदा करना आवश्यक है और भारत के विकास के लिए ये
निहायत जरूरी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों में आर्थिक संबंध
बढ़ाने के लिए निवेश का अच्छा माहौल बनाने की जरूरत है।
ओबामा की मानें तो
अब वक्त आ गया है कि भारत आर्थिक क्षेत्र में सुधार के लिए एक नई लहर पैदा करे।
हालांकि ओबामा की इस नसीहत को सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है।
संसदीय कार्यमंत्री
हरीश रावत ने कहा है कि रिटेल में मल्टीब्रांड को लेकर सरकार पूरी तरह तैयार है।
किसी अन्य देश के मुताबिक भारत अपनी आर्थिक नीति तय नहीं करता है। दुनिया में सभी
इस बात को मान रहे हैं कि संकट के बाद भी भारत अपनी ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत के आसपास
बनाए हुए है। हमें बूस्ट अप की जरूरत है।
उधर विपक्ष ने भी
ओबामा के बयान को ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि अमेरिका पहले अपने घर को मजबूत
करे। लेकिन खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को लेकर उसने एक बार फिर सरकार पर हमला बोला है।
बीजेपी उपाध्यक्ष
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि रुपया कंगाल हो रहा है और डॉलर मालामाल हो रहा है।
केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जनता चाह रही है। केंद्र सरकार को अब कदम
उठाना पड़ेगा। देश आर्थिक आपातकाल के दौर से गुजर रहा है।
ओबामा ने भारतीय
अर्थव्यवस्था के विकास की धीमी रफ्तार पर तो चिंता जताई है लेकिन उन्होंने यह भी
माना कि विकास की दर प्रभावशाली है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की अहमियत को
स्वीकारते हुए ओबामा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के असर से
दुनिया भर के देश प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत के अंदरुनी
मामलों में दखल देने का हक नहीं है लेकिन वक्त का तकाजा है कि भविष्य में आर्थिक
खुशहाली के लिए भारत प्रभावशाली दिशा खुद तय करे।
भारतीय कार्पाेरेट
जगत ने अमरीकी राष्ट्रपति के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत
अब भी निवेश का एक सुदृढ़ क्षेत्र बना हुआ है और लंबी अवधि में उसके आर्थिक विकास
की संभावनाएं मजबूत हैं। औद्योगिक संगठन एसोचेम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि
अनेक विकसित देशों की अपेक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही है। एक
अन्य औद्योगिक संगठन-सी आई आई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा है कि
विश्वव्यापी आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था छह प्रतिशत की दर
से बढ़ रही है।
गौरतलब है कि पहले
इस तरह की खबरें आ रही थीं कि देश की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर व्यापार
में भारत के सहयोगी देशों की भी चिंता बढ़ने लगी है। भारत के विदेशी निवेश में
अमेरिका की भी अहम भूमिका है, लेकिन अमेरिका को अब लगता है कि भारत में
निवेश का माहौल बिगड़ता जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति
बराक ओबामा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा कि अमेरिकी
निवेशक भारत में निवेश करना चाहते हैं लेकिन रिटेल सहित कई क्षेत्रों में पाबंदी
की वजह से अमेरिकी निवेशक भारत से मुंह मोड़ने लगे हैं। ओबामा ने कहा कि दोनों
देशों में रोजगार के अवसर पैदा करना आवश्यक है और भारत के विकास के लिए ये निहायत
जरूरी है।
उन्होंने इस बात पर
जोर दिया कि दोनों देशों में आर्थिक संबंध बढ़ाने के लिए निवेश का अच्छा माहौल
बनाने की जरूरत है। ओबामा की मानें तो अब वक्त आ गया है कि भारत आर्थिक क्षेत्र
में सुधार के लिए एक नई लहर पैदा करे। हालांकि ओबामा की इस नसीहत को सरकार ने सिरे
से खारिज कर दिया है।
ओबामा ने भारतीय
अर्थव्यवस्था के विकास की धीमी रफ्तार पर तो चिंता जताई है लेकिन उन्होंने यह भी
माना कि विकास की दर प्रभावशाली है। दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की अहमियत को
स्वीकारते हुए ओबामा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के असर से
दुनिया भर के देश प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत के
अंदरुनी मामलों में दखल देने का हक नहीं है लेकिन वक्त का तकाजा है कि भविष्य में
आर्थिक खुशहाली के लिए भारत प्रभावशाली दिशा खुद तय करे।
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