सोनिया के ‘मन‘ उतर चुके हैं
प्रधानमंत्री
सात रेसकोर्स और 10, जनपथ के बीच नहीं
पट पाई है खाई
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
सत्ता के घोषित शीर्ष केंद्र 7, रेसकोर्स रोड़ (भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री
का सरकारी आवास) और सत्ता तथा शक्ति के परोक्ष तौर पर स्थापित शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद
सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के बीच खुदी खाई अभी तक पाटी नहीं जा सकी है।
इसका उदहारण पिछले दिनों महामहिम राष्ट्रपति चुनावों के दरम्यान देखने को मिला जब
राष्ट्रपति पद के लिए मनमोहन सिंह का नाम सामने आया और सोनिया गांधी ने उनका बचाव
नहीं किया।
प्रधानमंत्री
कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस
के हाईकमान के व्यवहार ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को दुखी कर दिया है। गौरतलब
है कि प्रधानमंत्री का नाम राष्ट्रपति के लिए सुनियोजित तरीके से आगे किया गया था।
एसा तब किया गया जब खुद मनमोहन सिंह राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से अपने आप को अलग
कर चुके थे। मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने इस तरह की संभावनाओं को मुस्कुराकर
यह कहकर खारिज कर दिया था कि वे जहां हैं वहीं ठीक हैं।
यद्यपि, मनमोहन सिंह का नाम
मीडिया में आगे आने पर पार्टी ने उनका बचाव किया पर बचाव के तरीके से मनमोहन सिंह
खासे खफा बताए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जब ममता बनर्जी और मुलायम सिंह
यादव द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम आगे किया तब खुद सोनिया गांधी को आगे
आकर मनमोहन सिंह का बचाव किया जाना चाहिए था, पर सोनिया के बजाए जनार्दन द्विवेदी ने
सामने आकर कहा कि 2014 तक मनमोहन
सिंह ही प्रधानमंत्री रहेंगे।
उधर, दूसरी ओर कांग्रेस
के सत्ता और शक्ति के केंद्र 10, जनपथ के सूत्रों की मानें तो मनमोहन सिंह अब
सोनिया गांधी के मन से पूरी तरह उतर चुके हैं। इसका कारण यह है कि भले ही सोनिया
के ‘यस मेन‘ के बतौर मनमोहन
सिंह काम कर रहे हों, पर सच्चाई यह है कि वे केंद्र में इस कदर कीचड़ मचा चुके हैं
कि अब राहुल गांधी की ताजपोशी के लिए सोनिया को इंतजार के अलावा और कोई रास्ता नजर
नहीं आ रहा है।
सूत्रों के अनुसार
अगर प्रणव मुखर्जी द्वारा त्यागपत्र की धमकी ना दी गई होती तो मनमोहन सिंह से
कांग्रेस और सोनिया निजात पा ही जातीं। माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह के लिए
तारणबनकर अनजाने में ही प्रणव मुखर्जी सामने आए, जिनके चलते मनमोहन
सिंह की जाती नौकरी कुछ महीनों के लिए बच गई है। सोनिया गांधी इस समय सबसे ज्यादा
चिंता ग्रस्त इस बात को लेकर हैं कि वे अपने दुलारे राहुल गांधी को कैसे देश की
बागडोर सौंपें?
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